राजस्थान: मुख्यमंत्री ने सरकारी विद्यालयों की मरम्मत के काम को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया
पृथ्वी जितेंद्र
- 26 Jul 2025, 05:33 PM
- Updated: 05:33 PM
जयपुर, 26 जुलाई (भाषा) राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अधिकारियों को राजकीय संस्थानों, विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी भवनों के मरम्मत संबंधी कार्यों को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है। एक आधिकारिक बयान में शनिवार को यह जानकारी दी गयी।
बयान में बताया गया कि मुख्यमंत्री ने इस संबंध में डांग, मगरा, मेवात क्षेत्रीय विकास योजना के तहत मरम्मत के लिए अनुमत राशि को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।
बयान के अनुसार, शर्मा ने झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव राजकीय विद्यालय में हुई छत गिरने की घटना पर संज्ञान लेते हुए यह फैसला किया।
शुक्रवार को पीपलोदी के सरकारी स्कूल की इमारत का एक हिस्सा ढहने से सात बच्चों की मौत हो गई और 27 अन्य बच्चे घायल हो गए।
मुख्यमंत्री शर्मा ने जीर्ण-क्षीर्ण, मरम्मत योग्य राजकीय संस्थानों, विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी भवनों के मरम्मत संबंधी कार्य प्राथमिकता से करवाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद अब विधायक भी स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत किसी भी योजना से निर्मित राजकीय संस्थानों, विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी भवनों के मरम्मत संबंधी कार्यों के लिए अपने वार्षिक आवंटन की 20 प्रतिशत राशि की अनुशंसा कर सकेंगे।
पहले विधायक निधि में निर्मित भवनों की मरम्मत का काम ही इस कोष से करवाया जा सकता था।
मुख्यमंत्री शर्मा ने सभी विधायकों से पुराने और जर्जर सरकारी विद्यालयों के भवनों की मरम्मत एवं रखरखाव के लिए प्राथमिकता से राशि की अनुशंसा करने का आग्रह किया।
बयान के अनुसार, राज्य सरकार ने इस वर्ष बजट में जर्जर विद्यालयों के नवीन भवनों के निर्माण और मरम्मत के लिए 375 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था।
सरकार द्वारा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में मरम्मत कार्यों के लिए तीन करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं और इन रुपयों से सरकारी विद्यालयों, राजकीय संस्थानों और आंगनबाड़़ी भवनों के मरम्मत के काम करवाए जा सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक कर जिलाधिकारियों एवं संबंधित विभागों को विद्यालयों, अस्पतालों सहित सभी सरकारी इमारतों का तत्काल निरीक्षण कर मरम्मत कार्य करवाने के निर्देश दिए थे।
साथ ही, विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर पांच दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया था।
भाषा पृथ्वी