भाजपा सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए संभल और औरंगजेब जैसे मुद्दे उछालती है : अखिलेश यादव
राजकुमार
- 18 Mar 2025, 07:52 PM
- Updated: 07:52 PM
लखनऊ, 18 मार्च (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर धार्मिक स्थलों को खतरे में डालने एवं सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए संभल तथा औरंगजेब जैसे मुद्दे उछालती है।
यादव ने यहां रोज़ा इफ्तार के बाद पत्रकारों से कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त होने के साथ ही स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाएं बर्बाद है, लेकिन भाजपा सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए संभल और औरंगजेब जैसे मुद्दे उछालती है।
सपा मुख्यालय से जारी एक बयान के अनुसार यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार में राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गयी है, हत्या, लूट और अपराध चरम पर है।
उन्होंने दावा किया कि सत्ता के संरक्षण में दबंगों, अराजकतत्वों और अपराधियों के हौसले बढ़े हुए है।
सपा प्रमुख ने हाल की कुछ घटनाओं को गिनाते हुए कहा कि शाहजहांपुर में पुलिस को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया, बरेली में डीएसपी का घर और गाड़ी जला दी गयी, जेल के अधिकारी अपने ही अधिकारी पर आरोप लगा रहे हैं, उनकी शिकायत कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, उल्टे शिकायत करने वाले पर ही कार्रवाई कर दी गयी।
यादव ने कहा कि भाजपा सरकार पुलिस से गलत काम करा रही है, अन्याय करा रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने उपचुनाव में पुलिस के जरिए मतदान केंद्रों को लूटा है तथा वह विपक्षी दलों के नेताओं पर झूठे मुकदमे लगवा रही है।
उन्होंने भाजपा पर अपने राजनीतिक लाभ के लिए पुलिस का दुरूपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब भाजपा सरकार पुलिस से गलत काम करायेगी तो उसे पुलिस के गलत काम को छिपाना पड़ेगा।
यादव ने दावा किया,‘‘धीरे-धीरे भाजपा के आचरण के कारण न केवल मस्जिदें बल्कि सभी धार्मिक स्थल खतरे में पड़ जाएंगे। यहां तक कि हमारा केदारेश्वर मंदिर (इटावा में) भी उनके लिए समस्या बन गया है।’’
उन्होंने कहा कि भाजपा दूसरों द्वारा मंदिर निर्माण के प्रयासों पर आपत्ति जताती है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम अपने लोगों के समर्थन से मंदिर बनाते हैं, तो भी भाजपा को परेशानी होती है। ऐसे में हमें क्या कहना चाहिए? भाजपा के शासन में हर धार्मिक स्थल खतरे में है।’’
भाषा आनन्द