बैंकों ने पिछले 10 वर्षों में 16.35 लाख करोड़ रुपये के चुकता नहीं किये गए ऋण बट्टे खाते में डाले
सुभाष वैभव
- 17 Mar 2025, 05:38 PM
- Updated: 05:38 PM
नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि बैंकों ने पिछले 10 वित्तीय वर्षों में लगभग 16.35 लाख करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) या नहीं चुकाये गए ऋणों को बट्टे खाते में डाल दिया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सबसे अधिक 2,36,265 करोड़ रुपये के एनपीए बट्टे खाते में डाले गए, जबकि 2014-15 में 58,786 करोड़ रुपये के एनपीए बट्टे खाते में डाले गए, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे कम है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2023-24 के दौरान, बैंकों ने 1,70,270 करोड़ रुपये के चुकता नहीं किये गए ऋणों को बट्टे खाते में डाल दिया, जो इसके पूर्ववर्ती वित्त वर्ष के 2,16,324 करोड़ रुपये से कम है।
मंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों और बैंकों के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार, बैंक गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) को बट्टे खाते में डाल देते हैं, जिनमें वे एनपीए भी शामिल हैं जिनके चार वर्ष पूरे होने पर ऐसा प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस तरह बट्टे खाते में डालने से उधारकर्ताओं की देनदारियों में छूट नहीं मिलती और इसलिए इससे उधारकर्ता को कोई लाभ नहीं होता।
उन्होंने कहा कि बैंक अपने पास उपलब्ध विभिन्न वसूली तंत्रों के तहत उधारकर्ताओं के विरुद्ध शुरू की गई वसूली कार्रवाइयों को जारी रखते हैं, जैसे कि दीवानी अदालतों या ऋण वसूली अधिकरणों में वाद दायर करना, वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम के तहत कार्रवाई करना। इसके अलावा, इनमें दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण में मामले दायर करना आदि भी शामिल है।
मंत्री ने कहा कि आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 31 दिसंबर 2024 तक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में 29 विशिष्ट उधारकर्ता कंपनियां शामिल थीं, जिन्हें एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया है और उनमें से प्रत्येक पर 1,000 करोड़ रुपये और उससे अधिक का बकाया है। इन खातों में कुल बकाया 61,027 करोड़ रुपये है।
उधारकर्ताओं से देय राशि की वसूली के संबंध में, बैंक उधारकर्ताओं को कॉल करते हैं और देय राशि के भुगतान के संबंध में ईमेल/पत्र भेजते हैं। वहीं, बैंक कॉरपोरेट उधारकर्ताओं के मामले में कंपनी दिवालियापन समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण से भी संपर्क कर सकते हैं।
एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के वित्तीय निहितार्थ का पता उस वक्त चलेगा, जब इस वेतन आयोग द्वारा सिफारिशें की जाएंगी और सरकार द्वारा उन्हें स्वीकार कर लिया जाएगा।
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