कोल्हापुर अदालत पूर्व पत्रकार की अग्रिम जमानत याचिका पर गुण-दोष के आधार पर फैसला करे: उच्च न्यायालय
अमित दिलीप
- 11 Mar 2025, 10:23 PM
- Updated: 10:23 PM
मुंबई, 11 मार्च (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कोल्हापुर सत्र अदालत से कहा कि वह छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोपी पूर्व पत्रकार प्रशांत कोरटकर की अग्रिम जमानत याचिका पर पक्षों को सुनने के बाद मामले के गुण-दोष के आधार पर फैसला करे।
उच्च न्यायालय ने कहा कि उसने इस मुद्दे के गुण-दोष पर विचार नहीं किया है, लेकिन अतिरिक्त सत्र अदालत मामले पर फैसला उसके गुण-दोष के आधार पर करेगा।
कोरटकर पर कोल्हापुर के इतिहासकार इंद्रजीत सावंत को कथित तौर पर धमकाने और छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके पुत्र संभाजी महाराज के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है।
कोल्हापुर पुलिस ने नागपुर निवासी कोरटकर के खिलाफ समूहों के बीच नफरत या शत्रुता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एक मामला दर्ज किया है। गिरफ्तारी के भय से पूर्व पत्रकार ने अग्रिम जमानत के लिए सत्र अदालत का रुख किया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी. वी. कश्यप ने एक मार्च को कोरटकर को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था और मामले की सुनवाई 11 मार्च को निर्धारित की थी। राज्य ने राहत को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी और दावा किया था कि आरोपी ने जांच में सहयोग नहीं किया है।
सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने मंगलवार को दलील दी कि अंतरिम राहत देते हुए सत्र अदालत ने कोरटकर को अपना मोबाइल फोन जमा करने का निर्देश दिया था। हालांकि, याचिकाकर्ता ने फोन व्यक्तिगत रूप से जमा करने के बजाय उसे अपनी पत्नी के साथ भेज दिया।
वकील ने कहा, ‘‘संबंधित अधिकारी द्वारा जांच करने पर पाया गया कि सौंपे गए मोबाइल फोन में कोई डेटा नहीं था और प्रतीत हुआ कि सब कुछ डिलीट हो गया है।’’
वेनेगांवकर ने दलील दी कि याचिकाकर्ता की भौतिक हिरासत "उचित जांच करने और हटाए गए किसी भी डेटा को पुनर्प्राप्त करने के लिए आवश्यक है, जो महत्वपूर्ण हो सकता है।’’
उन्होंने कहा कि जिस तरह से मोबाइल को सौंपा गया, उससे आरोपी के आचरण और सबूतों से छेड़छाड़ और निर्देशों का पालन न करने के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा हुईं।
कोरटकर की ओर से पेश वकील सौरभ घाग और सिद्धांत राउल ने दलील दी कि चूंकि सत्र अदालत मंगलवार को मामले की सुनवाई कर रहा था, इसलिए राज्य का आवेदन "पोषणीय नहीं है"।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद, न्यायमूर्ति राजेश पाटिल ने कहा, "यह (उच्च) न्यायालय उम्मीद करता है कि अतिरिक्त सत्र अदालत सभी पक्षों को सुनेगी और कानून के अनुसार आदेश पारित करेगी।"
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने मुद्दे के गुण-दोष पर विचार नहीं किया है, लेकिन अतिरिक्त सत्र अदालत यहां की गई किसी भी टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना मामले पर अपना निर्णय करेगी।
इस बीच, कोल्हापुर पुलिस ने कहा कि उसने सत्र अदालत में एक आवेदन दायर किया है, जिसमें अनुरोध किया गया है कि आरोपी सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। हालांकि, बचाव पक्ष ने दलील दी कि सुरक्षा कारणों से आरोपी अदालत में व्यक्तिगत रूप से मौजूद नहीं रह सकता। इसके बजाय वह डिजिटल तरीके से सुनवाई में शामिल हो सकता है। अदालत बुधवार को आरोपी की पेशी के बारे में मामले की सुनवाई करेगी।
भाषा अमित