बुकर पुरस्कार विजेता किरण देसाई अपने बहुप्रतीक्षित उपन्यास के साथ फिर इस अवॉर्ड की दौड़ में
पारुल दिलीप
- 29 Jul 2025, 09:41 PM
- Updated: 09:41 PM
लंदन, 29 जुलाई (भाषा) बुकर पुरस्कार से सम्मानित भारतीय लेखिका अपने बहुप्रतीक्षित उपन्यास ‘द लोनलीनेस ऑफ सनी एंड सोनिया’ के जरिये मंगलवार को एक बार फिर इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की दौड़ में शामिल हो गईं।
साल 2006 में ‘द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस’ के लिए बुकर पुरस्कार जीतने वाली देसाई ने लगभग दो दशक के अंतराल के बाद कोई उपन्यास लिखा है।
‘द लोनलीनेस ऑफ सनी एंड सोनिया’ अमेरिका में कदम रखने वाले दो युवा भारतीयों की कहानी बयां करने वाला 677 पन्नों का उपन्यास है। इसका प्रकाशन हैमिश हेमिल्टन ने किया है। यह उन 13 रचनाओं में से एक है, जिनके नाम की घोषणा 50,000 ब्रिटिश पाउंड की पुरस्कार राशि वाले प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार की दौड़ में शामिल उपन्यासों के रूप में की गई।
अन्य दावेदारों में चार महाद्वीपों के नौ देशों के उपन्यास शामिल हैं। सितंबर तक इनमें से छह उपन्यासों को बुकर पुरस्कार के लिए चुना जाएगा।
निर्णायक मंडल ने ‘द लोनलीनेस ऑफ सनी एंड सोनिया’ को अमेरिका में रहने वाले दो युवा भारतीयों की एक “दिल छू ले वाली बेहद आकर्षक” कहानी बताया।
‘बुकर प्राइज फाउंडेशन’ के मुताबिक, ‘द लोनलीनेस ऑफ सनी एंड सोनिया’ बुकर पुरस्कार की होड़ में शामिल सबसे लंबा (677 पन्ने), जबकि ब्रिटिश लेखिका नताशा ब्राउन का ‘यूनिवर्सैलिटी’ सबसे छोटा (156 पन्ने) उपन्यास है।
उसने कहा, “देसाई ने ‘द लोनलीनेस ऑफ सोनिया एंड सनी’ लिखने में लगभग 20 साल बिता दिए। अगर वह इस साल जीत जाती हैं, तो उनके नाम बुकर पुरस्कार के 56 साल के इतिहास में इस सम्मान को दो बार हासिल करने वाली पांचवीं विजेता बनने की उपलब्धि जुड़ जाएगी।”
‘बुकर प्राइज फाउंडेशन’ ने कहा, “देसाई इस पुरस्कार के लिए नामित की जाने वाली अपनी परिवार की अकेली सदस्य नहीं हैं। उनकी मां अनीता देसाई तीन बार बुकर पुरस्कार के दावेदारों में शामिल रह चुकी हैं।”
साल 2025 के बुकर पुरस्कार के लिए कुल 153 आवेदन आए थे। इनमें किसी भी राष्ट्रीयता के लेखकों द्वारा अंग्रेजी में लिखे गए और ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ कृतियां शामिल थीं।
बुकर पुरस्कार 2025 के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष रॉडी डॉयल ने कहा, “बुकर पुरस्कार की दौड़ में शामिल 13 उपन्यास पाठकों को हंगरी, अल्बानिया, उत्तरी इंग्लैंड, मलेशिया, यूक्रेन, कोरिया, लंदन, न्यूयॉर्क, त्रिनिदाद, यूनान और भारत में जीवन के विभिन्न रंगों की यात्रा पर ले जाते हैं।”
उन्होंने कहा, “कुछ उपन्यास छोटे हैं और कुछ बहुत लंबे। कुछ उपन्यास ऐसे हैं, जो लेखन शैली के साथ प्रयोग करते हैं और कुछ ऐसे हैं, जो पारंपरिक शैली पर आधारित हैं। कुछ उपन्यास अतीत की पड़ताल करते हैं और कुछ हमारे अस्थिर वर्तमान पर प्रहार करते हैं। बेहतरीन पात्र और आश्चर्यजनक कथानक इन सभी को जीवंत बनाता है। सभी किसी न किसी तरह, व्यक्तिगत या राष्ट्रीय पहचान की पड़ताल करते हैं और मुझे लगता है कि सभी मनोरंजक और उत्कृष्ट हैं।”
बुकर पुरस्कार की दौड़ में ‘द लोनलीनेस ऑफ सनी एंड सोनिया’ और ‘यूनिवर्सैलिटी’ का मुकाबला त्रिनिदाद की लेखिका क्लेयर एडम के उपन्यास ‘लव फॉर्म्स’, मलेशियाई लेखक तैश ऑव के ‘द साउथ’, कनाडाई-यूक्रेनी लेखिका मारिया रेवा के ‘एंडिंग’, ब्रिटिश-हंगरी लेखक डेविड जैले के ‘फ्लेश’, अमेरिकी-अल्बानियाई लेखिका लेडिया शोगा के ‘मिसइंटरप्रिटेशन’, ब्रिटिश लेखक जोनाथन के ‘वन बोट’, एंड्रयू मिलर के ‘द लैंड इन विंटर’ और बेंजामिन वुट के ‘सी स्क्रैपर’ तथा अमेरिकी लेखिका सुजैन चोई के ‘फ्लैशफ्लाइट’, केटी किटामुरा के ‘ऑडिशन’ व बेन मेर्कोविट्स के ‘द रेस्ट ऑफ आवर लाइव्स’ से है।
बुकर पुरस्कार के विजेता उपन्यास की घोषणा 10 नवंबर को लंदन के ओल्ड बिलिंग्सगेट में आयोजित होने वाले एक भव्य समारोह में की जाएगी।
भाषा पारुल