यूडीएफ ने नीलांबुर उपचुनाव में जीत को 2026 में वापसी की दिशा में पहला कदम बताया
अमित सुरेश
- 23 Jun 2025, 09:51 PM
- Updated: 09:51 PM
तिरुवनंतपुरम, 23 जून (भाषा) केरल की नीलांबुर विधानसभा सीट पर अपनी निर्णायक जीत से उत्साहित विपक्षी यूडीएफ ने सोमवार को इसे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में वापसी की दिशा में पहला कदम बताया, जबकि राज्य में सत्तारूढ़ वाम मोर्चा ने कांग्रेस-नीत गठबंधन पर सांप्रदायिक मतों के सहारे जीत हासिल करने का आरोप लगाया।
संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) नेतृत्व ने नीलांबुर विधानसभा क्षेत्र में अपने उम्मीदवार आर्यदान शौकत की सफलता का श्रेय मजबूत सामूहिक प्रयास और नेताओं एवं पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय को दिया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी सहित यूडीएफ के सभी प्रमुख नेताओं ने कहा कि शौकत की जीत राज्य में व्याप्त मजबूत सत्ता-विरोधी लहर का प्रतिबिंब है।
एंटनी ने तिरुवनंतपुरम में संवाददाताओं से कहा कि नीलांबुर में यूडीएफ की जीत के साथ, राज्य में विजयन सरकार का बने रहना "केवल तकनीकी" रह गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘नीलांबुर में यूडीएफ की जीत के साथ प्रशासन में बदलाव पहले ही हो चुका है। वर्तमान राज्य सरकार अब सिर्फ कार्यवाहक सरकार है।’’
विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कोच्चि में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नीलांबुर के मतदाताओं ने अपना वोट केरल के लोगों की ओर से दिया है। सतीशन को यूडीएफ की चुनावी रणनीतियों और प्रचार अभियानों का वास्तुकार माना जाता है।
उन्होंने कहा कि यूडीएफ पिछले विधानसभा चुनाव में यह निर्वाचन क्षेत्र मात्र 2,700 मतों से हारा था और इस बार उसने इसे 11,000 से अधिक मतों के अंतर से जीता है।
उन्होंने कहा, ‘‘नीलांबुर में जीत टीम यूडीएफ की कड़ी मेहनत का नतीजा है।" उन्होंने कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में मोर्चा 100 से अधिक सीट के साथ सत्ता में वापसी करेगा और वर्तमान जीत इस दिशा में पहला कदम है।
सतीशन ने निर्वाचन क्षेत्र में सभी स्थानीय निकायों में यूडीएफ को मिली बढ़त का हवाला देते हुए कहा कि नीलांबुर में यूडीएफ के राजनीतिक वोट आधार को कोई भी नहीं छू सकता है।
विपक्ष के नेता सतीशन ने कहा, ‘‘सभी वर्गों के लोगों ने यूडीएफ को वोट दिया है। नीलांबुर में उपचुनाव में एलडीएफ (वाम लोकतांत्रिक मोर्चा) और यूडीएफ के बीच राजनीतिक मुकाबला देखा गया।’’
उपचुनाव में "अनवर प्रभाव" के बारे में पूछे जाने पर सतीशन ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। पी वी अनवर दो बार के विधायक हैं और निर्दलीय उम्मीदवार थे।
अनवर ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए आरोप लगाया था कि वह सतीशन ही थे, जिन्होंने उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को यूडीएफ में शामिल होने से रोका था।
पत्रकारों द्वारा पूछे गए इस प्रश्न के उत्तर में कि क्या अनवर के कांग्रेस-नीत मोर्चे में शामिल होने से शौकत का वोट और अधिक हो सकता था, उन्होंने कहा कि यह कोई व्यक्तिगत निर्णय नहीं था, बल्कि संपूर्ण यूडीएफ नेतृत्व द्वारा लिया गया सामूहिक निर्णय था।
यूडीएफ और एलडीएफ दोनों को आश्चर्यचकित करते हुए, निर्दलीय उम्मीदवार एवं अब तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश संयोजक अनवर ने उपचुनाव में 19,760 वोट हासिल किए।
हालांकि, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख सनी जोसेफ ने कहा कि जिस व्यक्ति को इतनी उल्लेखनीय संख्या में वोट मिले हों, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
जोसेफ ने हालांकि इस सवाल का सीधे तौर पर जवाब नहीं दिया कि क्या अनवर को यूडीएफ में शामिल किया जाएगा, लेकिन कहा कि राजनीति में कोई भी दरवाजा स्थायी रूप से बंद नहीं होता और यहां तक कि बंद दरवाजे भी खोले जा सकते हैं।
जहां कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने शौकत की जीत को "मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के कुशासन के खिलाफ जनता का फैसला" बताया, वहीं यूडीएफ के वरिष्ठ नेता पी के कुन्हालीकुट्टी और रमेश चेन्निथला ने कहा कि यह "सत्ता विरोधी लहर" का सबूत है।
चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया जताते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रदेश सचिव एम वी गोविंदन ने कहा कि मार्क्सवादी पार्टी नीलांबुर में जनता के फैसले को स्वीकार करती है और किसी भी गलती को सुधार करके आगे बढ़ेगी।
यूडीएफ को वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया द्वारा दिए गए समर्थन की ओर परोक्ष तौर पर इशारा करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि यूडीएफ ने नीलांबुर उपचुनाव में सांप्रदायिक ताकतों के समर्थन से वोट हासिल किए हैं।
वेलफेयर पार्टी जमात-ए-इस्लामी हिंद द्वारा समर्थित एक राजनीतिक संगठन है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यूडीएफ की जीत सांप्रदायिक वोट के समर्थन से हुई है।’’
गोविंदन ने यूडीएफ नेताओं के इस दावे को भी खारिज किया कि जीत राज्य में व्याप्त सत्ता-विरोधी भावनाओं को दर्शाती है।
अनवर ने अपने प्रदर्शन पर खुशी जताते हुए मीडिया से कहा कि उन्हें 30,000 वोट की उम्मीद थी। उन्होंने यूडीएफ से आग्रह किया कि वह लोगों के सामने आने वाले मुद्दों को उठाए और उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करे।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह यूडीएफ के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘यह यूडीएफ नेतृत्व को तय करना है। मैं उपलब्ध हूं।’’
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवार मोहन जॉर्ज की उनके "अच्छे प्रदर्शन" के लिए प्रशंसा की।
उन्होंने कहा, ‘‘जब चुनाव परिणाम सामने आए, तो निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा का आधार वोट स्थिर रहा। हालांकि उपचुनावों में वोट में गिरावट आती है, लेकिन नीलांबुर में हमारे वोट प्रतिशत में वृद्धि भाजपा के प्रचार अभियान की सफलता को दर्शाती है।’’
उन्होंने दावा किया कि भाजपा इस उपचुनाव में अपने वोट की संख्या बढ़ाने वाली एकमात्र पार्टी थी।
चंद्रशेखर ने एक बयान में यह भी आरोप लगाया कि नीलांबुर उपचुनाव में यूडीएफ की जीत जमात-ए-इस्लामी सहित इस्लामी चरमपंथी संगठनों की है।
उन्होंने कहा, ‘‘नीलांबुर में वोट हासिल करने के लिए दोनों मोर्चों द्वारा की जा रही मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति आने वाले दिनों में लोगों के सामने उजागर हो जाएगी।"
भाषा
अमित