सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल और बिनौला तेल में सुधार
राजेश राजेश अजय
- 18 Mar 2025, 09:07 PM
- Updated: 09:07 PM
नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) देश के तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल और बिनौला तेल के थोक दाम में सुधार देखने को मिला। हालांकि, सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट दर्ज हुई। वहीं मूंगफली तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतें पूर्वस्तर पर बनी रहीं।
बाजार सूत्रों ने कहा तेल-तिलहन कारोबार में एक अजीबो-गरीब विरोधाभास देखने को मिल रहा है। एक ओर जहां सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी और मूंगफली तेल के हाजिर दाम ऊंचे हैं, मगर इसके बावजूद किसानों को इन ज्यादातर फसलों के तिलहनों की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे दाम पर करनी पड़ रही है। यह कहीं से भी देश को उत्पादन बढ़ाने और आत्मनिर्भरता हासिल करने की ओर नहीं ले जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सरसों तिलहन का हाजिर दाम नीचा होने के कारण स्टॉकिस्ट आंख मूंद कर इसकी लिवाली कर रहे हैं। इस बार उपज भी कम हुई है। नौबत यह है कि तेल पेराई मिलों को सरसों खरीदने में दिक्कत आ रही है क्योंकि ज्यादातर माल स्टॉकिस्ट खरीद ले रहे हैं। इस परिस्थिति में तेल मिलों ने आज शाम सरसों के खरीद दाम में 75 रुपये क्विंटल की वृद्धि की है। मांग होने के बीच उपलब्धता कम होने से सरसों तेल-तिलहन कीमतों में कल के मुकाबले सुधार है। लेकिन सरसों का हाजिर दाम एमएसपी से 3-4 प्रतिशत अभी भी नीचे ही चल रहा है।
सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात एक प्रतिशत मजबूत बंद हुआ और अब भी यहां डेढ़-पौने दो प्रतिशत का सुधार चल रहा है। इस वजह से सोयाबीन तेल के दाम में भी सुधार आया। दूसरी ओर, हाजिर बाजार में किसानों को सोयाबीन तिलहन का एमएसपी से लगभग 20 प्रतिशत नीचा दाम भी मिलना मुश्किल हो रहा है।
उन्होंने कहा कि बाजार में सहकारी संस्था नेफेड के द्वारा जल्द ही सोयाबीन की बिक्री बाजार भाव पर करने की अपवाह चल रही है। जाहिर है, कि बाजार भाव कम है और ऐसे में नेफेड की ओर से कम बाजार दाम पर बिकवाली होगी, तो किसानों की उपज को कौन सही कीमत प्रदान करेगा? ऐसे में सरकारी खरीद का किसानों को क्या फायदा मिलने जा रहा है क्योंकि अब नेफेड की ओर से कमजोर बाजार भाव पर होने वाली बिकवाली से ही किसानों को प्रतिस्पर्धा करनी पड़ सकती है। सरकार को इसका बाजार बनाने की ओर अधिक ध्यान देना होगा नहीं तो सरकारी खरीद का कोई उचित नतीजा नहीं निकलेगा।
सूत्रों ने कहा कि मांग बढ़ने और उपलब्धता कम होने की वजह से बिनौला तेल कीमत में भी सुधार आया। मांग बढ़ने और आवक कम होने के कारण सुधार को और बल मिला। इसकी वजह से कपास नरमा और बिनौला सीड के दाम भी 25-50 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़े हैं।
उन्होंने कहा कि बाजार में मूंगफली की आवक कम होने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव अपरिवर्तित बने रहे। इसके हाजिर दाम एमएसपी से लगभग 15-20 प्रतिशत नीचे हैं। मलेशिया एक्सचेंज के आज बंद होने से कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के भाव भी अपरिवर्तित रहे।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,115-6,215 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 5,700-6,025 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,450 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,240-2,540 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,345-2,445 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,345-2,470 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,725 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,100-4,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 3,800-3,850 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश