दक्षिण अफ्रीका रंगभेद युग में हुई हत्याओं की नये सिरे से जांच कराएगा
एपी सुभाष नरेश
- 19 Jun 2025, 03:48 PM
- Updated: 03:48 PM
जोहानिसबर्ग, 19 जून (एपी) नोम्बुइसेलो म्हलाउली को जब उनके पति का शव दफनाने के लिए सौंपा गया, तो उनके सीने में 25 से अधिक और पीठ में सात घाव थे तथा गले पर भी गहरा जख्म था। उनका दाहिना हाथ भी नहीं था।
सिसेलो म्हलाउली उन चार अश्वेत लोगों में से एक थे, जिन्हें 40 साल पहले इसी महीने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद दौर के सुरक्षा बलों ने अगवा कर लिया था, प्रताड़ित किया और मार डाला था। उनकी मौत के लिए किसी को भी जवाबदेह नहीं ठहराया गया।
हालांकि, रंगभेद विरोधी कार्यकर्ताओं की हत्याओं की एक न्यायाधीश के नेतृत्व में नये सिरे से जांच इस महीने शुरू हुई है। ये कार्यकर्ता ‘क्रैडॉक फोर’ के नाम से जाने गए और वे न्याय से वंचित लोगों के लिए एकजुटता का नारा बन गए।
यह जांच गोरे एवं अल्पसंख्यक लोगों के शासन और लागू नस्लीय अलगाव के समय पुलिस और अन्य द्वारा मारे गए हजारों लोगों में से कुछ के रिश्तेदारों द्वारा सच्चाई को सामने लाने के लिए नये सिरे से किये जा रहे प्रयास का हिस्सा है।
नोम्बुइसेलो ने अपने पति के शव की स्थिति का वर्णन उस गवाही के दौरान किया जो उन्होंने गकेबरहा शहर में जांच की शुरुआत में दी थी, जहां जून 1985 में ‘क्रैडॉक फोर’ का अपहरण किया गया था। तीन अन्य व्यक्तियों में से कुछ के रिश्तेदारों ने भी गवाही दी।
थुमानी कैलाटा को अपने पिता फोर्ट कैलाटा के बारे में कभी पता नहीं चला, जो एक शिक्षक थे। थुमानी का जन्म ‘क्रैडॉक फोर’ के अंतिम संस्कार के दो सप्ताह बाद हुआ था, जिसमें भारी भीड़ जुटी थी और रंगभेद के खिलाफ प्रतिरोध को बढ़ावा मिला था।
पूर्व में दो जांच की गई थी। 1987 में शुरू हुई दो साल की जांच में पाया गया कि चारों व्यक्तियों की हत्या अज्ञात लोगों ने की थी। 1993 में एक और जांच में कहा गया कि इन व्यक्तियों की हत्या अज्ञात पुलिसकर्मियों ने की थी।
इस मामले में संलिप्त रहे पुलिस अधिकारियों की अब मृत्यु हो चुकी है।
‘क्रैडॉक फोर’ के रिश्तेदारों को शायद कभी न्याय नहीं मिल सकेगा। अपहरण और हत्याओं में सीधे तौर पर शामिल छह पूर्व पुलिस अधिकारियों की मौत हो चुकी है और इनमें से आखिरी की मौत 2023 में हुई। रंगभेद बाद के सत्य और सुलह आयोग द्वारा 1990 के दशक के अंत में आरोपियों की पहचान करने और उन्हें माफी देने से इनकार करने के बावजूद किसी पर मुकदमा नहीं चलाया गया।
तत्कालीन राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला द्वारा गठित इस आयोग ने 1994 में आधिकारिक रूप से रंगभेद व्यवस्था समाप्त होने के बाद के वर्षों में भी इसके प्रभावों का सामना किया। कुछ हत्यारों को क्षमादान दिया गया, जबकि 5,000 से अधिक आवेदनों को अस्वीकार कर दिया गया तथा आपराधिक जांच की सिफारिश की गई।
हालांकि, शायद ही इनमें से कोई मामला अदालत तक पहुंचा हो।
जोहानिसबर्ग विश्वविद्यालय के राजनीतिक विश्लेषक ऑस्कर वैन हीर्डन ने कहा कि ‘क्रैडॉक फोर’ जांच से पता चलता है कि घाव अभी भी भरे नहीं हैं।
वैन हीर्डन ने कहा, ‘‘यह महसूस किया गया कि सच नहीं बोला गया और माफी के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे। औपचारिक रूप से आरोप लगाए जाने चाहिए थे, मुकदमा चलाया जाना चाहिए था और न्याय होना चाहिए था। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।’’
रंगभेद के दौर के बाद की सरकारों द्वारा 25 वर्षों तक मामलों को आगे बढ़ाने में विफलता की अब जांच की जा रही है। निराश होकर ‘क्रैडॉक फोर’ के परिवारों ने आखिरकार पिछले साल अधिकारियों को यह निर्णय लेने के लिए मजबूर कर दिया कि हत्याओं की नये सिरे से जांच की जाए।
मामले में समझौते के तहत, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय जांच का आदेश दिया। हालांकि यह जांच अब तक शुरू नहीं हुई है।
‘क्रैडॉक फोर’ जांच, और भी गवाहियों के लिए अक्टूबर में फिर से शुरू होने की उम्मीद है।
पीड़ित परिवारों के वकील हॉवर्ड वर्नी ने कहा कि सच्चाई का पता लगाने के लिए यह आखिरी मौका है।
एपी सुभाष