किश्तवाड़ में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत किया गया, पीजीआई से विशेषज्ञ चिकित्सकों का दल बुलाया गया
सिम्मी मनीषा
- 15 Aug 2025, 08:06 AM
- Updated: 08:06 AM
जम्मू, 15 अगस्त (भाषा) जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने किश्तवाड़ जिले के एक दूरदराज के पहाड़ी गांव में बादल फटने से बड़े पैमाने पर हुई तबाही के बाद मरीजों की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करने के लिए अहम बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआई) चंडीगढ़ से विशेषज्ञ चिकित्सकों का एक दल चिकित्सकीय देखभाल में सहायता करने और गहन देखभाल क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज, जम्मू पहुंच रहा है।
किश्तवाड़ जिले के एक सुदूर पहाड़ी गांव चशोती में बृहस्पतिवार को बादल फटने से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआईएसएफ) के दो जवानों समेत कम से कम 46 लोगों की मौत हो गयी जबकि कई अन्य के अब भी फंसे होने की आशंका है।
मचैल माता मंदिर जाने वाले मार्ग में पड़ने वाले चशोती गांव में यह आपदा अपराह्न 12 बजकर 25 मिनट पर आई। जिस समय हादसा हुआ, उस समय मचैल माता मंदिर यात्रा के लिए वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र थे। यह यात्रा 25 जुलाई को आरंभ हुई थी और पांच सितंबर को समाप्त होनी थी।
साढ़े नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित मचैल माता मंदिर तक जाने के लिए श्रद्धालु चशोती गांव तक वाहन से पहुंच सकते हैं और उसके बाद उन्हें 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है। यात्रा शुक्रवार को दूसरे दिन भी निलंबित है।
चशोती गांव किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है। यहां श्रद्धालुओं के लिए लगाया गया एक लंगर (सामुदायिक रसोईघर) इस घटना से सबसे अधिक प्रभावित हुआ। बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आ गई और दुकानों एवं एक सुरक्षा चौकी सहित कई इमारतें बह गईं।
अब तक 167 घायलों को मलबे से बाहर निकाला गया है जबकि 69 लोगों के रिश्तेदारों ने उनके लापता होने की सूचना दी है। माना जा रहा है कि कई और लोग मलबे में फंसे हुए हैं। इस आपदा ने एक अस्थायी बाजार, लंगर स्थल और एक सुरक्षा चौकी को तहस-नहस कर दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि चशोती और निचले इलाकों में अचानक आई बाढ़ के कारण कम से कम 16 आवासीय मकान एवं सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पवन चक्की, 30 मीटर लंबा एक पुल तथा एक दर्जन से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के अनुसार, बादल फटने वाली जगह के नजदीक स्थित उप-जिला अस्पताल में 13 चिकित्सकों और 31 पराचिकित्सकों की अतिरिक्त तैनाती के साथ महत्वपूर्ण स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है।
उन्होंने बताया कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पद्दार में तैनात हैं और बचाव एवं चिकित्सा कार्यों की देखरेख कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि किश्तवाड़ के जिला अस्पताल में डोडा के सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) से एनेस्थेटिस्ट और सामान्य एवं आर्थोपेडिक सर्जन की अतिरिक्त तैनाती की गई है।
अधिकारियों ने बताया कि उच्च देखभाल संस्थानों को तैयार रखा गया है। उन्होंने बताया कि किश्तवाड़ जिला अस्पताल से रेफर किए जाने वाले मरीजों के प्रबंधन के लिए जीएमसी-डोडा में विशेषज्ञों की एक टीम तैयार की गई है।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि जीएमसी-जम्मू 50 समर्पित आपदा बिस्तर, 20 वेंटिलेटर बिस्तर और पांच ऑपरेशन थिएटर के साथ सेवाएं दे रहा है।
उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ चिकित्सा दलों को तैनात किया गया है। जीएमसी-जम्मू ब्लड बैंक ने 200 से अधिक यूनिट रक्त तैयार रखा है ताकि हर प्रकार की आपात स्थिति के लिए तैयार रहा जा सके।
अधिकारी ने बताया कि स्थिति से निपटने में सहायता के लिए पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ ने गहन देखभाल विशेषज्ञों और न्यूरोसर्जन की एक विशेष टीम जीएमसी-जम्मू भेजी है ताकि गंभीर रूप से घायल रोगियों की देखभाल की क्षमताओं को और बेहतर बनाया जा सके।
अधिकारी ने बताया कि घटना के तुरंत बाद स्वास्थ्य विभाग, एनएचपीसी (राष्ट्रीय जल विद्युत निगम), सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की 108 आपातकालीन सेवा की 65 एम्बुलेंस को बचाव कार्य और मरीजों को स्थानांतरित करने के लिए तैनात किया गया।
भाषा
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