परीक्षण के तीसरे चरण के तहत 6,500 किलोग्राम से अधिक यूनियन कार्बाइड अपशिष्ट को जलाया गया
दिमो सिम्मी
- 12 Mar 2025, 09:49 AM
- Updated: 09:49 AM
इंदौर, 12 मार्च (भाषा) भोपाल की बंद पड़ी ‘यूनियन कार्बाइड फैक्टरी’ से 6,500 किलोग्राम से अधिक विषाक्त अपशिष्ट को पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में परीक्षण के तीसरे चरण के तहत जलाया गया है। मध्यप्रदेश के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे के निपटान की योजना के तहत इसे राज्य की राजधानी से करीब 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक निजी कंपनी द्वारा संचालित अपशिष्ट निपटान संयंत्र में दो जनवरी को पहुंचाया गया था।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक, इस कचरे के निपटान का परीक्षण सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए तीन दौर में किया जाना है और अदालत के सामने तीनों परीक्षणों की रिपोर्ट 27 मार्च को पेश की जानी है।
परीक्षण के तीसरे चरण का विवरण देते हुए एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अपशिष्ट को (भस्मक में) डालने की प्रक्रिया 10 मार्च को शाम सात बजकर 41 मिनट पर शुरू हुई और 270 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से अपशिष्ट को भस्मक में डाला गया तथा 11 मार्च को रात आठ बजे तक कुल 6,570 किलोग्राम अपशिष्ट को भस्म कर दिया गया।’’
उन्होंने कहा कि प्रक्रिया के दौरान उत्सर्जन की निगरानी ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) के माध्यम से की जा रही है और अब तक वे निर्धारित सीमाओं के भीतर हैं।
अधिकारी ने कहा कि आसपास के तारपुरा, चिराखान और बजरंगपुरा गांवों में वायु की गुणवत्ता निर्धारित मानकों में रही।
उन्होंने बताया कि पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के 10 टन कचरे को परीक्षण के तौर पर भस्म करने का पहला दौर 28 फरवरी से शुरू होकर तीन मार्च को खत्म हुआ था। उन्होंने बताया कि पहले दौर का परीक्षण करीब 75 घंटे चला था और इस दौरान संयंत्र के भस्मक में हर घंटे 135 किलोग्राम कचरा डाला गया था।
परीक्षण के दूसरे दौर में कचरे का निपटान 180 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से किया गया। दूसरा दौर आठ मार्च को समाप्त हुआ।
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में गिना जाता है।
भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कारखाने का कचरा पीथमपुर लाए जाने के बाद इस औद्योगिक क्षेत्र में कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने इस कचरे के निपटान से इंसानी आबादी और आबो-हवा को नुकसान की आशंका जताई है जिसे प्रदेश सरकार ने सिरे से खारिज किया है।
प्रदेश सरकार का कहना है कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजाम हैं।
भाषा दिमो