बुलेट ट्रेन, वंदे भारत की चमक के पीछे आम आदमी की जरूरत न दबे : रास में विपक्ष ने कहा
मनीषा अविनाश
- 12 Mar 2025, 05:00 PM
- Updated: 05:00 PM
नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने ट्रेनों का किफायती किराया, साधारण डिब्बों में जगह, साफ-सुथरा प्लेटफार्म, पेयजल की व्यवस्था पर जोर देते हुए कहा कि बुलेट ट्रेन और वंदे भारत ट्रेन की चमक के पीछे आम आदमी की जरूरत नहीं दबनी चाहिए और ‘विकसित भारत’ बनाने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर काम करना चाहिए।
रेल मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुयी चर्चा में हिस्सा लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री एवं जद (एस) नेता एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि पटरियां बिछाने और आमान परिवर्तन सहित रेलवे की लंबित व अधूरी परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करना चाहिए अन्यथा बढ़ती लागत इन्हें पूरा करना मुश्किल बना देती है।
उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी को देखते हुए ट्रेनों की संख्या बढ़ाना जरूरी है लेकिन हमें सुरक्षा के पहलू को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि रेलवे को लाभप्रद उपक्रम बनाना और इसके राजस्व में वृद्धि भी जरूरी है क्योंकि यह लाखों लोगों को रोजगार देता है।
देवेगौड़ा ने कहा कि बुलेट ट्रेन और वंदे भारत ट्रेन अपनी जगह हैं लेकिन देश की बड़ी आबादी के लिए किफायती किराया, साधारण डिब्बों में जगह, साफ-सुथरा प्लेटफार्म, पीने के पानी की व्यवस्था अहम है। उन्होंने कहा कि आज रेल हादसों में कमी आई है लेकिन ‘विकसित भारत’ बनने की दिशा में ‘सुरक्षित रेल यात्रा’ के लिए ‘अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां’ अपनाना होगा।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अयोध्या रामी रेड्डी आला ने कहा ‘‘रेलवे बोर्ड से लेकर छोटे रेलवे स्टेशनों तक बदलाव तो आया है लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य के लिए बहुत काम करना होगा।’’
उन्होंने कहा कि रेलवे भारत सरकार का एक वाणिज्यिक उपक्रम है जिसे हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। ‘‘हमारी रणनीतियों में सुरक्षा, संरक्षा, राजस्व, सुविधाएं, निवेश हर पहलू को पर्याप्त महत्व मिलना चाहिए तब ही हम विकास को सार्थक कर पाएंगे।’’
उन्होंने सुझाव दिया कि रेलवे को अपने लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के सलाहकारों से परामर्श लेना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ये लक्ष्य एक वर्षीय से लेकर पांच वर्षीय हो सकते हैं। यह भी देखना होगा कि मानव संसाधन के मुद्दे से कैसे निपटा जा सकता है क्योंकि आबादी तो बढ़ रही है लेकिन रोजगार कहां है?’’
रामी रेड्डी ने कहा कि निजीकरण समाधान नहीं है और रेलवे को इससे दूर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रबंधन के स्तर पर बेहतर मॉडल का अध्ययन करना चाहिए, परिचालन स्तर पर गुणवत्ता पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता।
बीजू जनता दल के सुभाशीष खुंटिया ने कहा ‘‘देश के सबसे लाभदायक उपक्रम के लिए दलगत राजनीति से उठ कर कदम उठाने होंगे। यह देखना चाहिए कि रेलवे ओडिशा राज्य से 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना राजस्व अर्जित करता है लेकिन बदले में ओडिशा को केवल 10,000 करोड़ रुपये ही मिल पाते हैं।’’
उन्होंने मांग की कि पिछड़े एवं गरीब राज्य ओडिशा को अधिक राजस्व मिलना चाहिए ताकि राज्य में रेलवे नेटवर्क को, रेलवे अवसंरचना को मजबूत किया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रति व्यक्ति आय बेहद कम है और राज्य को महंगी नहीं बल्कि किफायती किराये वाली ट्रेनों की जरूरत है।
उन्होंने शिकायत की कि राज्य को समर्पित माल-भाड़ा गलियारे से वंचित रखा गया।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संजय यादव ने कहा कि रेलवे में सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ की तत्काल जरूरत है क्योंकि ‘एनसीआरबी’ के आंकड़ों के अनुसार देश में रेल दुर्घटनाओं से दो लाख साठ हजार लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने कहा कि रेल हादसों पर रोक के लिए ‘कवच’ प्रणाली ईजाद की गई लेकिन वह अब तक इस्तेमाल में नहीं लाई जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘2014 के बाद जिस तरह रेल का किराया बढ़ा, उसे देखते हुए सुविधाएं बिल्कुल नहीं मिली हैं? ट्रेनों में सफाई तो केवल कल्पना की बात है। जब ट्रेन के दस-बारह डिब्बों में सफाई नहीं रहती तो शहर कैसे साफ रहेगा?’’
यादव ने कहा कि केवल ट्रेन में ‘आपकी यात्रा मंगलमय हो’’ लिख देने से काम नहीं चलेगा, यात्रा को मंगलमय बनाने के लिए वास्तविक प्रयास करने होंगे।
विभिन्न रेल मंत्रियों के कार्यकाल में बिहार की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए यादव ने कहा कि जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद रेल मंत्री थे तब रेलवे मुनाफे का उपक्रम था और तब उन्होंने बिहार पर भी ध्यान दिया था।
उन्होंने केहा कि सरकार का काम हर देशवासी को किफायती सुविधाएं मुहैया कराना है, मुनाफा कमाना नहीं।
भाषा
मनीषा