उत्तराखंड में बढ़ रहा तीर्थाटन; चारधामों के साथ अन्य मंदिरों के दर्शन के लिए भी पहुंच रहे श्रद्धालु
दीप्ति खारी
- 18 Jun 2025, 10:08 PM
- Updated: 10:08 PM
देहरादून, 18 जून (भाषा) उत्तराखंड में तीर्थाटन का दायरा बढ़ता जा रहा है जहां श्रद्धालु चारधामों के साथ-साथ अब अन्य मंदिरों के दर्शन के लिए भी पहुंच रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों में बुधवार को यह जानकारी दी।
चारधाम यात्रा इस साल 30 अप्रैल को शुरू हुई थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अब तक करीब 32 लाख श्रद्धालु बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के दर्शन कर चुके हैं।
प्रदेश में आने वाले श्रद्धालु चारधामों के साथ ही अब अन्य मंदिरों और अन्य तीर्थस्थलों पर भी पहुंच रहे हैं जिससे अन्य स्थानों पर भी चारधाम यात्रा मार्ग की तरह आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है।
उत्तराखंड में स्थित चारधामों में प्रतिवर्ष यात्रा काल के दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस यात्रा सीजन में ही चारधाम और हेमकुंड के लिए कुल 44 लाख से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं जिनमें से यमुनोत्री धाम के लिए 7,13,456, गंगोत्री के लिए 7,80,554, केदारनाथ के लिए 14,435,13, बदरीनाथ के लिए 13,36,923 और हेमकुंड के लिए 1,69,180 पंजीकरण हुए हैं।
इसके अनुसार इनमें से अब तक करीब 32 लाख तीर्थयात्री यात्रा पूरी कर चुके हैं।
चारधाम यात्रा मार्ग पर पड़ रहे इसके सकारात्मक आर्थिक प्रभाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार अन्य तीर्थ स्थलों के भी प्रचार- प्रसार पर जोर दे रहे हैं ताकि उन क्षेत्रों में भी आर्थिक गतिविधियां तेज हो सके।
रुद्रप्रयाग में कार्तिकेय स्वामी मंदिर, उत्तरकाशी स्थित जगन्नाथ मंदिर के साथ ही अन्य मदिंरों में भी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कार्तिकेय स्वामी मंदिर में गत वर्ष करीब चार लाख तीर्थ यात्री पहुंचे थे जबकि इस बार जून मध्य तक काफी श्रद्धालु यहां के दर्शन कर चुके हैं। इसी प्रकार, उत्तरकाशी के जगन्नाथ मंदिर में भी इस वर्ष अब तक 25 हजार तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं।
श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के साथ ही इन तीर्थस्थलों पर भी होटल, रेस्तरां, परिवहन, प्रसाद सहित तमाम तरह की आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका को भी सहारा मिल रहा है।
इस बारे में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उत्तराखंड के समग्र विकास के लिए सभी क्षेत्रों में तीर्थाटन और पर्यटन की गतिविधियां तेज होना जरूरी है। उत्तराखंड देवभूमि है और यहां प्रत्येक देवालय का अपना महत्व है। सरकार सभी तीर्थ स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं का विकास करने का प्रयास कर रही है।’’
भाषा दीप्ति