कैट की एक और पीठ ने स्वयं को 'व्हिसलब्लोअर' चतुर्वेदी के मामलों की सुनवाई से अलग किया
सं, दीप्ति, रवि कांत
- 25 Feb 2025, 09:10 PM
- Updated: 09:10 PM
नैनीताल, 25 फरवरी (भाषा) केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की एक और पीठ ने भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के वरिष्ठ अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।
चतुर्वेदी की मूल्यांकन रिपोर्ट से संबंधित मामले की सुनवाई के बाद पारित अपने आदेश में कैट के न्यायाधीश हरविंदर कौर ओबेरॉय और बी आनंद की खंडपीठ ने 19 फरवरी को रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि भविष्य में उनके समक्ष सुनवाई के लिए चतुर्वेदी के मामलों को सूचीबद्ध न किया जाए।
हालांकि, इसका कोई कारण नहीं बताया गया। दो और न्यायाधीशों द्वारा ऐसा करने के बाद 'व्हिसलब्लोअर' आईएफएस अधिकारी से संबंधित मामलों की सुनवाई से खुद को अलग करने वाले न्यायाधीशों की संख्या 13 हो गई है।
चतुर्वेदी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान-दिल्ली के मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार के कई मामलों का पर्दाफाश किया था।
अब तक उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीश, नैनीताल उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश, कैट के अध्यक्ष, शिमला की एक निचली अदालत के न्यायाधीश और कैट की दिल्ली तथा इलाहाबाद पीठ के सात न्यायाधीश खुद को चतुर्वेदी के मामलों की सुनवाई से अलग कर चुके हैं।
चतुर्वेदी ने कहा कि 13 न्यायाधीशों का एक व्यक्ति के मामलों की सुनवाई से खुद को अलग करना देश में एक रिकॉर्ड है।
पिछले साल फरवरी में, उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनोज तिवारी ने चतुर्वेदी के प्रतिनियुक्ति मामले की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया था।
इससे पहले, 2018 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित किया था कि चतुर्वेदी की सेवा से जुड़े मामलों की सुनवाई केवल नैनीताल सर्किट पीठ में की जाएगी और उसने केंद्र सरकार पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था जिसे बाद में उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा था।
वर्ष 2021 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने पूर्व के आदेश को फिर दोहराया था जिसे केंद्र सरकार ने फिर उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। मार्च 2023 में, उच्चतम न्यायालय की एकलपीठ ने 11 माह तक निर्णय सुरक्षित रखने के बाद मामले को एक बड़ी पीठ को भेज दिया।
चतुर्वेदी के अनुसार, इससे पहले नवंबर 2013 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रंजन गोगोई ने हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य वरिष्ठ राजनेताओं तथा नौकरशाहों से संबंधित भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो जांच के मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। यह शिकायत चतुर्वेदी की ओर से दायर की गयी थी।
इसके बाद, अगस्त 2016 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश यू यू ललित ने भी खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया। अप्रैल 2018 में शिमला की अदालत के एक न्यायाधीश ने हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव द्वारा संजीव चतुर्वेदी के खिलाफ दायर आपराधिक अवमानना मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
फरवरी 2021 में कैट दिल्ली के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर एन सिंह ने चतुर्वेदी की प्रतिनियुक्ति मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। वर्ष 2023 और 2024 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राकेश थपलियाल ने स्वयं को चतुर्वेदी के विभिन्न मामलों की सुनवाई से अलग कर लिया था।
नवंबर 2023 में कैट के न्यायाधीश मनीष गर्ग और छबीलेंद्र राओल की पीठ भी चतुर्वेदी के मामलों की सुनवाई से अलग हो गयी थी। इस साल जनवरी में कैट के एक और न्यायाधीश राजीव जोशी ने भी चतुर्वेदी के सेवा से जुड़े मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
भाषा
सं, दीप्ति, रवि कांत