विद्यार्थी ‘रोजगार पाने’ के बजाय ‘रोजगार सृजित’ करने की मानसकिता अपनाएं: राष्ट्रपति
संतोष नरेश
- 10 Mar 2025, 08:34 PM
- Updated: 08:34 PM
हिसार, 10 मार्च (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को विद्यार्थियों से ‘रोजगार पाने’ के बजाय ‘रोजगार सुजित करने’ की मानसिकता अपनाने का आह्वान किया।
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि एक उद्यमी के रूप में वे अपने अभिनव विचारों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं का समाधान ढूंढ़ सकते हैं और समाज की प्रगति में योगदान दे सकते हैं।
वह यहां गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान एक सभा को संबोधित कर रही थीं।
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को बदलती वैश्विक मांग के अनुरूप तैयार करना उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘देश के संतुलित और सतत विकास के लिए यह भी जरूरी है कि शिक्षा और प्रौद्योगिकी का लाभ गांवों तक पहुंचे।’’
उन्होंने विद्यार्थियों से ‘रोजगार पाने’ के बजाय ‘रोजगार सृजित करने’ की मानसिकता अपनाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि इस मानसिकता के साथ आगे बढ़ने से वे अपने ज्ञान और कौशल का बेहतर तरीके से समाज के कल्याण के लिए उपयोग कर सकेंगे और भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान दे सकेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।’’ उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि विश्वविद्यालय में छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में विद्यार्थी आते हैं।
उन्होंने विद्यार्थियों से गांवों और शहरों के लोगों को शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करने और उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने को कहा।
मुर्मू ने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान और कौशल हासिल करने का साधन नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा मनुष्य के भीतर नैतिकता, करुणा और सहिष्णुता जैसे जीवन मूल्यों को विकसित करने का एक साधन भी है। शिक्षा व्यक्ति को रोजगार के योग्य बनाने के साथ ही सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक भी बनाती है।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु जम्भेश्वर, जिनके सम्मान में इस विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है, एक महान संत और दार्शनिक थे।
उन्होंने कहा कि वे वैज्ञानिक सोच, नैतिक जीवन शैली और पर्यावरण संरक्षण के प्रबल समर्थक थे।
उन्होंने कहा, ‘‘आज जब हम पर्यावरण संबंधी समस्याओं का समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं, तो गुरु जम्भेश्वर जी की शिक्षाएं बहुत प्रासंगिक हैं।’’
इस अवसर पर दीक्षांत समारोह में 561 पीएचडी डिग्री सहित कुल 2,080 डिग्री प्रदान की गईं। इसके साथ ही 564 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए।
भाषा संतोष