असम में 2000-2023 के दौरान 1,209 हाथियों की मौत हुई: डब्ल्यूआईआई रिपोर्ट
पारुल वैभव
- 09 Jul 2025, 07:58 PM
- Updated: 07:58 PM
गुवाहाटी, नौ जुलाई (भाषा) असम में साल 2000 से 2023 के बीच मानव-हाथी संघर्ष में 1,400 से अधिक लोग मारे गए। इस अवधि में राज्य में 1,209 हाथियों की भी जान गई, जिनमें से सर्वाधिक 626 की मौत मानवजनित गतिविधियों के कारण हुई। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की रिपोर्ट से यह बात सामने आई है।
हाल ही में जारी की गई इस रिपोर्ट में बिजली के झटके को मानव-जनित मौत का प्रमुख कारण बताया गया है, जिससे 23 साल की अवधि में 209 हाथियों की जान गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में हाथियों की अप्राकृतिक मौत के अन्य प्रमुख कारणों में दुर्घटनावश मौत (127), मानवीय गतिविधियों से पड़ने वाले अन्य प्रभाव (97), ट्रेन की चपेट में आना (67), अवैध शिकार (55), विषाक्तता (62), प्रतिशोध में मारना (5) और वाहनों की टक्कर (4) शामिल हैं।
इसमें कहा गया है कि 2000 से 2023 के बीच प्राकृतिक कारणों से हुई 583 मौतों में से सबसे अधिक 344 मौत प्राकृतिक थीं, जिनके लिए वृद्धावस्था, हृदयाघात, मृत शावक का जन्म, डूबना, आकाशीय बिजली की चपेट में आना और पहाड़ियों से गिरना आदि जिम्मेदार है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में क्षेत्रीय संघर्ष के कारण 81 हाथियों, जबकि प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न अज्ञात कारकों से 158 हाथियों की जान गई।
इसमें कहा गया है कि सबसे ज्यादा हाथियों की मौत नागांव, सोनितपुर पश्चिम, धनसिरी और कार्बी आंगलोंग पूर्व में हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वयस्क नर हाथी, जो हाथियों की आबादी के पारिस्थितिकीय आधार हैं, मानवजनित कारकों, खास तौर पर बिजली का झटका लगने और प्रतिशोधात्मक कारणों से सबसे अधिक प्रभावित हुए।
इसमें कहा गया है कि रेलवे पटरियों का विस्तार, खराब रखरखाव वाली बिजली लाइनें, बाड़ लगाने के लिए वितरण लाइनों से बिजली का अवैध इस्तेमाल हाथियों की मौत के लिए जिम्मेदार अन्य महत्वपूर्ण कारकों में शामिल है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2000 से 2023 के बीच असम में मानव-हाथी संघर्ष की 1,806 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 1,468 लोगों की मौत हुई और 337 अन्य घायल हुए।
प्रभाग वार विश्लेषण से पता चला कि मानव-हाथी संघर्ष में लोगों के हताहात होने के सबसे ज्यादा मामले सोनितपुर पश्चिम (110 लोगों की मौत, 92 घायल) में दर्ज किए गए, जिसके बाद गोलपारा (175 मौतें), उदलगुरी (168 मौतें, 34 घायल), सोनितपुर पूर्व (156 मौतें, 21 घायल) और गोलाघाट (110 मौतें, 92 घायल) का स्थान आता है।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में 527 गांव मानव-हाथी संघर्ष से प्रभावित हुए हैं, जिनमें ग्वालपाड़ा में सबसे अधिक प्रभावित गांव (80) हैं। सोनितपुर पश्चिम में 53, सोनितपुर पूर्व में 51 और उदलगुरी में 39 गांव में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं हुईं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून के मौसम में मानव-हाथी संघर्ष के सबसे ज्यादा मामले सामने आए। इसमें कहा गया है कि सभी मौसमों में नर हाथियों से जुड़ी घटनाएं अधिक दर्ज की गईं।
भाषा पारुल