साइबर अपराधों, बैंक धोखाधड़ी, सोशल मीडिया के दुरुपयोग के बढ़ते मामलों पर राज्यसभा में जताई गई चिंता
ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र माधव
- 10 Mar 2025, 01:48 PM
- Updated: 01:48 PM
नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) राज्यसभा में सोमवार को सदस्यों ने सोशल मीडिया मंचों के बढ़ते दुरूपयोग, साइबर अपराधों और बैंक धोखधड़ी तथा अंधविश्वास के कारण समाज में हो रही घटनाओं के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई और इनके समाधान के लिए सरकार से कड़े और प्रभावी कदम उठाने की मांग की।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संजय सेठ शून्यकाल में साइबर अपराधों और बैंक धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई और इस तरह की धोखाधड़ी से निपटने के लिए फास्ट ट्रैक अदालत के गठन की मांग की।
सेठ ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग डिजिटल और ऑनलाइन भुगतान प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के कारण उनमें से कई लोग सेकेंड के भीतर साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं और अपनी गाढ़ी कमाई खो देते हैं।
उन्होंने एक घटना का हवाला दिया जहां एक व्यक्ति ने अपनी बेटी की शादी के लिए जमा किए गए धन को साइबर धोखाधड़ी के कारण गंवा देने के बाद आत्महत्या कर ली।
उन्होंने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को भी साइबर धोखाधड़ी के कारण अपनी पेंशन गंवानी पड़ती है।
सेठ ने जोर देकर कहा कि देश में डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन साथ ही नागरिकों की वित्तीय सुरक्षा को भी समान रूप से प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
उन्होंने छोटे और ग्रामीण बैंकों सहित बैंकों में साइबर सुरक्षा मजबूत करने के लिए तकनीकी उन्नयन पर जोर दिया।
भाजपा सदस्य ने कहा कि पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए एक विशेष फास्ट ट्रैक अदालत का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने साइबर धोखाधड़ी के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए एक कोष स्थापित करने का भी सुझाव दिया।
सेठ ने सरकार से नागरिकों की मेहनत से अर्जित आय की सुरक्षा के लिए साइबर अपराधों के खिलाफ कड़े और प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया।
भाजपा की कल्पना सैनी ने सोशल मीडिया पर बढ़ते गाली गलौच, अभद्र भाषा, झूठी सूचनाएं फैलाने और साइबर बदसलूकी का मुद्दा उठाया और कहा कि फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण माध्यम हैं लेकिन दुर्भाग्य से इनका दुरुपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आम नागरिक के साथ-साथ महिलाएं, पत्रकार और राजनीतिक तथा सामाजिक कार्यकर्ता आए दिन ऑनलाइन उत्पीड़न और चरित्र हनन शिकार हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कई मामलों में ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो पाती है। इस कारण कई महिलाओं और युवाओं को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। कई मामलों में यह उत्पीड़न आत्म हत्या जैसे दुखद घटनाओं का कारण भी बन जाता है।’’
उन्होंने कहा कि झूठी खबरें और नफरत फैलाने वाले संदेश समाज में अशांति और सांप्रदायिक तनाव को जन्म देती है और इन्हें रोकने के लिए सख्त नियमन की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सरकार से मांग है कि सोशल मीडिया पर गाली गलौच और अभद्र भाषा को रोकने के लिए सख्त कानून लागू किया जाए। साइबर अपराधों के लिए जांच और दंड प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जाए। सोशल मीडिया कंपनियों को ऐसे कंटेंट हटाने और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाध्य किया जाए तथा डिजिटल साक्षरता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जाए।’’
सैनी ने कहा कि यदि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर अविलंब ध्यान देने और आवश्यक नीतिगत निर्णय लेने का अनुरोध किया।
आम आदमी पार्टी (आप) के विक्रमजीत सिंह साहनी ने काला जादू और अंधविश्वास का मुद्दा उठाया और इसके खिलाफ देशव्यापी कानून बनाने की मांग की।
शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी प्रथाओं के चक्कर में पड़कर कई लोग तो धर्म परिवर्तन तक करवा लेते हैं।
उन्होंने कहा कि गांव में रहने वाले गरीब और कम पड़े लिखे लोग इनके चंगुल में आसानी से फंस जाते हैं।
उन्होंने इस स्थिति को समाज के लिए ‘बहुत शर्मनाक’ बताया और कहा कि यह देश की एकता और भाईचारे के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
साहनी ने कहा कि महाराष्ट्र ने काले जादू और अंधविश्वास खिलाफ कानून बनाकर एक अच्छी मिसाल पेश की है।
उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि हम पूरे देश के लिए ऐसे सख्त कानून बनाएं जो न केवल अंधविश्वास को रोके बल्कि आरोपियों को दंडित भी करे।’’
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र