मुस्लिम ठेकेदारों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण: भाजपा ने कर्नाटक सरकार के 'असंवैधानिक कदम' की निंदा की
अमित दिलीप
- 17 Mar 2025, 09:34 PM
- Updated: 09:34 PM
नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकारी ठेकों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने के कर्नाटक सरकार के प्रस्ताव को सोमवार को ‘‘असंवैधानिक दुस्साहस’’ करार दिया।
भाजपा ने कहा कि वह इस कदम को वापस लिए जाने तक इसके खिलाफ सभी स्तरों पर संघर्ष करेगी और इसे अदालत में भी चुनौती देगी।
इससे पहले, शुक्रवार को राज्य मंत्रिमंडल ने कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी, जिसके तहत दो करोड़ रुपये तक के (सिविल) कार्यों तथा एक करोड़ रुपये तक के माल/सेवाओं के चार प्रतिशत ठेके मुसलमानों के लिए आरक्षित किए जाएंगे।
बेंगलुरू दक्षिण लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भाजपा प्रस्तावित असंवैधानिक कदम का दृढ़ता से विरोध करती है और मांग करती है कि सिद्धरमैया सरकार प्रस्तावित असंवैधानिक दुस्साहस को तुरंत वापस ले।’’
संवाददाता सम्मेलन में सूर्या के साथ मंच पर कर्नाटक से भाजपा सांसद पी सी मोहन, बृजेश चौटा और सी एन मंजूनाथ मौजूद थे।
सूर्या ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली सरकार का निर्णय कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व, विशेषकर राहुल गांधी के निर्देश पर और उनके संरक्षण में मुसलमानों को खुश करने के लिए एक ‘‘सोचा-समझा’’ कदम है।
सूर्या ने आरोप लगाया कि इस कदम का उद्देश्य प्रतिबंधित पीएफआई के "पारितंत्र और बेरोजगार लोगों" को "वित्तीय मजबूती" प्रदान करना भी है।
सूर्या ने कहा, ‘‘शायद देश में पहली बार, एक सरकार जो प्रकृति में धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करती है, राज्य में धर्मांतरण को प्रोत्साहित कर रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट रूप से असंवैधानिक और प्रथम दृष्टया अवैध कृत्य है, जिसे अदालत में चुनौती दी जाएगी। भाजपा विधानसभा के अंदर और बाहर सड़कों पर इस कदम के खिलाफ संघर्ष करेगी। हम संसद में भी इस मुद्दे को उठाएंगे और संसद के बाहर इसका विरोध करेंगे।’’
सूर्या ने आरोप लगाया कि कर्नाटक सरकार का यह कदम राष्ट्रीय एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अदालत के अंदर इस कदम का विरोध करेंगे। हम कर्नाटक के लोगों के बीच इस लड़ाई को लेकर जाएंगे। जब तक यह असंवैधानिक कदम वापस नहीं लिया जाता, तब तक भाजपा की लड़ाई जारी रहेगी।’’
सूर्या ने कहा कि उच्चतम न्यायालय सहित विभिन्न अदालतों ने बार-बार कहा है कि धर्म के आधार पर आरक्षण "असंवैधानिक है और इसकी अनुमति नहीं है", भीम राव आंबेडकर ने भी धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के विचार का कड़ा विरोध किया था।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘जवाहरलाल नेहरू (भारत के पहले प्रधानमंत्री) के कार्यकाल से ही कांग्रेस ने लगातार अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की कीमत पर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण को प्राथमिकता दी है।’’
सूर्या ने कर्नाटक सरकार के बजट को भी "असंवैधानिक" करार दिया, जिसमें राज्य में मुसलमानों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का प्रस्ताव है और कहा कि भाजपा संसद में इस मुद्दे को उठाएगी और राज्य विधानसभा में इसका विरोध करेगी।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम इसे कानूनी रूप से अदालत में चुनौती देंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान के साथ यह ज़बरदस्त छेड़छाड़ खारिज हो और अंततः विफल हो।"
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने हाल ही में राज्य विधानसभा में 2025-26 के लिए बजट पेश किया और विभिन्न क्षेत्रों के लिए कई घोषणाएं कीं, जिसमें वक्फ संपत्तियों की मरम्मत और जीर्णोद्धार, बुनियादी ढांचे और मुस्लिम कब्रिस्तानों की सुरक्षा के लिए 150 करोड़ रुपये का आवंटन शामिल है।
मुख्यमंत्री ने इस वित्तीय वर्ष में 1,000 करोड़ रुपये के परिव्यय से मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक कॉलोनी विकास कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए एक कार्य योजना का भी प्रस्ताव रखा।
सूर्या ने आरोप लगाया, ‘‘अल्पसंख्यक इलाका क्या है और इसके लिए 1,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन क्यों किया जाना चाहिए?’’
भाषा अमित