चीन-भारत संबंधों पर मोदी की ‘सकारात्मक’ टिप्पणी की चीन ने ‘सराहना’ की
अमित पारुल
- 17 Mar 2025, 08:38 PM
- Updated: 08:38 PM
(केजेएम वर्मा)
बीजिंग, 17 मार्च (भाषा) चीन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारत-चीन संबंधों पर ‘‘सकारात्मक’’ टिप्पणी की सोमवार को सराहना की, जिसमें उन्होंने विवाद के बजाय संवाद पर जोर दिया है।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने यहां एक प्रेसवार्ता में अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणियों से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चीन ने चीन-भारत संबंधों पर प्रधानमंत्री मोदी की हालिया सकारात्मक टिप्पणी पर ध्यान दिया है और इसकी सराहना करता है।
माओ ने कहा कि अक्टूबर में रूस के कजान में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच सफल बैठक ने द्विपक्षीय संबंधों के सुधार और विकास के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण आम समझ का ईमानदारी से पालन किया है, सभी स्तरों पर आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को मजबूत किया है, तथा कई सकारात्मक परिणाम हासिल किए हैं।’’
मोदी की इस टिप्पणी पर कि भारत और चीन के बीच संबंध कोई नयी बात नहीं है, क्योंकि दोनों देशों की संस्कृतियां और सभ्यताएं प्राचीन हैं और वे सदियों से एक-दूसरे से सीखते आए हैं, माओ ने कहा, ‘‘मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूं कि दो हजार से अधिक वर्षों के इतिहास में चीन-भारत संबंधों की मुख्य धारा मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान और आपसी सीख रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सभ्यताओं और मानवता की प्रगति में बहुत बड़ा योगदान देता है।’’
माओ ने कहा, ‘‘दो सबसे बड़े विकासशील देशों के रूप में, चीन और भारत के पास अपना-अपना विकास और पुनरोद्धार हासिल करने का साझा कार्य है और उन्हें एक-दूसरे को समझना चाहिए और एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए और सफल होने में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि यह 2.8 अरब से अधिक लोगों के मौलिक हितों की पूर्ति करता है, क्षेत्रीय देशों की साझा आकांक्षाओं की पूर्ति करता है, और ‘ग्लोबल साउथ’ के मजबूत होने तथा विश्व शांति के लिए अनुकूल होने की ऐतिहासिक प्रवृत्ति का अनुसरण करता है।
माओ ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बयान को दोहराते हुए कहा, ‘‘दोनों देशों को ऐसा साझेदार बनना चाहिए, जो एक-दूसरे की सफलता में योगदान दें। ‘हाथी’ (भारत) और ‘ड्रैगन’ (चीन) का तालमेल बैठाकर साथ चलना ही दोनों देशों के संबंधों के लिए ‘एकमात्र सही विकल्प’ है।’’
माओ ने कहा कि चीन दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण आम सहमति को लागू करने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ को एक अवसर के रूप में लेगा, विभिन्न क्षेत्रों और सभी स्तरों पर आदान-प्रदान एवं सहयोग को बढ़ावा देगा तथा द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ व स्थिर विकास के पथ पर आगे बढ़ाएगा।
मोदी ने अपने पॉडकास्ट में कहा कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 2020 में हुई झड़पों से उत्पन्न तनाव को कम करने के लिए राष्ट्रपति शी के साथ उनकी हालिया बातचीत के बाद भारत-चीन सीमा पर सामान्य स्थिति लौट आई है।
विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों के बीच संबंधों के प्रति आशावादी रुख अपनाते हुए मोदी ने कहा कि पड़ोसियों के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं तथा उन्होंने उनके बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया, जब दोनों सभ्यताएं एक-दूसरे से सीखती थीं तथा उनके बीच बहुत कम संघर्ष होता था।
मोदी ने कहा कि उनके प्रयासों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनके मतभेद विवाद में न बदल जाएं और विवाद के बजाय संवाद पर जोर देते हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने एक समय वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया था।
प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारा सहयोग न केवल (पारस्परिक रूप से) लाभकारी है, बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक भी है।"
भाषा अमित