महाकुंभ था ‘सबका प्रयास’ का साक्षात स्वरूप, निकला ‘एकता का अमृत’ : प्रधानमंत्री मोदी
हक मनीषा
- 18 Mar 2025, 01:25 PM
- Updated: 01:25 PM
नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए ‘महाकुंभ’ को भारत के इतिहास में अहम मोड़ करार देते हुए मंगलवार को लोकसभा में कहा कि दुनिया ने देश के विराट स्वरूप को देखा और यह ‘सबका प्रयास’ का साक्षात स्वरूप भी था, जिसमें ‘एकता का अमृत’ समेत कई अमृत निकले।
उन्होंने निचले सदन में प्रयागराज महाकुंभ को लेकर दिए एक वक्तव्य में यह भी कहा कि महाकुंभ में अनेकता में एकता का विराट रूप, देश की सामूहिक चेतना और सामर्थ्य भी दिखा।
प्रधानमंत्री ने निचले सदन में विपक्षी सदस्यों की टोका-टोकी के बीच कहा, ‘‘आज मैं इस सदन के माध्यम से कोटि-कोटि देशवासियों को नमन करता हूं, जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ। महाकुंभ की सफलता में अनेक लोगों का योगदान है। मैं सरकार के, समाज के सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन करता हूं। मैं देशभर के श्रद्धालुओं को, उत्तर प्रदेश की जनता विशेषतौर पर प्रयागराज की जनता का धन्यवाद करता हूं।’’
उनके मुताबिक, यह जनता जनार्दन का, जनता जनार्दन के संकल्पों के लिए जनता जनार्दन की श्रद्धा से प्रेरित महाकुंभ था।
मोदी ने कहा, ‘‘हम सब जानते हैं, गंगा जी को धरती पर लाने के लिए एक भगीरथ प्रयास हुआ था, वैसा ही महाप्रयास इस महाकुंभ के भव्य आयोजन में भी हमने देखा है। मैंने लाल किले से ‘सबका प्रयास’ के महत्व पर जोर दिया था। पूरे विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘सबका प्रयास’ का यही साक्षात स्वरूप है।
उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले वर्ष, अयोध्या के राम मंदिर में हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हमने महसूस किया था कि कैसे देश एक हजार वर्षों के लिए तैयार हो रहा है। इसके ठीक एक साल बाद, महाकुंभ के आयोजन ने हम सबके इस विचार को और दृढ़ किया है। देश की यह सामूहिक चेतना देश का सामर्थ्य बताती है।
मोदी ने कहा, ‘‘हमने करीब डेढ़ महीने तक, भारत में महाकुंभ का उत्साह देखा, उमंग को अनुभव किया। कैसे सुविधा, असुविधा की चिंता से ऊपर उठते हुए, कोटि-कोटि श्रद्धालु श्रद्धा भाव से जुटे, यह हमारी बहुत बड़ी ताकत है। जब अलग-अलग भाषा, बोली बोलने वाले लोग संगम तट पर हर-हर गंगे का उद्घोष करते हैं, तो 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की झलक दिखती है, एकता की भावना बढ़ती है।’’
उन्होंने कहा कि महाकुंभ से बहुत से अमृत निकले हैं और ‘एकता का अमृत’ इसका बहुत पवित्र प्रसाद है।
उन्होंने कहा, ‘‘महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा, जिसमें देश के हर क्षेत्र से, हर कोने से आए लोग एक हो गए। लोग ‘अहं’ त्याग कर ‘वयं’ के भाव से, मैं नहीं हम की भावना से प्रयागराज में जुटे।’’
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘देश के इतिहास में कई ऐसे पल आए हैं जिन्होंने देश को नई दिशा दी और देश को झकझोर कर जागृत कर दिया।’’
मोदी ने स्वामी विवेकानंद के शिकागो सर्वधर्म सम्मेलन में दिए गए भाषण, गांधीजी के ‘दांडी मार्च’ और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ‘दिल्ली चलो’ का नारा देने जैसे ऐतिहासिक अवसरों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘मैं प्रयागराज महाकुंभ को भी ऐसे ही एक अहम पड़ाव के रूप में देखता हूं जिसमें जागृत होते भारत का प्रतिबिंब दिखा।’’
प्रधानमंत्री ने अपने हालिया मॉरीशस दौरे का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘यह उमंग, उत्साह यहीं तक सीमित नहीं था। बीते सप्ताह मैं मॉरीशस में था, मैं त्रिवेणी से महाकुंभ के समय का पावन जल लेकर गया था। जब उस पवित्र जल को मॉरीशस के गंगा तालाब में अर्पित किया गया, तब वहां जो श्रद्धा का, आस्था का, उत्सव का माहौल था, वह देखते ही बनता था।’’
उनके अनुसार, यह दिखाता है कि हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति, हमारे संस्कारों को आत्मसात करने की भावना कितनी प्रबल हो रही है।
मोदी ने कहा, ‘‘आज पूरे विश्व में जब बिखराव की स्थितियां हैं, उस दौर में एकजुटता का यह विराट प्रदर्शन हमारी ताकत है। अनेकता में एकता भारत की विशेषता है, यह हम हमेशा कहते आए हैं और इसी के विराट रूप का अनुभव हमने प्रयागराज महाकुंभ में किया है।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘हमारा दायित्व है, अनेकता में एकता की इसी विशेषता को हम निरंतर समृद्ध करते रहें।’’
प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कहा कि महाकुंभ से प्रेरणा लेते हुए हमें नदी उत्सव की परंपरा को नया विस्तार देना होगा, हमें इस बारे में जरूर सोचना चाहिए जिससे वर्तमान पीढ़ी को पानी का महत्व समझ में आएगा और नदियों की साफ-सफाई के साथ-साथ नदियों की रक्षा भी होगी।
उन्होंने कहा कि भारत की नई पीढ़ी महाकुंभ से जुड़ी और यह युवा पीढ़ी आज गर्व के साथ अपनी आस्था और परंपराओं को अपना रही है।
प्रधानमंत्री का वक्तव्य पूरा होते ही विपक्षी सदस्यों ने नियमों का हवाला देते हुए और सवाल-जवाब की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि नियम 372 के तहत प्रधानमंत्री और मंत्री स्वेच्छा से वक्तव्य दे सकते हैं और कोई सवाल-जवाब नहीं होता है।
इस पर असंतोष जताते हुए विपक्षी सदस्य आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी करने लगे।
हंगामे के कारण बिरला ने दोपहर करीब 12.30 बजे सदन की कार्यवाही एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
भाषा हक वैभव
हक