सपा की सरकार बनने पर महाराजा सुहेलदेव की स्वर्णिम प्रतिमा स्थापित की जाएगी : अखिलेश यादव
आनन्द, रवि कांत
- 10 Jun 2025, 10:24 PM
- Updated: 10:24 PM
लखनऊ, 10 जून (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि राज्य में सपा की सरकार बनने पर लखनऊ के गोमती रिवरफ्रंट पर महाराजा सुहेलदेव की दैदीप्यमान स्वर्णिम आभा प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
महाराजा सुहेलदेव ने वर्ष 1033 में बहराइच में चित्तौरा झील के तट पर एक युद्ध में महमूद गजनवी के सेनापति गाजी सैयद सालार मसूद को हराकर मार डाला था।
इसके पहले मंगलवार की सुबह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराजा सुहेलदेव की 17 टन वजनी एवं 40 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का बहराइच में लोकार्पण किया और विपक्षी दलों विशेष रूप से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर सुहेलदेव की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा।
सपा मुख्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार पार्टी प्रदेश मुख्यालय, लखनऊ के डॉ. राममनोहर लोहिया सभागार में आज महाराजा सुहेलदेव का विजय दिवस मनाया गया। इस मौके पर सपा प्रमुख यादव ने महाराजा सुहेलदेव की वीरता को नमन किया।
यादव ने कहा, “विजय दिवस संपूर्ण देश में वीरता के लिए विख्यात, चक्रवर्ती सम्राट महाराजा सुहेलदेव जी के इस संकल्प के साथ मना रहे हैं कि हम भविष्य में उत्तर प्रदेश की सरकार की तरफ़ से लखनऊ के गोमती रिवरफ्रंट पर उनकी दैदीप्यमान स्वर्णिम आभा प्रतिमा का निर्माण और एक भव्य समारोह में उनकी प्रतिमा का सर्वदर्शनार्थ सादर लोकार्पण करेंगे।”
इस मौके पर पूर्व सांसद उदय प्रताप सिंह, राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद नरेश उत्तम पटेल, प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल, पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर, पूर्व विधायक डॉ पीके राय सहित कई नेता मौजूद थे।
एक अन्य बयान के अनुसार समाजवादी पार्टी प्रदेश मुख्यालय लखनऊ के डॉ. राममनोहर लोहिया सभागार में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये कार्यकर्ताओं और नेताओं को सम्बोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि “भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बेईमान और धोखेबाज पार्टी है। चुनाव में बेईमानी करती है।”
सपा प्रमुख ने मांग करते हुए कहा कि “निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी निष्पक्ष चुनाव कराने की होती है। निर्वाचन आयोग को ईमानदारी से अपनी भूमिका का निर्वहन करना चाहिए।”
भाषा
आनन्द, रवि कांत