यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटारे पर शीर्ष अदालत के निर्देशों का इंतजार करेंगे : अधिकारी
हर्ष आशीष
- 25 Feb 2025, 10:23 PM
- Updated: 10:23 PM
इंदौर/दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) मध्यप्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि पीथमपुर की एक अपशिष्ट निपटान इकाई में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे के निपटारे की योजना पर आगे बढ़ने से पहले शीर्ष अदालत के निर्देशों का इंतजार किया जाएगा।
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
इंदौर संभाग के आयुक्त दीपक सिंह ने "पीटीआई-भाषा" से कहा, "यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटारे के मामले में 27 फरवरी को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होनी है। हम इंतजार करेंगे कि इस सुनवाई में अदालत क्या निर्देश देती है।"
उन्होंने कहा कि यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटारे की योजना को लेकर प्रशासन का अगला कदम शीर्ष अदालत के आगामी निर्देशों पर निर्भर करेगा।
आयुक्त का यह बयान इस मामले में शीर्ष अदालत में मंगलवार को हुई सुनवाई के बाद आया है। सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने प्राधिकारियों से कहा कि वे उसे मध्यप्रदेश के धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के खतरनाक अपशिष्ट के निपटान के संबंध में बरती गई सावधानियों के बारे में अवगत कराएं।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब अपशिष्ट के निपटान से संबंधित एक याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए उसके समक्ष लाया गया।
शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को केंद्र, मध्यप्रदेश सरकार और उसके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से उस याचिका पर जवाब मांगा था जिसमें निपटान स्थल से एक किलोमीटर के दायरे में स्थित गांवों के निवासियों के जीवन और स्वास्थ्य को इससे होने वाले कथित खतरे का मुद्दा उठाया गया था।
मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 18 फरवरी को राज्य को 27 फरवरी से कचरे के निपटान का परीक्षण करने की अनुमति दी थी।
उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि इस मामले पर 27 फरवरी को शीर्ष अदालत में सुनवाई की जाए।
पीठ ने कहा कि वह 27 फरवरी को याचिका पर सबसे पहले सुनवाई करेगी। पीठ ने कहा कि अधिकारियों को याचिका पर गौर करना चाहिए और पता लगाना चाहिए कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई चिंता में कोई दम है या नहीं।
पीठ ने कहा कि अगर याचिका में उठाई गई चिंता में कोई दम है, तो यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि अधिकारियों द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं। पीठ ने यह भी कहा कि आमतौर पर अगर सर्वोच्च न्यायालय के पास मामला होता है तो उच्च न्यायालय को इस मामले में अपना हाथ नहीं बढ़ाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के तीन दिसंबर 2024 और इस साल छह जनवरी के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए 17 फरवरी को सहमति व्यक्त की थी।
यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन कचरा दो जनवरी को पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई लाया गया था।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने छह जनवरी को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए छह सप्ताह के भीतर कदम उठाए।
यह कचरा पीथमपुर लाए जाने के बाद से इस औद्योगिक क्षेत्र में कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने इस कचरे के निपटान से इंसानी आबादी और आबो-हवा को नुकसान की आशंका जताई है जिसे राज्य सरकार ने सिरे से खारिज किया है।
राज्य सरकार का कहना है कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजाम हैं।
राज्य सरकार ने इस कचरे के निपटान की प्रक्रिया को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए पिछले दिनों पीथमपुर और इसके आस-पास के स्थानों पर "जन संवाद’’ कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं।
राज्य सरकार के मुताबिक यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी इकाई के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और "सेमी प्रोसेस्ड" अवशेष शामिल हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव अब ‘‘लगभग नगण्य’’ हो चुका है।
बोर्ड के मुताबिक फिलहाल इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी तरह के रेडियोएक्टिव कण भी नहीं हैं।
भाषा हर्ष