मेधा पाटकर मानहानि मामला: अदालत ने नए गवाह को पेश करने की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा
वैभव माधव
- 06 Mar 2025, 10:20 PM
- Updated: 10:20 PM
नयी दिल्ली, छह मार्च (भाषा) नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर द्वारा दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना के खिलाफ वर्ष 2000 में दायर मानहानि के मामले में एक अतिरिक्त गवाह से पूछताछ करने की याचिका पर बृहस्पतिवार को यहां की एक अदालत ने अपना आदेश 18 मार्च तक सुरक्षित रख लिया।
पाटकर ने गुजरात में एक एनजीओ के प्रमुख रहे सक्सेना के खिलाफ कथित तौर पर मानहानि करने वाले विज्ञापन प्रकाशित करने के आरोप में मामला दर्ज कराया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने कहा, ‘‘18 मार्च को आदेश के लिए सूचीबद्ध किया जाए।’’
पाटकर ने 17 फरवरी को एक आवेदन दायर कर अतिरिक्त गवाह नंदिता नारायण से पूछताछ करने की अनुमति मांगी और कहा कि वह ‘‘मौजूदा मामले के तथ्यों से संबंधित हैं।’’
सक्सेना के वकील गजिंदर कुमार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि न्यायिक कार्यवाही में देरी करने और न्याय के उद्देश्यों को विफल करने के लिए इसे 24 साल बाद और देरी से दायर किया गया है।
कुमार ने कहा कि 15 दिसंबर, 2000 को पाटकर द्वारा दायर किया गया मामला 2011 से शिकायतकर्ता के साक्ष्य के चरण में लंबित था।
उन्होंने दलील दी, ‘‘शिकायतकर्ता (पाटकर) ने पहले ही अपने गवाहों से पूछताछ कर ली है और अब तक उन सभी से जिरह की जा चुकी है।’’
पाटकर और सक्सेना के बीच 2000 से कानूनी लड़ाई चल रही है, जब से पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के खिलाफ यह मुकदमा दायर किया था।
सक्सेना, जो उस समय अहमदाबाद स्थित ‘काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ नामक एक गैर सरकारी संगठन के प्रमुख थे, ने भी 2001 में पाटकर के खिलाफ एक टीवी चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में और एक मानहानिकारक प्रेस बयान जारी करने के लिए दो मामले दर्ज किए थे।
सक्सेना द्वारा दायर मामलों में से एक में, दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल 1 जुलाई को पाटकर को पांच महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी।
इससे पहले अदालत ने पाया था कि पाटकर द्वारा सक्सेना को ‘कायर’ कहना और हवाला लेन-देन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाना न केवल अपने आप में अपमानजनक था, बल्कि उनके बारे में नकारात्मक धारणा को भड़काने के लिए भी गढ़ा गया था।
बाद में पाटकर द्वारा अपील दायर करने के बाद सजा को निलंबित कर दिया गया था।
फिलहाल, पाटकर की अपील के खिलाफ सक्सेना के वकील द्वारा दलीलें पूरी कर ली गई हैं।
भाषा वैभव