विपक्ष ने मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ी को लेकर संसद में चर्चा कराने की मांग की
सुभाष नरेश
- 10 Mar 2025, 09:37 PM
- Updated: 09:37 PM
नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ियों के कारण चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर उठ रहे संदेहों को लेकर संसद में विस्तृत चर्चा कराने की सोमवार को मांग की और राहुल गांधी ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया।
सदन में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शून्यकाल के दौरान कहा कि मतदाता सूचियों पर ‘‘पूरे देश में सवाल उठ रहे हैं’’ और पूरा विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र समेत हर राज्य में विपक्ष ने एक स्वर में सवाल उठाए हैं।’’
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘पूरा विपक्ष यह मांग कर रहा है कि मतदाता सूची पर चर्चा कराई जाए।’’
बाद में राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘पूरा विपक्ष संसद में मतदाता सूची पर विस्तृत चर्चा की मांग कर रहा है। महाराष्ट्र की मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर मेरे संवाददाता सम्मेलन को एक महीने से अधिक हो गया है। मगर पारदर्शिता को लेकर निर्वाचन आयोग से हमने जो मांगें की थीं, वो अब तक पूरी नहीं की गई हैं। सवाल आज भी वैसे ही बने हुए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब मतदाता सूची में नामों के दोहराव के नए सबूत सामने आए हैं, जिससे और भी नए और गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों की रक्षा के लिए यह चर्चा बहुत ज़रूरी है।’’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘हर चुनाव में जिस तरह मतदाता सूची की धांधली की खबरें सामने आती हैं, वह हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है। संसद में पूरा विपक्ष चाहता है कि मतदाता सूची पर विस्तृत चर्चा हो। लोकतंत्र व संविधान की रक्षा के लिए यह चर्चा बहुत ज़रूरी है। सरकार को जिद छोड़कर यह चर्चा करवानी चाहिए।’’
समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी (आप) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी कहा कि यह अत्यंत गंभीर मामला है और संसद को इस पर विचार करना चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई, जिसके बाद विपक्षी सदस्यों ने विरोध स्वरूप सदन से बहिर्गमन किया।
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मतदाताओं के अचानक और अवांछित रूप से नाम हटाना, डुप्लिकेट ईपीआईसी (मतदाता फोटो पहचान कार्ड) नंबरों की मौजूदगी, और हमारी चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले ऐसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में तत्काल चर्चा कराने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हमारे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को, इन बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के कारण उत्पन्न गंभीर खतरे को देखते हुए, मोदी सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह संसद में इस मामले पर व्यापक चर्चा कराने की अनुमति दे।’’
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि नियम 267 के तहत नोटिस के दर्जन भर प्रस्ताव खारिज कर दिए गए हैं, जिनमें दिन के कामकाज को अलग रखकर आवश्यक विषयों पर चर्चा करने की मांग की गई थी।
नोटिस के प्रस्ताव को खारिज किए जाने का हवाला देते हुए हरिवंश ने खरगे को अपनी बात कहने की अनुमति नहीं दी।
लोकसभा में, कथित ‘‘त्रुटिपूर्ण’’ मतदाता सूचियों के मुद्दे को उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कल्याण बनर्जी ने निर्वाचन आयोग के खिलाफ कार्रवाई की मांग की और कहा कि आयोग पिछले कुछ वर्षों में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने में ‘‘विफल’’ रहा है।
शून्यकाल के दौरान उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबसे पहले ‘‘डुप्लीकेट’’ मतदाता पहचान पत्रों के कई मामलों का मुद्दा उठाया था और आयोग द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण चुनाव आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।
उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग हमेशा कहता है कि उसने पारदर्शी तरीके से और निष्पक्ष चुनाव कराए हैं। यह स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में कोई पारदर्शी चुनाव नहीं हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में कोई भी निष्पक्ष चुनाव नहीं हुआ है।’’
तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग ने उपयुक्त कार्य नहीं किया है और इस कारण आयोग के खिलाफ उचित कार्यवाही की जानी चाहिए।’’
तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने मतदाता सूचियों में व्यापक संशोधन की मांग की, खास तौर पर अगले साल पश्चिम बंगाल और असम में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले।
रॉय ने दावा किया, ‘‘कुछ गंभीर खामियां हैं। महाराष्ट्र के मामले में यह बात कही गई है, जहां मतदाता सूचियों में गड़बड़ी की गई। हरियाणा में भी इस बात की ओर इशारा किया गया था। अब वे पश्चिम बंगाल और असम में घुसने की कोशिश कर रहे हैं, जहां अगले साल चुनाव होने हैं।’’
तृणमूल नेता ने कहा, ‘‘सभी मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण किया जाना चाहिए। निर्वाचन आयोग को देश को जवाब देना चाहिए कि सूचियों में कुछ गलतियां क्यों हुईं।’’
आयोग ने तृणमूल कांग्रेस के इस दावे को खारिज कर दिया है कि अन्य राज्यों के मतदाताओं को पश्चिम बंगाल में अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अनुमति देने के लिए मतदाता सूचियों में हेरफेर किया गया है।
खरगे ने सोमवार को अपने पोस्ट में कहा, ‘‘सम्पूर्ण विपक्ष मतदाता सूची में विभिन्न गड़बड़ियों के बारे में उत्पन्न संदेहों पर विस्तृत चर्चा चाहता है। संसद को लोकतंत्र और भारत के संविधान में लोगों की आस्था की रक्षा करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि आयोग की 2 मार्च 2025 की अपनी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, देश के चुनावी रिकॉर्ड में ‘‘खुद गड़बड़ियों को स्वीकार किया है।’’
कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बीच ‘‘केवल छह महीनों में महाराष्ट्र में लाखों मतदाताओं की अचानक वृद्धि होने’’ का मुद्दा पहले ही उठा चुकी है।
उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग ने एक्सेल प्रारूप में संयुक्त फोटो मतदाता सूची उपलब्ध कराने की हमारी मांग पर अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है, जिसका उपयोग मतदान के लिए किया गया।’’
‘आप’ के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने मांग की कि सरकार और निर्वाचन आयोग को इस मुद्दे पर स्पष्ट होना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबर जारी किए जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में फर्जी मतदाता बनाए जा रहे हैं। दिल्ली (विधानसभा) चुनावों में हरियाणा के लोगों को मतदाता बनाया गया और उन्होंने वोट भी डाला।’’
‘आप’ सांसद ने संसद परिसर में पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग ने पूरी चुनाव प्रक्रिया का माखौल बना दिया है। यह बेहद गंभीर चिंता का विषय है।’’
समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि आयोग को चुनावी प्रक्रिया में ‘‘निष्पक्षता’’ बनाए रखनी चाहिए।
राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने सरकार पर ‘‘डुप्लीकेट’’ मतदाता पहचान पत्रों के मुद्दे को दबाने का आरोप लगाया।
भाषा सुभाष