नौकरी के बदले जमीन घोटाला: राबड़ी देवी, उनके बेटे तेज प्रताप पटना में ईडी के समक्ष पेश हुए
अनवर नेत्रपाल खारी
- 18 Mar 2025, 03:11 PM
- Updated: 03:11 PM
(तस्वीरों सहित)
पटना, 18 मार्च (भाषा) बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी और उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव कथित ‘‘नौकरी के बदले जमीन’’ घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश हुए। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
राबड़ी सुबह करीब साढ़े 10 बजे पटना में बैंक रोड स्थित ईडी के कार्यालय पहुंचीं। इस दौरान उनकी बड़ी बेटी एवं पाटलिपुत्र से सांसद मीसा भारती भी मौजूद थीं जिनका नाम भी इस मामले में आरोपी के तौर पर दर्ज है।
पूर्व मंत्री एवं मौजूदा विधायक तेज प्रताप यादव अपराह्न से पहले के विधानसभा सत्र में शामिल होने के बाद ईडी कार्यालय पहुंचे।
ईडी दफ्तर के अंदर और बाहर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
एजेंसी के कार्यालय की ओर जाने वाली सड़क पर राजद के सैकड़ों कार्यकर्ता इकट्ठा हो गए और नारेबाजी की। इस दौरान राजद के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव, विधायक भी मौजूद थे।
सिंह ने आरोप लगाया, ‘‘बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार लालू यादव के परिवार को परेशान कर रही है और उनकी छवि धूमिल करने के लिए केंद्रीय एजेंसी का गलत इस्तेमाल कर रही है।’’
राजद के एक और प्रवक्ता एजाज अहमद ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, ‘‘यह अब स्पष्ट हो गया है कि जब भी भाजपा को किसी राज्य में चुनाव का सामना करना पड़ता है तो वह अपने विरोधियों पर केंद्रीय एजेंसियों को तैनात कर देती है। हमने झारखंड और दिल्ली में ऐसा ही देखा। अब यह बिहार में देखा जा रहा है।’’
इसी मामले में पूछताछ के लिए लालू प्रसाद को 19 मार्च को तलब किया गया है। सूत्रों ने बताया कि तीनों के बयान धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज किए जाने हैं।
इस मामले में प्रसाद, देवी और उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव से ईडी पहले भी पूछताछ कर चुकी है।
पिछले साल ईडी ने दिल्ली की एक अदालत में प्रसाद के परिवार के सदस्यों के खिलाफ इस मामले में आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती तथा हेमा यादव के अलावा कुछ अन्य को भी आरोपी बनाया गया था।
यह मामला 2004-2009 के दौरान रेलवे में समूह ‘डी’ नियुक्तियों से संबंधित है। उस समय लालू यादव संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में रेल मंत्री थे।
ईडी ने पहले एक बयान में कहा था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी के अनुसार अभ्यर्थियों को रेलवे में नौकरी के बदले में ‘‘रिश्वत के तौर पर जमीन हस्तांतरित करने’’ के लिए कहा गया था।
धनशोधन का मामला सीबीआई की शिकायत पर आधारित है।
एजेंसी के मामले के अनुसार, लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों- राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा यादव ने अभ्यर्थियों के परिवारों से (जो भारतीय रेलवे में ग्रुप डी के विकल्प के रूप में चुने गए थे) मामूली रकम पर जमीन हासिल कर ली थी।
ईडी ने कहा, ‘‘आरोपपत्र में नामजद एक अन्य आरोपी हृदयानंद चौधरी, राबड़ी देवी की गौशाला का पूर्व कर्मचारी है, जिसने एक अभ्यर्थी से संपत्ति अर्जित की थी और बाद में उसे हेमा यादव को हस्तांतरित कर दिया था।’’
एजेंसी ने कहा कि ‘ए.के. इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘ए.बी. एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड’ जैसी फर्जी कंपनियां थीं, जिन्होंने प्रसाद के परिवार के सदस्यों के लिए अपराध की आय प्राप्त की। इसने कहा कि मुखौटे के तौर पर काम करने वाले लोगों द्वारा उक्त कंपनियों के नाम पर अचल संपत्तियां अर्जित की गईं।
ईडी ने दावा किया कि बाद में प्रसाद के परिवार के सदस्यों को नाममात्र की राशि में हिस्सेदारी हस्तांतरित की गई।
भाषा अनवर नेत्रपाल