मणिपुर में एके 56 राइफल सहित 11 हथियार सौंपे गए
यासिर मनीषा
- 24 Feb 2025, 10:32 AM
- Updated: 10:32 AM
इंफाल, 24 फरवरी (भाषा) मणिपुर के थौबल और इंफाल पूर्वी जिलों में लोगों ने एके 56 राइफल सहित कम से कम 11 हथियार सौंप दिए। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि रविवार को थौबल जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय में लोगों ने एक एसएमजी कार्बाइन सहित मैगजीन, एक आंसूगैस गन, दो स्नाइपर राइफल, एक डबल बैरल गन, एक सिंगल बैरल गन, एक .38 एमएम पिस्तौल, दो इंच के दो मोर्टार शेल, दो इंप्रोवाइज्ड आईईडी, सात हैंड ग्रेनेड सहित सात आग्नेयास्त्र उन्हें सौंप दिये ।
उन्होंने बताया कि रविवार को इंफाल पूर्व जिला एसपी कार्यालय में लोगों ने एक एके 56 राइफल तथा मैगजीन, एक एमएएस सीरीज बोल्ट एक्शन स्नाइपर राइफल तथा एक 303 राइफल सहित तीन आग्नेयास्त्र सौंपे।
इंफाल पूर्वी जिले में दो हथगोले और 44 कारतूस भी सौंपे गए।
इंफाल थाने में सोमवार को एक 9 एमएम कार्बाइन ए1 भी सौंपी गयी।
इस दौरान चुराचांदपुर जिले के लांगजा इलाके में रविवार को तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने एक .303 राइफल, मैगजीन, तीन सिंगल बैरल (देशी) बंदूक, 81 मिमी का एक मोर्टार (पंपी), तीन आईईडी, गोला-बारूद और तीन इम्प्रोवाइज्ड बम जब्त किए।
मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने 20 फरवरी को संघर्षग्रस्त राज्य के लोगों से, लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को सात दिनों के भीतर स्वेच्छा से सौंपने का आग्रह किया था। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया था कि इस अवधि के दौरान हथियार सौंपने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
हालांकि, भल्ला ने कहा कि सात दिन की अवधि पूरी हो जाने के बाद भी हथियारों को नहीं सौपने पर ‘कड़ी कार्रवाई’ की जाएगी।
उन्होंने बृहस्पतिवार को जारी एक अपील में कहा, ‘‘मणिपुर के घाटी और पहाड़ी दोनों इलाकों के लोगों को पिछले 20 महीनों से शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को प्रभावित करने वाली दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।’’
मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगाया गया और विधानसभा को निलंबित कर दिया गया था, जिसके कुछ दिनों बाद एन. बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार का नेतृत्व कर रहे सिंह ने लगभग 21 महीने की जातीय हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। राज्य में जातीय हिंसा के बीच अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
भाषा यासिर