मणिपुर हिंसा: उच्चतम न्याायलय ने कहा, गुवाहाटी में ही होगी मामलों की सुनवाई
आशीष रंजन
- 17 Mar 2025, 04:10 PM
- Updated: 04:10 PM
नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किये जा रहे मणिपुर जातीय हिंसा मामलों की सुनवाई असम के गुवाहाटी में की जाएगी, जहां इसे पूर्व में स्थानांतरित किया गया था।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति का कार्यकाल भी 31 जुलाई, 2025 तक बढ़ा दिया।
इस समिति में बंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश शालिनी पी जोशी और दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश आशा मेनन भी शामिल हैं। इस समिति का गठन शीर्ष अदालत ने सात अगस्त, 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा के पीड़ितों के राहत और पुनर्वास की देखरेख के लिए किया था।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने पिछले साल पांच अगस्त को समिति का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया था।
सोमवार को पीठ ने 25 अगस्त, 2023 को पीठ द्वारा मुकदमा पूर्व कार्यवाही के लिए गुवाहाटी स्थानांतरित किए गए मामलों में एक वकील की दलीलों पर गौर किया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि स्थानांतरित मामलों की सुनवाई गुवाहाटी की अदालतों में होगी।’’
मणिपुर में समग्र माहौल और आपराधिक न्याय प्रशासन की निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए शीर्ष अदालत ने विभिन्न अपराधों से संबंधित 27 मामलों को असम स्थानांतरित कर दिया। इसमें निर्वस्त्र अवस्था में घुमाई गई दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का मामला भी शामिल है, जिसका वीडियो सामने आया था।
शीर्ष अदालत ने कई निर्देश पारित करते हुए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को स्थानांतरित मामलों के निपटारे के लिए एक या एक से अधिक न्यायिक अधिकारियों को नामित करने का निर्देश दिया था। 27 मामलों में से 20 छेड़छाड़, बलात्कार, हत्या के आरोपों से संबंधित थे जबकि तीन हथियार लूट से संबंधित थे।
न्यायाधीशों की समिति द्वारा प्रस्तुत कई रिपोर्ट को सभी वादियों को सौंपे जाने के मामले में पीठ ने सकारात्मक रुख अपनाया, लेकिन पक्षों से ‘‘इसमें शामिल संवेदनशीलताओं’’ के कारण सावधानी बरतने को कहा। पीठ से सहमति जताते हुए मणिपुर सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कुछ लोगों के ‘‘निहित हित’’ होने की संभावना की ओर इशारा किया।
पीठ ने अगली सुनवाई 21 जुलाई के सप्ताह में तय की है।
पिछले साल नौ दिसंबर को पीठ ने मणिपुर सरकार को निर्देश दिया था कि वह राज्य में जातीय हिंसा के दौरान पूरी तरह या आंशिक रूप से जलाई गई, लूटी गई या अतिक्रमण की गई संपत्तियों की संख्या पर एक विस्तृत सीलबंद रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
इसमें राज्य द्वारा विस्थापित लोगों की शिकायतों का समाधान करने तथा उनकी संपत्तियों को बहाल करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया गया था।
रिपोर्ट में राज्य सरकार को कानून के अनुसार अतिक्रमणकारियों के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में भी बताने का निर्देश दिया गया।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से न्यायाधीशों की समिति द्वारा उठाए गए अस्थायी और स्थायी आवास के लिए धन जारी करने के मुद्दे पर भी जवाब देने को कहा।
अगस्त, 2023 में, शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर को आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी करने के लिए कहा।
राज्य में तीन मई, 2023 को पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोग मारे गए, सैकड़ों लोग घायल हुए और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
भाषा आशीष