बिहार सरकार ने छोटे अस्पतालों को क्लिनिकल प्रतिष्ठान कानून के तहत पंजीकरण से छूट दी
अनवर आशीष
- 25 Feb 2025, 11:54 PM
- Updated: 11:54 PM
पटना, 25 फरवरी (भाषा) बिहार सरकार ने 40 बिस्तरों से कम वाले छोटे अस्पतालों को ‘क्लिनिकल प्रतिष्ठान कानून’ के तहत पंजीकरण से छूट देने का मंगलवार को फैसला किया।
बिहार सरकार के इस निर्णय के बाद ऐसे छोटे अस्पतालों को ‘बिहार क्लिनिकल प्रतिष्ठान कानून-2025’ के तहत पंजीकृत कराने की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि उन्हें सरकार के अन्य संबंधित प्राधिकारों के साथ पंजीकरण की मौजूदा प्रक्रिया का पालन करना होगा।
सरकार के इस निर्णय के बाद अब बिहार क्लिनिकल प्रतिष्ठान (पंजीकरण एवं विनियमन) अधिनियम-2025 (संशोधित) के तहत 40 से अधिक बिस्तरों वाले सभी क्लिनिकल प्रतिष्ठानों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा।
इस आशय का निर्णय मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने लिया।
मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) एस सिद्धार्थ ने बताया, ‘‘बिहार क्लिनिकल प्रतिष्ठान (पंजीकरण एवं विनियमन) अधिनियम-2025 (संशोधित) के अनुसार, सरकार ने राज्य में एक से 40 बिस्तर वाले क्लिनिकल प्रतिष्ठानों को पंजीकरण से छूट देने का निर्णय लिया है। हालांकि 40 से अधिक बिस्तरों वाले ऐसे प्रतिष्ठानों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा।’’
उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इससे पहले, कानून के तहत 40 बिस्तरों से कम क्षमता वाले प्रतिष्ठानों के लिए भी पंजीकरण अनिवार्य था।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रारंभ में, अनंतिम पंजीकरण दिया जाएगा जो पांच साल के लिए वैध होगा। पहले यह सिर्फ एक साल के लिए वैध था। अब, संबंधित प्राधिकारों को आवेदन प्राप्त होने के दस दिनों के भीतर अनंतिम पंजीकरण देना होगा। उसके बाद क्लिनिकल प्रतिष्ठानों को स्थायी पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा।’’
एसीएस ने कहा कि अधिनियम के अनुसार क्लिनिकल प्रतिष्ठान में ऐसे अस्पताल, प्रसूति गृह, नर्सिंग होम, डिस्पेंसरी, क्लिनिक आते हैं जहां बीमारी, चोट, विकृति, गर्भावस्था के लिए निदान, उपचार या देखभाल की आवश्यकता वाली सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
मंत्रिमंडल ने घरेलू हिंसा से प्रभावित महिलाओं को अधिक प्रभावी ढंग से मदद देने के लिए अनुमंडल, जिला और राज्य स्तर पर पूर्णकालिक ‘‘संरक्षण अधिकारियों’’ की नियुक्ति को लेकर एक अलग कैडर के निर्माण के संबंध में समाज कल्याण विभाग के एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी।
एसीएस ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने राज्य के सभी अनुमंडलों में पूर्णकालिक ‘‘संरक्षण अधिकारी’’ नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। राज्य के सभी 38 जिलों में पूर्णकालिक ‘‘संरक्षण अधिकारी’’ की नियुक्ति की जाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा एक राज्य स्तरीय संरक्षण अधिकारी की भी नियुक्ति की जायेगी। एसीएस ने कहा, ‘‘यह निर्णय घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 के मद्देनजर लिया गया है। इस कदम का उद्देश्य संविधान के तहत गारंटीकृत महिलाओं के अधिकारों की अधिक प्रभावी सुरक्षा प्रदान करना है, जो परिवार के भीतर होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा और उससे जुड़े या उसके आकस्मिक मामलों की शिकार हैं।’’
मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा के दौरान दक्षिण बिहार के जिलों के लिए घोषित योजनाओं/परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए 30,000 करोड़ रुपये जारी करने को भी मंजूरी दे दी।
एसीएस ने कहा, ‘‘दक्षिण बिहार के जिलों में कुल 120 योजनाओं/परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए 30,000 करोड़ रुपये तथा इससे पहले 4 फरवरी को मंत्रिमंडल ने उत्तर बिहार के जिलों के लिए 20,000 करोड़ रुपये जारी करने की मंजूरी दी थी।’’
मंत्रिमंडल की मंगलवार को संपन्न बैठक में कुल 142 एजेंडों को मंजूरी दी गई।
भाषा अनवर