लोकपाल के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई कार्यवाही के तहत न्यायालय 18 मार्च को करेगा सुनवाई
सिम्मी नेत्रपाल
- 16 Mar 2025, 12:39 PM
- Updated: 12:39 PM
नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय लोकपाल के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई उस कार्यवाही के तहत 18 मार्च को सुनवाई करेगा जिसमें उसने उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों पर विचार करने के लोकपाल के आदेश पर रोक लगा दी थी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
लोकपाल द्वारा 27 जनवरी को पारित आदेश पर उच्चतम न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू की है।
उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों पर विचार करने संबंधी लोकपाल के आदेश पर 20 फरवरी को रोक लगाते हुए इसे ‘‘अत्यधिक परेशान करने वाला’’ और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाला करार दिया था।
शीर्ष अदालत ने केंद्र, लोकपाल रजिस्ट्रार और उच्च न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले व्यक्ति को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के दायरे में कभी नहीं आते।
पीठ ने शिकायतकर्ता को न्यायाधीश का नाम उजागर करने से रोक दिया और शिकायतकर्ता को उसकी शिकायत गोपनीय रखने का भी निर्देश दिया।
लोकपाल ने उच्च न्यायालय के एक वर्तमान अतिरिक्त न्यायाधीश के विरुद्ध दायर दो शिकायतों पर यह आदेश पारित किया था।
इन शिकायतों में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने एक निजी कंपनी द्वारा शिकायतकर्ता के खिलाफ दायर मुकदमे की सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को और राज्य के एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को उस कंपनी के पक्ष में प्रभावित किया।
यह आरोप लगाया गया था कि निजी कंपनी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की उस समय मुवक्किल थी, जब वह (न्यायाधीश) वकालत करते थे।
लोकपाल ने अपने आदेश में निर्देश दिया था कि इन दोनों मामलों में रजिस्ट्री में प्राप्त विषयगत शिकायतें और संबद्ध सामग्री प्रधान न्यायाधीश के कार्यालय को उनके विचारार्थ भेजी जाए।
न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली लोकपाल पीठ ने 27 जनवरी को कहा था, ‘‘हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इस आदेश के जरिए हमने इस मुद्दे पर अंतिम रूप से ‘हां’ में निर्णय कर दिया है कि क्या संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 2013 के अधिनियम की धारा 14 के दायरे में आते हैं। न ज्यादा न कम। इसमें हमने आरोपों के गुण-दोष पर बिलकुल भी गौर नहीं किया है।’’
भाषा सिम्मी