कांग्रेस ने वर्ष 2021 से असम में मुठभेड़ों में 72 आरोपियों के मारे जाने की निंदा की
अमित दिलीप
- 04 Mar 2025, 08:45 PM
- Updated: 08:45 PM
गुवाहाटी, चार मार्च (भाषा) असम की विपक्षी कांग्रेस ने राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर मंगलवार को ‘‘पुलिस राज’’ चलाने का आरोप लगाया, जब विधानसभा में पेश आधिकारिक आंकड़े से पता चला कि मई 2021 में हिमंत विश्व शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद से पुलिस गोलीबारी में 72 आरोपी मारे गए और 220 घायल हुए हैं।
कांग्रेस ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय को राज्य में कथित फर्जी मुठभेड़ों को लेकर जारी सुनवायी में फैसला सुनाते समय आंकड़ों का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए।
शर्मा के पास राज्य का गृह विभाग भी है और उन्होंने सोमवार को विधानसभा में आधिकारिक दस्तावेज पेश किया, जिससे पता चलता है कि 10 मई, 2021 से इस साल 23 फरवरी के बीच 256 पुलिस कार्रवाई हुई हैं। इसके अनुसार 175 मामलों में मजिस्ट्रेट जांच की गई, लेकिन 81 अन्य में नहीं।
हालांकि, सरकार ने प्रत्येक घटना में प्रासंगिक कानूनों के तहत और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के दिशा-निर्देशों के अनुसार मामले दर्ज किए हैं।
आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, कांग्रेस नेता एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को नवीनतम आंकड़ों का संज्ञान लेना चाहिए, जो पहले से ही असम में 171 कथित फर्जी मुठभेड़ों पर एक मामले की सुनवाई कर रहा है तथा फैसला सुनाने से पहले आगे स्वत: सुनवाई करनी चाहिए।
सैकिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय को इन नवीनतम तथ्यों का संज्ञान लेना चाहिए और फैसला सुरक्षित रखने के बजाय मामले को खोलना चाहिए। इस खबर पर स्वत: संज्ञान लिया जाना चाहिए।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि आंकड़े बताते हैं कि राज्य में "पूरी तरह से पुलिस राज" है और कानून के शासन की कोई परवाह नहीं है।
सैकिया ने कहा, ‘‘हम ऐसी स्थिति की कड़ी निंदा करते हैं। हमने कई बार विधानसभा में इस मामले को उठाने की कोशिश की है, लेकिन जवाब हमेशा टालमटोल वाला रहा है। आरोपी इस तरह से मारे जा रहे हैं, क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी राजनीतिक लाभ के लिए पुलिस का इस्तेमाल कर रही है।’’
सदन में पेश किए गए दस्तावेजों से पता चला है कि पुलिस हिरासत में रहने के दौरान 38 लोग मारे गए। इसके अलावा, हिरासत में रहने के दौरान पुलिस कार्रवाई में 34 और लोग मारे गए, लेकिन पुलिस रिमांड पर भेजे जाने से पहले।
इसी तरह, इन घटनाओं में 181 लोग पुलिस रिमांड में रहते हुए गोली लगने से घायल हुए और पुलिस रिमांड पर भेजे जाने से पहले 40 और लोग घायल हुए।
यह ठीक से पता नहीं चल पाया है कि इनमें से कितनी घटनाएं पुलिस द्वारा एकतरफा कार्रवाई थीं और कितनी मुठभेड़ थीं, जब दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी हुई। वर्षवार ब्योरे से पता चलता है कि 2021 में सबसे अधिक लोग मारे गए। उसी वर्ष शर्मा असम के मुख्यमंत्री बने थे। उस साल रिमांड और रिमांड से पहले पुलिस कार्रवाई के 83 मामलों में कुल 31 लोगों की मौत हुई। साथ ही, 67 लोग घायल हुए, जिनमें 54 पुलिस रिमांड में रहने के दौरान और 13 रिमांड से पहले घायल हुए शामिल हैं।
वर्ष 2021 में 52 मामलों में मजिस्ट्रेट जांच की गई, जबकि 31 घटनाओं में ऐसी कोई जांच का आदेश नहीं दिया गया।
साल 2022 में 18 आरोपी गोलीबारी में मारे गए, जिनमें से तीन पुलिस रिमांड से पहले ही मारे गए। उस वर्ष 95 घटनाओं में कुल 79 अन्य घायल हुए, जिनमें से 66 में मजिस्ट्रेट जांच की गई।
दस्तावेजों से पता चला कि 2023 में, 13 आरोपी गोलीबारी में मारे गए, जिनमें से नौ रिमांड से पहले मारे गए। इसके अलावा, उस वर्ष 44 घटनाओं में 35 लोग घायल हुए, जिनमें से 35 मामलों में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए।
वर्ष 2024 में, 10 लोग मारे गए, जिनमें से तीन पुलिस रिमांड से पहले मारे गए। उस साल कुल 28 मामलों में 35 लोग घायल हुए, जिनमें से 21 घटनाओं में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए।
मौजूदा वर्ष में 23 फरवरी तक, किसी की मौत की सूचना नहीं मिली है, लेकिन छह अलग-अलग मामलों में पुलिस रिमांड के दौरान पांच लोग घायल हुए हैं। इनमें से केवल एक मामले में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं।
अन्य दस्तावेजों से पता चला है कि 2016 से असम में पुलिस कार्रवाई में कुल 136 लोग मारे गए हैं, जब भाजपा राज्य में पहली बार सत्ता में आई थी।
असम सरकार ने 25 फरवरी को उच्चतम न्यायालय को बताया था कि राज्य में पुलिस मुठभेड़ों की जांच के लिए 2014 के दिशानिर्देशों का विधिवत पालन किया गया था और सुरक्षा बलों को अनावश्यक रूप से निशाना बनाना मनोबल गिराने वाला है।
इसके बाद, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मई, 2021 और अगस्त, 2022 के बीच असम में 171 कथित फर्जी पुलिस मुठभेड़ों की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें 56 लोग मारे गए थे, उनमें से चार हिरासत में मारे गए थे, वहीं 145 घायल हुए थे।
याचिकाकर्ता आरिफ मोहम्मद यासीन जवादर ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के जनवरी 2023 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें असम पुलिस की मुठभेड़ों पर उनकी जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया था।
पिछले साल अक्टूबर में उच्चतम न्यायालय ने स्थिति को "बहुत गंभीर" करार दिया था और इन मामलों में की गई जांच सहित विस्तृत जानकारी मांगी थी।
भाषा अमित