पत्र में माता-पिता के संदेह जताने के बाद प्राथमिकी जूरूरी: बदलापुर मुठभेड़ मामले में न्यायमित्र ने अदालत से कहा
सिम्मी प्रशांत
- 10 Mar 2025, 07:44 PM
- Updated: 07:44 PM
मुंबई, 10 मार्च (भाषा) वरिष्ठ अधिवक्ता मंजुला राव ने बंबई उच्च न्यायालय से सोमवार को कहा कि बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी की मौत के संबंध में उसके माता-पिता द्वारा संदेह जताते हुए पत्र लिखे जाने के बाद कथित मुठभेड़ मामले में प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए।
राव को इस मामले में अदालत की सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया गया है।
आरोपी अक्षय शिंदे को पिछले साल अगस्त में उस स्कूल के शौचालय में दो नाबालिग छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें वह काम करता था। वह 23 सितंबर को तलोजा जेल से पूछताछ के लिए ले जाते समय कथित मुठभेड़ में मारा गया था।
राव ने न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ से कहा कि घटना के बाद शिंदे के माता-पिता ने स्थानीय पुलिस को लिखित सूचना दी थी, जिसमें उन्होंने हत्या पर संदेह जताया था।
पुलिस ने कथित मुठभेड़ के संबंध में एडीआर (आकस्मिक मौत रिपोर्ट) दर्ज की थी और बाद में जांच राज्य सीआईडी (अपराध जांच विभाग) को सौंप दी गई थी।
उन्होंने कहा कि कानून के प्रावधानों के अनुसार प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य है, ताकि जांच आगे बढ़ सके। राव ने अदालत से कहा कि यह एक प्रारंभिक दस्तावेज है जो जांच को आगे बढ़ाता है।
इसके अलावा, उन्होंने पीठ के समक्ष कहा कि पीड़िता के माता-पिता द्वारा स्थानीय पुलिस थाने के साथ-साथ ठाणे पुलिस आयुक्त को सौंपे गए पत्र के संबंध में आज तक रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है।
पीठ शिंदे की हिरासत में मौत से संबंधित उसके माता-पिता की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
पुलिस के अनुसार, अक्षय शिंदे ने एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीन ली थी और गोलियां चला दी थीं जिसके बाद उसे वरिष्ठ निरीक्षक संजय शिंदे ने गोली मारी थी। कथित गोलीबारी के समय सहायक पुलिस निरीक्षक नीलेश मोरे, दो कांस्टेबल और पुलिस चालक भी वैन में मौजूद थे। आरोपी को उसकी पूर्व पत्नी द्वारा उसके खिलाफ दर्ज कराए गए मामले के संबंध में पूछताछ के लिए ले जाया जा रहा था।
चूंकि यह हिरासत में मौत का मामला है इसलिए कानून के अनुसार, मजिस्ट्रेट ने जांच की और अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपी।
मजिस्ट्रेट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि माता-पिता द्वारा लगाए गए आरोपों में दम है कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, आरोपियों की मौत के लिए पांच पुलिसकर्मी जिम्मेदार हैं।
उच्च न्यायालय की पीठ ने पिछली सुनवाई में कहा था कि चूंकि रिपोर्ट आ गई है, इसलिए सवाल यह है कि क्या राज्य पर प्राथमिकी दर्ज करने का दायित्व है या नहीं।
अदालत ने कहा था कि राज्य सरकार को बताना होगा कि प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए या नहीं।
भाषा सिम्मी