कॉरपोरेट क्षेत्र देश की आर्थिक वृद्धि एवं विकास का एक प्रमुख स्तंभ: राष्ट्रपति मुर्मू
निहारिका अजय
- 18 Jun 2025, 04:26 PM
- Updated: 04:26 PM
(तस्वीर के साथ)
नयी दिल्ली, 18 जून (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र देश की आर्थिक वृद्धि और विकास का एक प्रमुख स्तंभ है।
भारतीय कॉरपोरेट विधि सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनके निर्णय न केवल नीतियों एवं विनियमों को प्रभावित करेंगे, बल्कि इसका असर नागरिकों और निवेशकों के देश की संस्थाओं में विश्वास पर भी पड़ेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि कॉरपोरेट कानूनों के कार्यान्वयन एवं प्रवर्तन का दायित्व संभालने वाले अधिकारियों के रूप में, ‘‘ आपकी भूमिका एक ऐसा कारोबारी माहौल बनाने के केंद्र में होगी जो पारदर्शी, जवाबदेह और नवाचार एवं उद्यमिता के लिए अनुकूल हो।’’
राष्ट्रपति भवन में उनसे मिलने आए प्रशिक्षुओं से बातचीत में मुर्मू ने कहा, ‘‘ कॉरपोरेट क्षेत्र हमारे देश की आर्थिक वृद्धि एवं विकास का एक प्रमुख स्तंभ है।’’
कंपनी अधिनियम 2013 का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है कि कानून को न केवल लागू किया जाए बल्कि उसे समझा जाए, उसका सम्मान किया जाए। साथ ही इस तरह से लागू किया जाए जिससे सभी के लिए न्याय, निष्पक्षता एवं अवसर को बढ़ावा मिले।
रक्षा वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन सेवा एवं केंद्रीय श्रम सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात की।
प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सैन्य विमानन में गुणवत्ता का मतलब सिर्फ तकनीकी विशिष्टताओं को पूरा करना नहीं है बल्कि इसका मतलब परिचालन सुरक्षा, मिशन की तैयारी, विश्वसनीयता एवं रणनीतिक श्रेष्ठता सुनिश्चित करना भी है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘ आपकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि सभी सैन्य विमानन सामग्री चाहे वे स्वदेशी रूप से निर्मित हों या आयातित उच्चतम वैश्विक मानकों के अनुरूप कठोर गुणवत्ता एवं उड़ान करने योग्य आवश्यकताओं को पूरा करती हों।’
राष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए न केवल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को मजबूत करने की जरूरत है, बल्कि निजी क्षेत्र को भी सक्रिय रूप से सक्षम बनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ सहायक नीतियों एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से निजी उद्यमों को रक्षा परिवेश में एकीकृत करके, भारत स्वदेशीकरण प्रयासों में तेजी ला सकता है और खुद को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है। ’’
वर्ष 2025 को ‘‘रक्षा सुधारों का वर्ष’’ बताते हुए उन्होंने प्रशिक्षुओं से सशस्त्र बलों को प्रौद्योगिक रूप से उन्नत, युद्ध के लिए तैयार बलों में बदलने के लिए नवीन दृष्टिकोण विकसित करने का आग्रह किया, जो बहु-क्षेत्रीय, एकीकृत संचालन में सक्षम हों।
केंद्रीय श्रम सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वे कानून के संरक्षक हैं तथा श्रमिकों के अधिकारों एवं सम्मान की रक्षा करने वाले श्रम कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ आपके द्वारा लिए गए निर्णय और आपके द्वारा की गई कार्रवाइयों का उद्योग एवं समाज दोनों पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। आपका काम नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच जटिल संबंधों में संतुलन ला सकता है। आप, आपसी सम्मान, दक्षता एवं समानता का माहौल बनाने में मदद कर सकते हैं।’’
मुर्मू ने उनसे अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी, न्याय की दृढ़ भावना और विनम्रता के साथ करने को कहा।
भाषा
निहारिका