रूस-यूक्रेन युद्ध की चिंता छोड़ मणिपुर में शांति बहाली पर ध्यान दें प्रधानमंत्री : विपक्ष
ब्रजेन्द्र मनीषा ब्रजेन्द्र माधव
- 17 Mar 2025, 06:15 PM
- Updated: 06:15 PM
नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) विपक्षी दलों ने हिंसाग्रस्त मणिपुर का अब तक दौरा न करने के लिए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कड़ी आलोचना की और कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की चिंता छोड़ उन्हें पूर्वोत्तर के राज्य में शांति स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
राज्यसभा में सोमवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए मणिपुर बजट और अनुदानों की अनुपूरक मांगों पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने यह दावा भी किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रधानमंत्री मोदी को आलोचनाओं से बचाने के लिए केंद्र को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा।
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने उच्च सदन में मणिपुर बजट और अनुदानों की अनुपूरक मांगों को चर्चा के लिए प्रस्तुत किया।
चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी वहां जाकर मणिपुर के लोगों के दुख में हिस्सा लेते और उनके दर्द को महसूस करते तो इसका देशभर में सकारात्मक संदेश जाता।
उन्होंने कहा कि मणिुपर का मुद्दा ऐसा था, जिस पर दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए संसद में चर्चा किए जाने और एक स्वर में संदेश देने की जरूरत थी कि पूर्वोत्तर के इस राज्य का दर्द पूरे देश का दर्द है और पूरा देश उसके साथ खड़ा है।
गोहिल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी गुजरात से आते हैं और महात्मा गांधी भी गुजरात से ही थे।
उन्होंने कहा कि गुजरात के किसी गरीब के घर में दिक्कत होती थी तो तृतीय श्रेणी के रेल डिब्बे में बैठकर गांधी जी वहां पहुंच जाते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘आज मणिपुर आप जाइए। हमारा गुजरात तो गांधी का गुजरात है, जहां की परंपरा दूसरे के आंसू पोंछने की रही है।’’
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि भाजपा के लोग कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध रुकवाएंगे और सोशल मीडिया पर तो ‘कुछ लोग’ दावा करते हैं कि उन्होंने इस युद्ध को रूकवा दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहता हूं कि मणिपुर में शांति करवा दो। यूक्रेन-रूस युद्ध.... जरूरत नहीं है। आप वहां (मणिपुर) जाइए, लोगों के बीच जाइए। वहां के लोग इतने अच्छे हैं कि आपको कोई दिक्कत नहीं होगी। राहुल गांधी (लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष) वहां गए थे। लोगों ने उन्हें प्यार दिया। इसलिए, डरने की जरूरत नहीं है। मणिपुर हमारा है। बहुत प्यारा है और वहां के लोग तो बहुत बढ़िया है वहां जरूर प्रधानमंत्री जी जाएं।’’
मणिपुर के लिए बजट आवंटन का जिक्र करते हुए गोहिल ने इसे बहुत कम बताया और कहा कि सरकार चाहे तो सदन के सदस्यों की तनख्वाह काट ले लेकिन मणिपुर की चिंता करे।
तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि मणिपुर के लोगों ने दो-दो ‘डबल इंजन’ की सरकार चुनी लेकिन उसी ‘डबल इंजन’ की सरकार ने वहां का क्या हाल कर दिया।
उन्होंने दावा किया, ‘‘मणिपुर जल रहा है।’’
देव ने कहा कि उन्हें मणिपुर के लिए एक अच्छे बजट की और साथ ही विशेष सहायता पैकेज दिए जाने की उम्मीद थी लेकिन बजट से उन्हें निराशा हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग सीना ठोंक कर ‘एक्ट ईस्ट’ की बात किया करते थे, मणिपुर के मामले में तो यह ‘एक्ट लिस्ट’ हो गया।’’
तृणमूल सदस्य ने कहा कि मणिपुर बेशक एक छोटा राज्य है लेकिन वह ईस्ट एशिया का द्वार है और जब तक वहां शांति नहीं बहाल होगी तब तक पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में अशांति रहेगी।
