आयात से बचने को भारत को 2030 तक 10 करोड़ टन इस्पात उत्पादन क्षमता जोड़ने की जरूरत:सचिव
निहारिका अजय
- 31 Jan 2025, 02:01 PM
- Updated: 02:01 PM
नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) इस्पात सचिव संदीप पौंड्रिक ने शुक्रवार को कहा कि भारत को आयात पर निर्भरता से बचने के लिए 2030 तक इस्पात निर्माण क्षमता में 10 करोड़ टन की वृद्धि का लक्ष्य रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर इस्पात की मांग में गिरावट और क्षमता से अधिक उत्पादन ने घरेलू उद्योग को प्रभावित किया है।
अधिकारी ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय राजधानी में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में की।
उन्होंने कहा कि एक प्राथमिकता अधिक क्षमता सृजित करना है। भारत में वर्तमान में करीब 20 करोड़ टन इस्पात उत्पादन क्षमता है। चालू वित्त वर्ष में इसमें लगभग दो करोड़ टन की वृद्धि की गई है।
पौंड्रिक ने ‘इस्पात क्षेत्र के नजरिये से 2047 में भारत के विकसित बनने’ के विषय पर आयोजित सत्र में कहा, ‘‘ इसलिए हमें अगले छह वर्षों में 10 करोड़ टन क्षमता और जोड़नी होगी। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं, तो हम मूल रूप से आयात पर निर्भर हो जाएंगे।’’
राष्ट्रीय इस्पात नीति (एनएसपी) 2017 के अंतर्गत सरकार ने 2030 तक भारत की समग्र इस्पात विनिर्माण क्षमता को 30 करोड़ टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
सचिव ने कहा कि एक अन्य प्राथमिकता घरेलू इस्पात उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाए रखना है, क्योंकि चीन, अमेरिका और यहां तक कि यूरोप सहित अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में खपत स्थिर है तथा विश्व में उत्पादन क्षमता अत्यधिक है।
उन्होंने कहा, ‘‘ ...यदि हम अपने घरेलू उद्योग को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो घरेलू इस्पात की कीमतें प्रतिस्पर्धी होनी चाहिए, ताकि इस्पात उद्योग में पर्याप्त मुनाफा हो, ताकि वे क्षमता विस्तार में निवेश कर सकें। यदि उनके पास मुनाफा नहीं होगा, तो निवेश कौन करेगा।’’
पौंड्रिक ने कहा कि जैसे-जैसे विश्व कम कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ रहा है, घरेलू उद्योग को भी हरित इस्पात विनिर्माण प्रक्रिया की ओर बढ़ना होगा।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ अगर हम इस क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी बनना चाहते हैं, तो हमें कार्बन उत्सर्जन कम करने वाले तरीकों और उत्पादन पद्धतियों को अपनाना होगा। इसलिए, यह दूसरी प्राथमिकता है।’’
भाषा निहारिका अजय