भारत का विकास समावेशी और पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ होना चाहिए: राजनाथ सिंह
देवेंद्र रंजन
- 22 Jan 2025, 09:23 PM
- Updated: 09:23 PM
पथनमथिट्टा (केरल), 22 जनवरी (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि भारत का विकास समावेशी, समतापूर्ण, पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ और नैतिक रूप से वांछनीय होना चाहिए तथा केंद्र सरकार जलवायु अनुकूल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध है।
सिंह ने कहा कि देश तेजी से विकास कर रहा है और इसलिए इसकी खपत ‘‘आवश्यकता आधारित होना चाहिए न कि लालच आधारित’’ और इसके लिए स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए हमारे व्यवहार में बदलाव की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस्तेमाल करो और निपटान करो’’ वाली अर्थव्यवस्था को खत्म किये जाने की जरूरत है।
रक्षा मंत्री राज्य के पथनमथिट्टा जिले में कवयित्री, पर्यावरणविद् और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुगाथाकुमारी की 90वीं जयंती के मौके पर आयोजित एक समारोह के समापन कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक तेजी से विकास करने वाला देश है, लेकिन इसका विकास समावेशी, न्यायसंगत, पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ और नैतिक रूप से वांछनीय होना चाहिए।’’
उन्होंने सुगाथा कुमारी को न केवल एक कवयित्री बल्कि ‘‘समाज की चेतना की रक्षक’’ बताया, क्योंकि उनका काम ‘भावनात्मक सहानुभूति, मानवतावादी संवेदनशीलता और नैतिक सतर्कता से ओतप्रोत’’ था जो सामाजिक और पर्यावरणीय चिंताओं को उठाने का एक जरिया बन गया।
प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार के लिए नागरिकों के मौलिक कर्तव्य का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा कि मानवता को ‘‘प्राकृतिक संसाधनों का ट्रस्टी’’ होना चाहिए, लेकिन ‘‘कभी भी उसका स्वामी नहीं होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रकृति का कभी भी शोषण नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उसका सम्मान, पूजा और बिना किसी बर्बादी के उसका उपयोग किया जाना चाहिए। हम मनुष्यों को बुद्धिमान प्रजाति माना जाता है। लेकिन हमने अपनी यात्रा में कई गलत मोड़ लिए। शुक्र है कि हमारे पास सुगाथा कुमारी जी जैसे लोग थे जिन्होंने मां प्रकृति की सच्ची सेवा की।’’
रक्षा मंत्री ने पर्यावरण को बेहतर बनाने और सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न हरित पहल जैसे ‘मिशन लाइफ’, ‘प्रो-प्लैनेट पीपुल’, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, हरित ऋण कार्यक्रम और ‘एक पेड़ मां के नाम’ का उल्लेख किया।
उन्होंने दावा किया, ‘‘पर्यावरण को बचाने की हमारी प्रतिबद्धता ने सकारात्मक परिणाम देने शुरू कर दिए हैं। पिछले साल दिसंबर में जारी ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट’ से पता चला है कि देश का कुल वन और वृक्ष आवरण लगातार बढ़ रहा है।’’
उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तेजी से कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम जैसे राज्यों में हाल में आई बाढ़ जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप होने वाली चरम मौसम की घटनाओं के ज्वलंत उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘महाकुंभ 2025 में, वृक्षारोपण के लिए मियावाकी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। लाखों श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ हवा और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए प्रयागराज में विभिन्न स्थलों पर घने जंगल बनाए गए हैं।’’
रक्षा मंत्री ने कहा कि दुनिया भर की सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने कम कार्बन विकास रणनीति की ओर बढ़ने और जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए अभिनव समाधान निकालने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं।
भाषा
देवेंद्र