भाजपा ने ग्रेटर बेंगलुरु विधेयक का विरोध किया
खारी दिलीप
- 10 Mar 2025, 09:18 PM
- Updated: 09:18 PM
बेंगलुरु, 10 मार्च (भाषा) कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने सोमवार को कांग्रेस सरकार पर ‘ग्रेटर बेंगलुरु गवर्नेंस विधेयक’ के जरिए बेंगलुरु को विभाजित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया और कहा कि इससे गैर-कन्नड़ महापौर बन सकते हैं।
इस विधेयक में बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को सात नगर निगमों में बांटने की सिफारिश की गई है।
उन्होंने विधेयक को शहर का ‘‘अंत’’ करने का प्रयास करार देते हुए कहा कि यह विधेयक संविधान के 74वें संशोधन के खिलाफ है, क्योंकि इससे सत्ता निर्वाचित पार्षदों के बजाय मुख्यमंत्री के हाथ में आ जाएगी।
उपमुख्यमंत्री एवं बेंगलुरु विकास के लिए प्रभारी मंत्री डी. के. शिवकुमार ने ‘ग्रेटर बेंगलुरु गवर्नेंस विधेयक, 2024’ को विधानसभा में विचार के लिए रखा।
पिछले साल जुलाई में इस विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा गया था। समिति ने पिछले सप्ताह विधानसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की।
विधेयक में बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को ग्रेटर बेंगलुरु क्षेत्र में अधिकतम सात नगर निगमों में विभाजित करके पुनर्गठन का प्रस्ताव है। इसमें समन्वय और पर्यवेक्षण के लिए बृहत बेंगलुरु प्राधिकरण (जीबीए) के गठन और महापौर और उप महापौर के लिए 30 महीने के कार्यकाल का भी प्रावधान है। जीबीए का नेतृत्व मुख्यमंत्री पदेन अध्यक्ष के रूप में करेंगे, जबकि बेंगलुरु के विकास के प्रभारी मंत्री पदेन उपाध्यक्ष होंगे।
इस बात को रेखांकित करते हुए कि शिवकुमार के पिता का नाम शहर के संस्थापक केम्पेगौड़ा से मिलता-जुलता है, अशोक ने कहा, ‘‘केम्पेगौड़ा के बेटे होने के नाते, वह (शिवकुमार) बेंगलुरु को टुकड़ों में बांट रहे हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।’’
उन्होंने कहा कि कन्नड़ लोग शहर में अल्पसंख्यक बन रहे हैं और यदि इसे ऐसे ही छोड़ दिया गया, तो यह केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा। अशोक ने कहा कि 2006 में तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी सरकार ने आसपास के कन्नड़ भाषी गांवों को दायरे में लाकर बीबीएमपी का गठन किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘आज आप चार या पांच निगमों में विभाजित कर रहे हैं। हमें नहीं पता कि कितने हैं। बेंगलुरु पूर्व (बेंगलुरु) में कन्नड़ कैसे अस्तित्व में रहेगा? बच पाना संभव नहीं है। हम एक-एक करके खोना शुरु कर देंगे। इसका प्रभाव आखिर में कन्नड़ पर पड़ेगा। हमारे पास कन्नड़ मेयर भी नहीं होंगे...।’’
अशोक ने कहा, ‘‘...चुने हुए प्रतिनिधि - महापौर को सर्वोच्च होना चाहिए। लेकिन यहां डी.के. शिवकुमार और मुख्यमंत्री सर्वोच्च हैं।’’
प्रवर समिति की रिपोर्ट में समन्वय और देखरेख प्रबंधन के लिए ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण के गठन और महापौर तथा उप महापौर के लिए 30 माह के कार्यकाल का प्रावधान किया गया है।
भाषा
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