केरल मानवाधिकार आयोग ने कुडल माणिक्यम मंदिर में जाति आधारित भेदभाव मामले की जांच के आदेश दिए
खारी रंजन
- 10 Mar 2025, 08:58 PM
- Updated: 08:58 PM
त्रिशूर (केरल), 10 मार्च (भाषा) केरल राज्य मानवाधिकार आयोग (केएसएचआरसी) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केरल के प्रसिद्ध कुडलमाणिक्यम मंदिर में कथित जाति आधारित भेदभाव मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
आयोग ने यहां एक बयान में कहा कि आयोग की सदस्य वी. गीता ने कोचीन देवस्वओम आयुक्त और कुडलमाणिक्यम कार्यकारी अधिकारी को जांच करने और दो सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
मीडिया में आई खबर के बाद मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। इस खबर में बताया कि देवस्वओम भर्ती बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एक पिछड़े समुदाय के व्यक्ति ने ‘कजाखम’ हासिल किया था लेकिन मुख्य पुजारियों के विरोध के बाद उसे कोई दूसरा काम दे दिया गया।
मंदिर पदानुक्रम के भीतर कजाखम एक निर्दिष्ट समूह को संदर्भित करता है जो माला बनाने और अन्य औपचारिक तथा सजावटी कार्यों को पूरा करने जैसे काम के लिए जिम्मेदार होता है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब कथित तौर पर तंत्रियों ने एझावा समुदाय से संबंधित एक व्यक्ति की नियुक्ति के बाद इरिंजालक्कुडा स्थित मंदिर में अनुष्ठान करने से इनकार कर दिया।
मंदिर प्रशासन ने कहा कि तंत्री मंदिर के प्रबंधन में हस्तक्षेप नहीं कर सकते और देवस्वओम भर्ती बोर्ड द्वारा की गई नियुक्ति में बदलाव नहीं किया जा सकता। प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि अगर तंत्रियों को कोई आपत्ति है तो वे कानूनी उपाय अपना सकते हैं।
तंत्री समाजम और वारियर समुदाय के नेताओं ने जाति आधारित भेदभाव के आरोपों को खारिज किया।
अखिल केरल तंत्री समाजम के महासचिव जयनारायणन नंबूदिरीपद ने कहा कि इस मुद्दे को जाति आधारित भेदभाव के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संज्ञान में लाया गया है कि एक विशिष्ट परिवार के सदस्य पारंपरिक रूप से श्री कुडलमाणिक्यम मंदिर में कजाखम कर्तव्यों का पालन करते रहे हैं और उन्होंने इस परंपरा को जारी रखने और अपने रोजगार के लिए अदालत का रुख किया है। तंत्रियों ने पहले ही इस मामले के बारे में अधिकारियों को अवगत करा दिया है।’’
समस्थ केरल वारियर समाजम के अध्यक्ष पी.के. मोहनदास ने स्पष्ट किया कि उन्हें एझावा समुदाय के किसी व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त करने पर कोई आपत्ति नहीं है।
कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सहित राजनीतिक दलों ने मंदिर में कथित भेदभाव की आलोचना की है।
कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने उन खबरों पर गहरी निराशा व्यक्त की है जिनमें कहा गया है कि कजाखम कर्तव्य के लिए देवस्वओम भर्ती बोर्ड द्वारा नियुक्त किए गए तिरुवनंतपुरम के युवक को केवल इसलिए कार्यालय कार्य में वापस भेज दिया गया क्योंकि वह एझावा समुदाय से है।
माकपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व देवस्वओम मंत्री के राधाकृष्णन ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह जातिगत भेदभाव है। राधाकृष्णन सांसद भी हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मनुस्मृति विचारधारा को फिर से थोपने का प्रयास किया जा रहा है।’’
भाषा
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