ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के सख्त रुख को दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया: मोदी
वैभव पवनेश
- 24 Jun 2025, 04:22 PM
- Updated: 04:22 PM
नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने आतंकवाद के खिलाफ भारत का सख्त रुख दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है और उनकी सरकार राष्ट्रीय हित में जो भी कदम उचित हों, उठाती है।
आध्यात्मिक संत और समाज सुधारक श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी के बीच बातचीत के शताब्दी समारोह के अवसर पर मोदी ने देश का नाम लिए बिना कहा कि भारत में निर्मित हथियारों ने पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान अपना प्रभाव दिखाया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने दिखाया है कि भारतीयों का खून बहाने वाले आतंकवादियों के लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने आध्यात्मिक संत श्री नारायण गुरु के आदर्शों पर काम किया है, जो भेदभाव से मुक्त मजबूत भारत चाहते थे।
मोदी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में उनकी सरकार ने सामाजिक, आर्थिक और रक्षा क्षेत्रों में भारत को मजबूत बनाने के लिए काम किया है।
उन्होंने कहा कि अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता कम हो रही है और यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है।
प्रधानमंत्री ने पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा नागरिकों की हत्या के बाद पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर किए गए सटीक हमलों के संदर्भ में कहा कि भारतीय सेना ने 22 मिनट में भारत में निर्मित हथियारों से दुश्मन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।
उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि भविष्य में भारत में निर्मित हथियारों को दुनिया भर में सराहा जाएगा।
प्रधानमंत्री ने आवास, पेयजल और स्वास्थ्य बीमा सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि इनसे समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में, इससे पहले की तुलना में अधिक संख्या में आईआईटी, आईआईएम और एम्स जैसे संस्थान खोले गए हैं।
मोदी ने कहा कि देश दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।
उन्होंने कहा, ‘‘नारायण गुरु ने सभी तरह के भेदभाव से मुक्त समाज की परिकल्पना की थी। आज, देश भेदभाव की प्रत्येक संभावना को समाप्त करने के लिए काम कर रहा है।’’
उन्होंने कहा कि ‘स्किल इंडिया’ जैसे मिशन युवाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बना रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब भी वह समाज के वंचित, शोषित और पिछड़े वर्गों की बेहतरी के लिए बड़े फैसले लेते हैं, तो समाज सुधारक को याद करते हैं।
पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के कई दशक होने के बावजूद, एक दशक पहले तक लाखों नागरिक बेहद कठिन परिस्थितियों में रहने को मजबूर थे।
उन्होंने कहा कि करोड़ों परिवारों के पास आश्रय नहीं था और लाखों गांवों में स्वच्छ पेयजल नहीं पहुंच रहा था, जबकि स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण छोटी-मोटी बीमारियों का भी इलाज नहीं हो पाता था।
मोदी ने कहा कि गरीब लोग और महिलाएं बुनियादी मानवीय गरिमा से वंचित थीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं ने इन चिंताओं को दूर किया है और अब समाज के सबसे निचले पायदान पर रहने वालों को भी नई उम्मीद मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘ये पहल न केवल उनके जीवन को बदल रही हैं, बल्कि उन्हें राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका भी दे रही हैं।’’
मोदी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, जो शिक्षा को आधुनिक और अधिक समावेशी बनाती है, का सबसे बड़ा लाभार्थी वर्ग समाज के वंचित और हाशिए पर पड़े लोग हैं, क्योंकि यह मातृभाषा में सीखने को बढ़ावा देती है।
उन्होंने कहा कि नारायण गुरु के आदर्श मानवता के लिए महान खजाना हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का चेहरा रहे महात्मा गांधी और नारायण गुरु के बीच बातचीत एक ऐतिहासिक घटना थी, जिसने स्वतंत्रता के लिए आंदोलन को एक नई दिशा दी और इसे ठोस उद्देश्य प्रदान किए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसने सामाजिक सद्भाव और विकसित भारत के सामूहिक लक्ष्यों के लिए ऊर्जा के एक शक्तिशाली स्रोत के रूप में कार्य किया।
मोदी ने शिवगिरी मठ के साथ अपने लंबे जुड़ाव का जिक्र किया, जिसकी स्थापना नारायण गुरु ने की थी। उन्होंने कहा कि जब 2013 में प्राकृतिक आपदा के बाद केदारनाथ में मठ के सदस्य और अनुयायी फंस गए थे, उस समय वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो मठ ने केंद्र सरकार की बजाय उनसे मदद मांगी, क्योंकि वे उन्हें अपना मानते थे।
उन्होंने कहा कि गुरु ने ‘मानवता के लिए एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर’ के मंत्र का समर्थन किया।
मोदी ने कहा कि इस मंत्र ने उनकी सरकार की अनेक पहलों के लिए प्रेरणा दी जिनमें ‘एक विश्व, एक स्वास्थ्य’, ‘एक सूर्य, एक पृथ्वी, एक ग्रिड’ और गत 21 जून को आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ शामिल हैं।
एक सरकारी बयान में कहा गया कि नारायण गुरु और महात्मा गांधी के बीच ऐतिहासिक बातचीत 12 मार्च, 1925 को शिवगिरी मठ में हुई थी।
भाषा वैभव