न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता की सुरक्षा हटाने संबंधी केंद्र की याचिका पर जवाब मांगा
आशीष पवनेश
- 04 Mar 2025, 10:20 PM
- Updated: 10:20 PM
नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उन्नाव बलात्कार पीड़िता को केंद्र की उस याचिका पर जवाब देने का आखिरी मौका दिया, जिसमें उसे और अन्य को दी गई सीआरपीएफ सुरक्षा हटाने का अनुरोध किया गया था।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई की। पीठ ने कहा कि केंद्र ने बताया है कि बलात्कार पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों को सुरक्षा घेरे की आवश्यकता नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘‘अर्जी पर जवाब दाखिल करने के लिए पीड़िता को अंतिम अवसर दिया जाता है। इसे 25 मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।’’
पीड़िता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कहा कि उन्हें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है।
पीठ उस समय नाराज हो गई जब बलात्कार पीड़िता की ओर से एक अन्य वकील अदालत में पेश हुआ और केंद्र की याचिका पर जवाब देने के लिए समय मांगा।
केंद्र की ओर से पेश हुए वकील रजत नायर ने कहा कि मामलों की सुनवाई राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित कर दी गई है और पीड़िता और उसके परिवार के सदस्य दिल्ली में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि खतरा आकलन रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि उन्हें सीआरपीएफ सुरक्षा घेरे की आवश्यकता नहीं है।
भाजपा से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में नाबालिग लड़की से बलात्कार के जुर्म में जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। शीर्ष अदालत ने एक अगस्त, 2019 को बलात्कार पीड़िता, उसकी मां, परिवार के अन्य सदस्यों और उनके वकील को सीआरपीएफ द्वारा सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया था।
बलात्कार की घटना के संबंध में दर्ज सभी पांच मामलों को उच्चतम न्यायालय ने लखनऊ से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था और एक विशेष अदालत को निर्देश दिया था कि वह रोजाना सुनवाई करे और 45 दिनों के भीतर इसे पूरा करे।
शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़िता को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। उन्नाव बलात्कार मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है।
सेंगर ने निचली अदालत के दिसंबर 2019 के फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 13 मार्च, 2020 को सेंगर को पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में भी 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी।
पीड़िता के पिता को शस्त्र अधिनियम के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था और नौ अप्रैल, 2018 को हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई।
भाषा आशीष