मराठी मुंबई की भाषा : फडणवीस और जोशी ने आरएसएस नेता के बयान पर विवाद के बाद कहा
धीरज नेत्रपाल मनीषा
- 06 Mar 2025, 05:37 PM
- Updated: 05:37 PM
मुंबई, छह मार्च (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बृहस्पतिवार को कहा कि मराठी मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा है तथा यहां रहने वाले किसी भी व्यक्ति को इसे सीखना और बोलना चाहिए।
फडणवीस ने यह बयान महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सदस्य भास्कर जाधव द्वारा आरएसएस के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी की उस टिप्पणी पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि यह जरूरी नहीं कि मुंबई आने वाला व्यक्ति मराठी सीखे।
जोशी ने बृहस्पतिवार को अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी को गलत समझा गया है। उन्होंने कहा कि मराठी मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा है।
विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) के नेताओं ने बृहस्पतिवार को जोशी की टिप्पणी के खिलाफ मुंबई में विरोध प्रदर्शन किया और नारे लगाए कि मराठी मुंबई की भाषा है।
शिवसेना (उबाठा) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मांग की कि मराठी भाषा पर टिप्पणी के लिए जोशी पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाए।
फडणवीस ने कहा, ‘‘मैंने भैयाजी की बात नहीं सुनी, लेकिन मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को मराठी सीखनी चाहिए और उसे बोलना चाहिए।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अन्य भाषाओं का भी सम्मान करती है।
फडणवीस ने कहा, ‘‘अगर आप अपनी भाषा से प्यार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं, तो आप दूसरी भाषाओं के साथ भी ऐसा ही करें। मुझे यकीन है कि भैयाजी मेरी बात से सहमत होंगे।’’
इससे पहले दिन में शिवसेना (उबाठा) के सांसद संजय राउत ने दावा किया कि जोशी की टिप्पणी राजद्रोह के बराबर है और महाराष्ट्र का अपमान है।
उन्होंने सवाल किया कि क्या वह कोलकाता, लखनऊ, चेन्नई, लुधियाना, पटना या बेंगलुरु, त्रिवेंद्रम या हैदराबाद में जाकर इस तरह बोल सकते हैं?
जोशी ने बृहस्पतिवार को कहा कि मराठी मुंबई की भाषा है और बाहर से आने वाले और अन्य भाषाएं बोलने वालों को भी इसे समझना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मराठी मेरी मातृ भाषा है और मुझे इस पर गर्व है।’’
जोशी का यह बयान बुधवार को मुंबई के घाटकोपर क्षेत्र में एक कार्यक्रम में की गई टिप्पणी के बाद आया है जिसकी विपक्षी शिवसेना (उबाठा) और कांग्रेस ने कड़ी आलोचना की थी।
जोशी ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘मराठी महाराष्ट्र की भाषा है और मुंबई की भी। इसमें कोई दो राय नहीं है। मुंबई में कई भाषाएं बोलने वाले लोग मिलजुलकर रहते हैं।’’
आरएसएस नेता ने कहा, ‘‘यह उम्मीद की जाती है कि बाहर से आने वाले और अन्य भाषाएं बोलने वाले लोग मराठी भी समझें।’’ जोशी ने साथ ही कहा कि घाटकोपर कार्यक्रम में की गई उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से समझा गया।
जोशी ने बुधवार को घाटकोपर में कहा था, ‘‘मुंबई में कोई एक भाषा नहीं है। मुंबई के हर हिस्से की अलग-अलग भाषा है। घाटकोपर इलाके की भाषा गुजराती है। इसलिए अगर आप मुंबई में रहते हैं, तो यह जरूरी नहीं है कि आपको मराठी सीखनी पड़े।’’
उद्धव ठाकरे ने विधान भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान आरोप लगाया कि जोशी की टिप्पणी आरएसएस और भाजपा के मुंबई को बांटने के छिपे हुए एजेंडे को दर्शाती है। उन्होंने जोशी को गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल में ऐसे बयान देने और सुरक्षित वापस आने की चुनौती दी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि ‘मराठी मानुस’ स्वागत करने वाला होता है, इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी उस पर हमला कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जोशी पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। मैंने (जब वह मुख्यमंत्री थे) राज्य में मराठी को अनिवार्य बनाने के लिए कानून बनाया था। यह (उनकी टिप्पणी) कानून के खिलाफ है।’’
ठाकरे ने कहा, ‘‘मुंबई एक महानगर है। अगर आप (भाजपा) इसे जीतना चाहते हैं, तो अच्छा काम करके जीतें, न कि जहर फैलाकर।’’
जोशी के बयान के खिलाफ शिवसेना (उबाठा) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार, भाई जगताप, नितिन राउत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल सहित महा विकास आघाडी के नेताओं ने बृहस्पतिवार को दक्षिण मुंबई के हुतात्मा चौक पर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
यह स्मारक 1950 के दशक में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के 106 शहीदों को सम्मानित करने के लिए स्थापित किया गया है। इस आंदोलन के कारण राज्य का निर्माण हुआ था।
एमवीए नेताओं ने स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और नारे लगाए तथा मराठी को मुंबई की भाषा बताया।
भाषा धीरज नेत्रपाल