उन्होंने कहा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना कोई अप्रत्याशित घटना नहीं थी लेकिन जिस हालात में वहां इसे लागू किया गया, उसे यह देश कभी नहीं भूलेगा।
मणिपुर में हिंसा के विभिन्न घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए देव ने कहा कि वहां हिंसा की शुरुआत होने के कुछ दिनों बाद से तत्कालीन मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह को हटाए जाने की मांग उठती रही लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि इस हिंसाग्रस्त राज्य में छह महीने तक कार्यवाहक राज्यपाल रखा गया।
उन्होंने मणिपुर को लेकर उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का हवाला दिया और कहा कि मणिपुर को बचाने के लिए वहां राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया गया बल्कि प्रधानमंत्री को और भाजपा को ‘फजीहत’ से बचाने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
उन्होंने विभिन्न केंद्रीय मदों के तहत पश्चिम बंगाल के लिए आवंटित राशि न जारी करने का मुद्दा भी उठाया और कहा कि यह पश्चिम बंगाल की जनता पर हमला है।
उन्होंने सभी लंबित कोष जारी करने की मांग की।
उन्होंने केरल और तमिलनाडु में रेलवे के आवंटन में कटौती किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि यह इस बात का दूसरा उदाहरण है कि जहां ‘डबल इंजन’ की सरकार नहीं होगी तो उन राज्यों को पैसा नहीं मिलेगा।
‘डबल इंजन’ सरकार हाल के वर्षों में भाजपा का मुख्य चुनावी मुद्दा रहा है। केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार बनाने के लिए पार्टी के नेता अक्सर ‘डबल इंजन’ सरकार की बात करते हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के विकास रंजन भट्टाचार्य (माकपा) ने कहा कि जो मणिपुर भाईचारे के लिए जाना जाता था, उसे भाजपा ने ‘बर्बाद’ कर दिया।
अन्य विपक्षी सदस्यों से इतर, उन्होंने मणिपुर न जाने के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना नहीं की बल्कि इसकी सराहना की।
उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री अगर वहां जाते तो स्थितियां ‘और बदतर’ हो सकती थीं।
उन्होंने कहा कि वह लोकतंत्र के लिए राष्ट्रपति शासन को अच्छा नहीं मानते हैं लेकिन मणिपुर में उनकी ‘डबल इंजन’ की सरकार ‘फेल’ हो गई, इसलिए इसे यह उसकी मजबूरी थी।
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के आर गिरिराजन ने कहा कि मणिपुर के नाम पर सरकार केवल छलावा कर रही है क्योंकि वहां के लोगों को जो घाव मिले हैं, वह कभी नहीं भरेंगे।
बीजू जनता दल की सुलता देव ने कहा कि लंबे समय से मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा की मांग विपक्ष करता रहा है लेकिन कभी चर्चा नहीं की गई।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार यह स्पष्ट करे कि मणिपुर भारत में है या नहीं। न प्रधानमंत्री वहां गए और जो लोग मणिपुर जाना चाहते थे उन्हें जाने नहीं दिया गया।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मणिपुर नहीं गए लेकिन दो साल में वह कई बार विदेश जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि मणिपुर के ही रास्ते पर ओडिशा है फिर ‘डबल इंजन’ की सरकार क्या मायने रखती है।
भाजपा के अजीत गोपछड़े ने मणिपुर को ‘देवभूमि’ और ‘स्वर्ण भूमि’ बताया और कहा कि हिंदुस्तान की आर्थिक प्रगति में यह राज्य बहुत बड़ा योगदान कर रहा है।
उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों को सच में यदि मणिपुर से प्रेम होता तो वे ‘नकारात्मक बातें’ करने की बजाय समस्या का समाधान बताते।
उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर को बदनाम करने की कोशिश मत करो।’’
भाषा ब्रजेन्द्र मनीषा ब्रजेन्द्र