संसदीय समिति ने भू-राजनीतिक संदर्भ के अनुरूप विदेश नीति पर रणनीति तैयार करने का सुझाव दिया
सुभाष माधव
- 17 Mar 2025, 06:18 PM
- Updated: 06:18 PM
नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने विदेश नीति पर एक व्यापक रणनीति तैयार करने की सिफारिश की है जो विशेष रूप से ‘‘भारत के विशिष्ट भू-राजनीतिक संदर्भ’’ और उभरते वैश्विक संबंधों के अनुरूप हो।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह जानने के लिए वह उत्सुक है कि क्या विदेश मंत्रालय ने एक ‘‘वृहद रणनीति’’ बनाने पर विचार किया है, जो स्पष्ट रूप से दीर्घावधि के लिए विदेश नीति के उद्देश्यों, लक्ष्यों और रणनीति को रेखांकित करती हो।
सोमवार को संसद में अनुदान मांगों (2025-26) पर विदेश मामलों की समिति (2024-25) की पांचवीं रिपोर्ट पेश की गई।
समिति ने करीब 250 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है, ‘‘अपने बढ़ते भू-राजनीतिक प्रभाव के साथ भारत को बढ़ते वैश्विक कद के अनुरूप भविष्योन्मुखी विदेश नीति के लिए अपना रोडमैप तैयार करने में पीछे नहीं रहना चाहिए।’’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति ने हालांकि सुझाव दिया है कि मंत्रालय को तर्कसंगत अगला कदम उठाने की वांछनीयता पर विचार करना चाहिए, जो कि एक औपचारिक और व्यापक विदेश नीति दस्तावेज/रणनीति तैयार करना है, जो विशेष रूप से भारत के विशिष्ट भू-राजनीतिक संदर्भ और विकसित होते वैश्विक संबंधों के अनुरूप हो।’’
इसमें कहा गया है कि विदेश मंत्रालय को ऐसे दस्तावेज की व्यवहार्यता और दायरे का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों, राजनयिकों, नीति निर्माताओं और समिति सहित संबद्ध हितधारकों के साथ ‘‘शीघ्रता से परामर्श शुरू करना चाहिए।’’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति इस संबंध में की गई कार्रवाई से अवगत होना चाहती है।’’
समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि उसका यह भी मानना है कि ‘‘ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी और जापान जैसे देशों ने राष्ट्रीय विदेश नीति रणनीतियों को औपचारिक रूप दिया है, जो उनके अंतरराष्ट्रीय संबंध का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण साबित हुए हैं।’’
रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने समिति को दिये अपने जवाब में कहा है कि ‘‘कोई भी ऐसा व्यापक और औपचारिक रणनीतिक दस्तावेज नहीं है’’ जो भारत की विदेश नीति के लिए रोडमैप को प्रदर्शित कर सके, ‘‘हमारी कूटनीतिक रणनीति के अंतर्निहित सिद्धांत लंबे समय से स्थापित और स्थायी हैं।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेश मंत्रालय लगातार उभरती वैश्विक चुनौतियों को लेकर अपने कूटनीतिक रुख और नीतियों का आकलन और उनमें सुधार करता रहता है। इसमें कहा गया है कि भारत के रुख को विभिन्न मंचों के माध्यम से व्यक्त किया गया है।
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