‘यूनाइटेड प्रॉविंस’ में 1911 के कुंभ के दौरान पहली बार उड़ान के जरिए भेजी गई थी डाक
शोभना नरेश मनीषा
- 24 Feb 2025, 02:18 PM
- Updated: 02:18 PM
(कुणाल दत्त)
प्रयागराज (उप्र), 24 फरवरी (भाषा) फ्रांस के पायलट हेनरी पिकेट ने 18 फरवरी 1911 को एक मैदान से अपने विमान में लगभग 6,500 डाक और पोस्टकार्ड लेकर उड़ान भरी और इलाहाबाद की वह शाम विमानन और डाक इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। यह ऐतिहासिक घटना 114 वर्ष पहले यहां तब हुई जब इस शहर में कुंभ मेला आयोजित हुआ था।
डाक टिकट विशेषज्ञों के अनुसार, यह विश्व की पहली आधिकारिक हवाई डाक थी जो किसी हवाई जहाज द्वारा भेजी गई थी।
इस ऐतिहासिक उड़ान का हिस्सा बने विमान ने लगभग पांच मील की दूरी तय की, यमुना के ऊपर से गुजरा और लगभग 13 मिनट में नैनी जेल के पास एक स्थान पर उतरा।
डाक जिनके नाम थी उनमें जवाहरलाल नेहरू (जो बाद में भारत के पहले प्रधानमंत्री बने) भी शामिल थे जो उस समय इंग्लैंड में थे, और जॉर्ज पंचम - जो उस समय ब्रिटिश साम्राज्य के राजा थे। इसमें कई राजघरानों और आम लोगों के नाम की डाक भी शामिल थी।
प्रत्येक डाक पर एक विशेष पोस्टमार्क था जिसमें हवाई जहाज और पहाड़ों का चित्र था तथा उस पर लिखा था - ‘प्रथम हवाई डाक, 1911, यू.पी. इलाहाबाद’।
वर्ष 1911 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में त्रिवेणी संगम - गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम - में आज के मुकाबले बेहद कम भीड़ थी।
अभिलेखों के अनुसार, पायलट ने अपनी गोद में एक कम्पास रखा हुआ था तथा अपनी सीट के किनारे पर एक बैग रखा था। उसने लैंडिंग स्थल पर उपस्थित एक डाक अधिकारी को वह बैग सौंप दिया था।
वहां से पत्रों और पोस्टकार्डों को उनके गंतव्य स्थानों तक सड़क मार्ग, जहाज या रेल द्वारा भेजा जाता था, जो उस समय की पारंपरिक डाक पद्धति थी।
प्रयागराज निवासी और इतिहासकार अक्षत लाल, जो 2025 के कुंभ मेले में कई बार आ चुके हैं, अपने परिवार का दुनिया की पहली आधिकारिक ‘एयरमेल’ से एक रोमांचक संबंध बताते हैं।
लाल ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मेरे पास उस हवाई जहाज से लाए गए एक पोस्टकार्ड की एक प्रति है और यह मेरे परदादा 'अशर्फी लाल’ के नाम पर था। उस पर काले रंग में ‘प्रथम हवाई डाक, 1911, यू.पी. एक्जीबीशन इलाहाबाद' का पोस्टमार्क और तारीख '18 एफई. 11' अंकित था।’’
‘यूनाइटेड प्रॉविंस एक्जीबीशन’ दिसंबर 1910 से फरवरी 1911 के अंत तक इलाहाबाद किले के पास संगम के सामने एक मैदान में आयोजित की गई थी। इस एक्जीबीशन में हवाई जहाज़ों को दिखाया गया था और ये हवाई जहाज प्रदर्शन उड़ान में भी हिस्सा लेते थे । बाद में प्रॉविंस का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया था।
पटना के प्रसिद्ध डाक टिकट संग्रहकर्ता और लेखक प्रदीप जैन ने कहा कि वह ऐतिहासिक क्षण जिसमें भारत का नाम विमानन और डाक इतिहास में दर्ज हुआ वह संयोग से कुंभ के साथ हुआ और इस वजह से यह भारत और इसके लोगों के लिए और खास है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ कई पत्र बिहार के भागलपुर और चंपारण को भी भेजे गए थे और मेरे पास उनमें से कुछ का दुर्लभ संग्रह है...।’’
जैन ने 2002 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘‘इंडियन एयरमेल्स: डेवलपमेंट एंड ऑपरेशन्स (1911-1942)’’ में 1911 की इस उड़ान के बारे में लिखा है और कहा है कि उनके पास कुछ "हस्ताक्षरित पेक्वेट पोस्टकार्ड" भी हैं।
भाषा शोभना नरेश