अंग्रेजी भाषा परीक्षा: 62 प्रतिशत भारतीय उच्चारण को लेकर रहते हैं आशंकित: सर्वेक्षण
संतोष नरेश
- 23 Feb 2025, 07:14 PM
- Updated: 07:14 PM
नयी दिल्ली, 23 फरवरी (भाषा) भारत में अंग्रेजी भाषा की परीक्षा देने वाले 62 प्रतिशत से अधिक लोगों का मानना है कि उनके भारतीय उच्चारण का उनके वाक कौशल परीक्षण से जुड़े परिणाम पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जबकि 74 प्रतिशत से अधिक लोगों को लगता है कि व्यक्तिगत रूप से किसी परीक्षक के सामने परीक्षा के लिए उपस्थित होने पर उनके परीक्षा में अर्जित अंक पर इस बात का प्रभाव पड़ सकता है कि वह दिखते कैसे हैं। पियर्सन की सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
रिपोर्ट में अध्ययन, कार्य और प्रवास वीजा के लिए ‘पियर्सन टेस्ट ऑफ इंग्लिश’ द्वारा किए गए सामाजिक धारणा सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी का खुलासा किया गया है।
परीक्षार्थियों के पूर्वाग्रहों से जुड़ी धारणाओं विशेष रूप से रंग-रूप, उच्चारण और वेशभूषा के बारे में स्पष्ट जानकारी देते हुए रिपोर्ट में निष्पक्ष प्रणालियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है जो केवल शिक्षार्थियों के ज्ञान और क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
परिणाम 1,000 उत्तरदाताओं के सर्वेक्षण पर आधारित हैं जिन्होंने कार्य, अध्ययन या प्रवास के उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी दक्षता परीक्षा दी है या देने की योजना बना रहे हैं। 96 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने किसी व्यक्तिगत परीक्षक के साथ अंग्रेजी भाषा की परीक्षा का अनुभव किया था।
सर्वेक्षण के अनुसार, 59 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि उनके साथ उनकी त्वचा के रंग के आधार पर अलग व्यवहार किया जाएगा जो गोरी त्वचा वाले लोगों के प्रति अचेतन पक्षपात को लेकर उनके डर को दर्शाता है।
लगभग 64 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना था कि वे जिस तरह से कपड़े पहनते हैं, उसके आधार पर वे गलत धारणा बना सकते हैं। ये धारणाएं महाराष्ट्र में परीक्षा देने वालों के बीच विशेष रूप से प्रबल हैं, जहां 67 प्रतिशत लोग इस धारणा को मानते हैं।
यह भी आशंका रहती है कि नौकरी से जुड़ी भूमिका और शैक्षिक पृष्ठभूमि का लोगों के साथ किये जाने वाले व्यवहार पर असर पड़ता है। 10 में से सात उत्तरदाताओं, विशेष रूप से महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश का मानना है कि अगर उनके पास प्रतिष्ठित नौकरी या मजबूत शैक्षिक पृष्ठभूमि है, तो उनके साथ अधिक सम्मानजनक तरीके से व्यवहार किया जाएगा।
सर्वेक्षण के अनुसार, पांच में से तीन (63 प्रतिशत) परीक्षार्थी, खास तौर पर आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में, मानते हैं कि अंग्रेजी बोलते समय भारतीय लहजा ना अपनाने से परीक्षा के अंकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
माना जाता है कि कोई व्यक्ति बाहर से कैसा दिखता है, यह भी उसके परिणामों को प्रभावित करता है। पंजाब में यह बात सबसे ज्यादा प्रबलता से महसूस की जाती है, जहां राज्य के 77 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि उनकी वेशभूषा उनके बोलने की परीक्षा के परिणामों को प्रभावित कर सकती है।
लगभग दो में से तीन (64 प्रतिशत) उत्तरदाताओं का मानना है कि एक निश्चित उच्चारण होने से उन्हें बालने से जुड़े परीक्षण में बेहतर अंक प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। तमिलनाडु के लोगों सहित 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि अमेरिकी उच्चारण बेहतर अंक दिलाने में योगदान देता है, जबकि 21 प्रतिशत खासकर उत्तर प्रदेश के लोगों का कहना है कि ब्रिटिश उच्चारण उनके लिए फायदेमंद होगा।
पियर्सन की पिछले महीने पेश की गई ‘ग्लोबल इंग्लिश प्रोफिशिएंसी रिपोर्ट’ के अनुसार, अंग्रेजी बोलने में भारत वैश्विक औसत से ऊपर है जिसमें दिल्ली सबसे आगे है और उसके बाद राजस्थान का स्थान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का औसत अंग्रेजी कौशल अंक (52) वैश्विक औसत (57) से कम है, जबकि अंग्रेजी बोलने के मामले में देश का अंक (57) है जो वैश्विक औसत से (54) अधिक है।
भाषा संतोष