राजनाथ ने गबार्ड के साथ बैठक में अमेरिका में एसएफजे की गतिविधियों पर चिंता जताई
आशीष प्रशांत
- 17 Mar 2025, 10:18 PM
- Updated: 10:18 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड को खालिस्तानी अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) की अमेरिकी धरती पर गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया और उनसे इसे आतंकवादी संगठन घोषित करने का आग्रह किया। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि रायसीना हिल्स स्थित अपने कार्यालय में 30 मिनट से अधिक समय तक की बैठक में राजनाथ ने गबार्ड को एसएफजे के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ कथित संबंधों और बब्बर खालसा आतंकवादी समूह के साथ इसके ‘‘तालमेल’’ के बारे में भी अवगत कराया तथा इसके खिलाफ कार्रवाई के लिए जोर डाला।
सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री ने एसएफजे द्वारा अमेरिका में विभिन्न हिंदू धार्मिक स्थानों को निशाना बनाने पर चिंता जताई और कहा कि ऐसी गतिविधियों को रोका जाना चाहिए।
एसएफजे का नेतृत्व गुरपतवंत सिंह पन्नू करता है। एसएफजे भारत में प्रतिबंधित संगठन है। पन्नू भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा विभिन्न आतंकी मामलों में वांछित है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी गबार्ड की मुलाकात हुई। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘आज शाम अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से मिलकर खुशी हुई। समकालीन वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर सार्थक बातचीत हुई।’’
राजनाथ और गबार्ड ने रक्षा, प्रौद्योगिकी और सूचना साझा करने के क्षेत्रों में भारत एवं अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करने पर भी चर्चा की।
आधिकारिक बयान के अनुसार, राजनाथ और गबार्ड ने समुद्री क्षेत्र में द्विपक्षीय रणनीतिक सहयोग की भी समीक्षा की।
गबार्ड भारत की ढाई दिन की यात्रा पर रविवार तड़के राष्ट्रीय राजधानी आईं। यह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के किसी शीर्ष अधिकारी की भारत की पहली उच्चस्तरीय यात्रा है।
राजनाथ ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि उन्हें अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया प्रमुख से मिलकर ‘‘खुशी’’ हुई और उन्होंने भारत-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत बनाने के तरीकों पर चर्चा की।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हमने भारत-अमेरिका साझेदारी को और गहरा करने के उद्देश्य से रक्षा और सूचना साझा करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की।’’
समझा जाता है कि दोनों पक्षों ने क्षेत्र में चीनी सेना की बढ़ती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती सुरक्षा स्थिति पर भी विचार-विमर्श किया।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि राजनाथ और गबार्ड ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘रणनीतिक सुरक्षा’’ भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनी हुई है।
बयान में कहा गया, ‘‘राजनाथ सिंह और तुलसी गबार्ड ने भारत और अमेरिका के बीच सैन्य अभ्यास, रणनीतिक सहयोग, रक्षा औद्योगिक आपूर्ति शृंखलाओं के एकीकरण और सूचना-साझा करने में सहयोग, विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र में, समेत विभिन्न क्षेत्रों में की गई महत्वपूर्ण प्रगति की समीक्षा की।’’
बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने अत्याधुनिक रक्षा नवाचार और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों में सहयोग के अवसरों पर भी चर्चा की, जो पारस्परिक रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए उनकी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बयान के मुताबिक, राजनाथ ने ‘‘भारतीय संस्कृति और विरासत के प्रति दृढ़ सद्भावना’’ के लिए अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक का ‘‘आभार’’ व्यक्त किया, और कहा कि ऐसी भावनाएं भारत और अमेरिका के बीच मित्रता के बंधन को और गहरा करती हैं।
बयान में कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हाल की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान से पता चलता है कि चर्चाओं में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी की बढ़ती ताकत की पुष्टि की गई है।’’
इससे एक दिन पहले ही गबार्ड ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल से मुलाकात की थी और राष्ट्रीय राजधानी में भारत द्वारा आयोजित वैश्विक खुफिया विशेषज्ञों के सम्मेलन में हिस्सा लिया था।
ऐसा माना जा रहा है कि डोभाल और गबार्ड ने आमने-सामने की बैठक में भारत-अमेरिका वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के अनुरूप मुख्य रूप से खुफिया जानकारी साझा करने के तंत्र को मजबूत करने और सुरक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा की।
गबार्ड, कनाडा के खुफिया विभाग के प्रमुख डेनियल रोजर्स और ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन पॉवेल दुनियाभर के उन शीर्ष खुफिया अधिकारियों में शामिल हैं, जिन्होंने यहां भारत द्वारा आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लिया।
माना जा रहा है कि खुफिया और सुरक्षा विभागों के शीर्ष अधिकारियों ने आतंकवाद और उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए खुफिया जानकारी साझा करने तथा आपसी सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया।
गबार्ड मंगलवार को रायसीना डायलॉग सम्मेलन को संबोधित करेंगी।
भाषा आशीष