केरल : शिक्षा विभाग ने चलने-फिरने में अक्षम आदिवासी लड़की के लिए विशेष किताबें तैयार कीं
मनीषा नरेश
- 25 Feb 2025, 02:28 PM
- Updated: 02:28 PM
तिरुवनंतपुरम, 25 फरवरी (भाषा) केरल के मलप्पुरम जिले में चोलनैक्कन जनजाति की, चलने-फिरने में अक्षम एक लड़की को शिक्षा प्रदान करने के लिए, सामान्य शिक्षा विभाग के 'समग्र शिक्षा केरल' कार्यक्रम ने जनजाति की अपनी विशिष्ट भाषा में 30 ऑडियो विजुअल पाठ तैयार किए हैं।
बारह वर्षीय यह लड़की, मीनाक्षी है जो नीलांबुर के पूचप्पारा के रहने वाले मणि की बड़ी बेटी है। मणि की पिछले महीने की शुरुआत में जंगल के अंदर एक जंगली हाथी के हमले में मौत हो गई थी।
अन्य आदिवासी समुदायों के विपरीत, चोलनैक्कन जंगलों में रहते हैं और मुख्यधारा के समाज से उनका सीमित संबंध है।
पिता मणि की मृत्यु के बाद, वन विभाग के अधिकारियों ने मीनाक्षी के परिवार को वन क्षेत्र से एक अतिथि गृह में स्थानांतरित कर दिया है, जहाँ वे वर्तमान में रह रहे हैं।
एसएसके राज्य परियोजना निदेशक सुप्रिया एआर ने ‘भाषा’ को बताया कि आदिवासी लड़की की पढ़ाई मलप्पुरम जिले के कार्यक्रम अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से साप्ताहिक दौरे के साथ उसके घर पर चल रही है। उन्होंने कहा कि एसएसके राज्य भर में 6,168 छात्रों को घर-पर शिक्षा प्रदान कर रहा है और उनके लिए घर-घर जाकर वर्चुअल कक्षाओं की भी व्यवस्था की जा रही है।
राज्य कार्यक्रम अधिकारी सिंधु एस एस ने कहा कि मीनाक्षी कुछ ही समय में बातचीत वाली किताब के पाठों पर अच्छी प्रतिक्रिया दे रही है।
उन्होंने कहा कि लड़की को सबसे ज़्यादा परेशानी थी क्योंकि वह अपनी शारीरिक स्थिति के कारण कभी घर से बाहर नहीं गई थी।
चोलनैक्कन अपनी अलग भाषा का उपयोग करते हैं, जो द्रविड़ परिवार से संबंधित है और मलयालम और कन्नड़ से मिलती-जुलती है। बातचीत वाली किताब के पाठ विशेष रूप से मीनाक्षी के लिए इसी भाषा में तैयार किए गए हैं।
मीनाक्षी के लिए तैयार किए गए बातचीत के पाठों को चोलनैक्कन में ‘थंका, बाना, बेली' (चंद्रमा, आकाश और तारा) नाम दिया गया है।
राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘यह शिक्षा में समावेशिता का केरल मॉडल है।’’
मंत्री ने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘सामान्य शिक्षा विभाग के तहत एसएसके ने दिव्यांग लड़की के लिए उसकी अपनी भाषा में 30 ऑडियो विजुअल पाठ तैयार किए हैं, क्योंकि वह मलयालम नहीं समझती।’’
भाषा
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