केरल में आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल को लेकर राज्यसभा में कांग्रेस व माकपा के बीच वाकयुद्ध
अविनाश रंजन
- 18 Mar 2025, 08:57 PM
- Updated: 08:57 PM
नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) केरल में आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल को लेकर मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस और माकपा सदस्यों के बीच नोंकझोंक हुयी।
केरल में आशा कार्यकर्ता अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रही हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सदस्य जेबी माथेर ने आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल का जिक्र किया और आरोप लगाया कि न तो केरल में माकपा नीत वाम मोर्चा और न ही केंद्र सरकार उनकी मांगों पर ध्यान दे रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘करीब 27,000 आशा कार्यकर्ता पिछले 37 दिनों से (केरल) सचिवालय की सीढ़ियों पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं... अब उन्होंने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा की है... न तो केरल सरकार और न ही केंद्र ने उनकी चिंताओं पर गौर किया है।’’
उन्होंने कहा कि केरल में आशा कार्यकर्ताओं को 7,000 रुपये प्रति माह मानदेय मिलता है और इस ‘मामूली’ राशि के भुगतान में भी देरी हो रही है। उन्होंने कहा, ‘‘क्या कोई परिवार 233 रुपये प्रतिदिन पर गुजारा कर सकता है?’’
माथेर के भाषण समाप्त करते ही माकपा सदस्य जॉन ब्रिटास ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया और कहा कि केरल आशा कार्यकर्ताओं को सबसे अधिक मानदेय देता है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा, ‘‘क्या यह सच नहीं है कि केरल आशा कार्यकर्ताओं को सबसे अधिक मानदेय देता है?’’ उन्होंने कांग्रेस पर केरल में वाम मोर्चा सरकार को घेरने के लिए भाजपा के साथ हाथ मिलाने का आरोप लगाया।
माकपा सदस्य ने पूछा, ‘‘कांग्रेस केरल में भाजपा से मिली हुई है... क्या उसमें भाजपा से मुकाबला करने की हिम्मत है?’’
चर्चा में भाग लेते हुए आईयूएमएल सदस्य अब्दुल वहाब ने भी केरल की वाम मोर्चा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘‘जब हम केरल सरकार के बारे में सच बोल रहे होते हैं, तो ये लोग व्यवस्था का प्रश्न उठाने लगते हैं। हमें नहीं पता कि कौन सही है और कौन गलत। ब्रिटास कह रहे हैं कि केंद्र जिम्मेदार है और हम कह रहे हैं कि केंद्र और राज्य दोनों जिम्मेदार हैं।’’
वहाब ने यह भी मांग की कि केरल में एक एम्स स्थापित किया जाए और देश में एमबीबीएस सीटों में वृद्धि की जाए।
आईयूएमएल केरल में कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) का हिस्सा है।
चर्चा में भाग लेते हुए, तृणमूल कांग्रेस सदस्य नदीमुल हक ने केंद्र सरकार से जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी हटाने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि ममता बनर्जी सरकार के तहत, पश्चिम बंगाल में अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या दोगुनी कर दी गई है।
समाजवादी पार्टी की सदस्य जया बच्चन ने मातृ स्वास्थ्य, बुजुर्गों की देखभाल और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जब माताएं रक्तस्राव से मर जाती हैं और बच्चे भूख से मर जाते हैं, तो हम चिकित्सा सुविधाओं में प्रगति का दावा कैसे कर सकते हैं?
उन्होंने कहा कि भारत में शिशु मृत्यु दर श्रीलंका और चीन जैसे देशों से भी अधिक है और पांच साल से कम उम्र के कुपोषित बच्चों के मामले में भी भारत सबसे ऊपर है।
सपा सदस्य ने अंगदान की स्थिति और लंबी प्रतीक्षा सूची पर भी चिंता व्यक्त की। मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम शारीरिक स्वास्थ्य की बात करते हैं लेकिन मानसिक बीमारियों पर ध्यान नहीं देते। भारत अपने कुल स्वास्थ्य बजट का एक प्रतिशत से भी कम हिस्सा मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवंटित करता है।’’
भाषा अविनाश