राष्ट्रव्यापी हड़ताल: पश्चिम बंगाल में छिटपुट हिंसा, हालात रहे सामान्य
जितेंद्र वैभव
- 09 Jul 2025, 08:25 PM
- Updated: 08:25 PM
नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) केंद्र सरकार की श्रम नीतियों के विरोध में कई ट्रेड यूनियन द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल के कारण देश के अधिकांश हिस्सों में जनजीवन प्रभावित नहीं हुआ हालांकि पश्चिम बंगाल से छिटपुट हिंसा की कुछ घटनाएं सामने आईं।
ट्रेड यूनियन ने दावा किया कि हड़ताल सफल रही और बड़ी संख्या में कर्मचारी काम पर नहीं पहुंचे, जिससे डाक, बैंकिंग, बीमा और खनन क्षेत्रों पर असर पड़ा।
आंदोलन हालांकि कुल मिलाकर शांतिपूर्ण रहा लेकिन पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में वामपंथी कार्यकर्ताओं और पुलिस व तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) समर्थकों के बीच झड़प के बाद हिंसा की खबरें आईं।
दस ट्रेड यूनियन के एक संगठन ने एक बयान में कहा कि पुडुचेरी, असम, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, गोवा, मेघालय और मणिपुर जैसे देश के कई राज्यों में बंद जैसी स्थिति रही।
वहीं राजस्थान, हरियाणा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कई हिस्सों में भी आंशिक बंद की खबरें सामने आईं।
बयान के मुताबिक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात में औद्योगिक व क्षेत्रीय हड़तालें हुईं।
बयान के मुताबिक, ट्रेड यूनियनों ने चार श्रम संहिताओं को खत्म करने, ठेकाकरण, सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण रोकने, न्यूनतम मजदूरी बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करने, साथ ही स्वामीनाथन आयोग के ‘सी2 प्लस 50’ प्रतिशत के फॉर्मूले के आधार पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसानों की कर्ज माफी की किसान संगठनों की मांगों के समर्थन में एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया था।
संगठन ने पिछले वर्ष श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को 17 सूत्री मांग सौंपी थीं।
मंच ने दावा किया कि सरकार पिछले 10 वर्षों से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं कर रही है।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को बाजार खुले रहे और बंद का व्यावसायिक गतिविधियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने कहा, “दिल्ली के सभी 700 बाजार और 56 औद्योगिक क्षेत्रों में कामकाज सामान्य रहा।”
मंच ने बताया कि दिल्ली में यूनियनों ने औद्योगिक क्षेत्रों में जुलूस निकालने के बाद जंतर-मंतर पर एक जनसभा की, जिसे राष्ट्रीय नेताओं ने संबोधित किया।
केरल, झारखंड और पुडुचेरी में कुछ चुनिंदा सेवाओं पर हड़ताल के असर की खबरें सामने आईं।
शुरुआत में 20 मई को हड़ताल का आह्वान किया गया था लेकिन पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद इसे पुनर्निर्धारित किया गया।
दस ट्रेड यूनियनों में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हैं।
मंच ने दावा किया था कि नए श्रम संहिताओं और अन्य मुद्दों के विरोध में 25 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को ‘हड़ताल’ के लिए संगठित किया जा रहा है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) शासित केरल के कई हिस्से हड़ताल के कारण ठप रहे।
राज्य में ट्रेड यूनियनों और वामपंथी संगठनों ने हड़ताल का पुरजोर समर्थन किया।
पुडुचेरी में हड़ताल के कारण निजी बसें, ऑटो और टेम्पो सड़कों से नदारद रहे।
सूत्रों के अनुसार, एहतियात के तौर पर निजी विद्यालयों के प्रबंधन ने छुट्टी घोषित कर दी और दुकानें, प्रतिष्ठान, सब्जी व मछली बाजार बंद रहे।
ट्रेड यूनियनों और वाहन चालकों के संघों की हड़ताल के कारण बुधवार को राजधानी भुवनेश्वर समेत ओडिशा के विभिन्न हिस्सों में वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई।
असम में बुधवार को चाय बागान श्रमिकों सहित कई यूनियनों के सदस्यों ने राज्य भर में प्रदर्शन किया, जिसकी वजह से व्यावसायिक वाहन सड़कों से नदारद रहे।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और राष्ट्रीय महासंघों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी ‘चक्का जाम’ के तहत बुधवार को असम और मेघालय के बीच पर्यटक टैक्सी सेवाएं स्थगित कर दी गईं।
इस हड़ताल के कारण हरियाणा के कुछ स्थानों पर रोडवेज बसों की सामान्य आवाजाही प्रभावित हुई।
हिसार, भिवानी, कैथल और कुरुक्षेत्र जैसे स्थानों पर राज्य परिवहन की सामान्य आवाजाही प्रभावित हुई।
रोडवेज कर्मचारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में बस अड्डों पर धरना दिया।
कर्नाटक में जनजीवन ज्यादातर प्रभावित नहीं हुआ हालांकि, हड़ताल के मद्देनजर कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए।
‘ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन’ ने दावा किया कि निजीकरण के विरोध में देश भर में 27 लाख से ज्यादा बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतरे।
विपक्षी माकपा ने बुधवार को दावा किया कि 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत और वामपंथी दलों द्वारा समर्थित हड़ताल को पश्चिम बंगाल में मजदूर वर्ग से जबरदस्त समर्थन मिला।
माकपा की पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव मोहम्मद सलीम ने दावा किया कि बैंकिंग, बीमा, परिवहन क्षेत्र और फैक्टरी मजदूरों ने हड़ताल में भारी भागीदारी दिखाई।
मध्यप्रदेश बैंक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मोहनकृष्ण शुक्ला ने दावा किया कि राज्य भर की लगभग 8,700 बैंक शाखाओं के लगभग 40,000 कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए।
इस हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र के 11 बैंकों और कुछ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के कर्मचारी शामिल हुए।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ, अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ और भारतीय बैंक कर्मचारी महासंघ ने भी अखिल भारतीय हड़ताल का समर्थन किया, जिससे देश के कुछ हिस्सों में सेवाएं बाधित हुईं।
निजी क्षेत्र के बैंकों और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे कई बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर हालांकि हड़ताल का कोई असर नहीं पड़ा।
एआईबीईए के महासचिव सीएच वेकटचलम ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हमारी जानकारी के अनुसार, हड़ताल के कारण आज राष्ट्रीय बैंकों में चेक का समाशोधन प्रभावित होगा। लगभग 20 लाख करोड़ रुपये के लगभग चार करोड़ चेक के समाशोधन में एक दिन की देरी हुई।”
उन्होंने बताया कि जहां तक बीमा क्षेत्र का सवाल है, अखिल भारतीय एलआईसी कर्मचारी महासंघ और अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ ने हड़ताल में भाग लिया।
अखिल भारतीय एलआईसी कर्मचारी महासंघ के संयुक्त सचिव पी. विजय कुमार ने कहा कि हड़ताल के आह्वान के कारण एलआईसी के संचालन के संबंध में तीन क्षेत्रों में प्रभाव दिखाई दिया।
उन्होंने कहा कि हड़ताल के कारण ‘प्रीमियम कलेक्शन’, दावा निपटान और पॉलिसी सेवा प्रभावित हुई।
भाषा जितेंद्र