बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच हिंदुत्व वाले नारों की जंग
वैभव रंजन
- 18 Mar 2025, 09:21 PM
- Updated: 09:21 PM
कोलकाता, 18 मार्च (भाषा) पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व के नारे का जवाब देने के लिये प्रदेश के कई हिस्सों में मंगलवार को बैनर लगाये। प्रदेश में अगले साल होने वाले विधासभा चुनाव के अलोक में दोनों दलों के बीच इससे प्रचार युद्ध छिड़ गया है।
सोमवार को हुगली जिले के चिनसुराह के कुछ हिस्सों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बैनर और फ्लेक्स दिखाई दिए, जिन पर लिखा था ‘‘हिंदू-हिंदू, भाई-भाई, 2026 ई भाजपा के चाई’’ (हम चाहते हैं कि 2026 में भाजपा सत्ता में आए)। इससे अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार युद्ध का अनुमान लगाया जा सकता है।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के आईटी और सोशल मीडिया प्रकोष्ठ ने भाजपा के बैनरों के जवाब में मंगलवार को उत्तर कोलकाता के कुछ हिस्सों में कई जवाबी नारे वाले बैनर लगाए। इनमें श्यामबाजार फाइव-पॉइंट क्रॉसिंग भी शामिल है।
इन नारों में विपक्ष के हिंदू-केंद्रित नारों की शैली में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया गया।
तृणमूल कांग्रेस के एक बैनर में लिखा था, ‘‘हिंदू जोड़ी भाई भाई, गैस-ए क्यानो छार नाई’’। (अगर हिंदू भाई हैं, तो लोगों को रसोई गैस की कीमतों में राहत क्यों नहीं मिलती?) तृणमूल के एक अन्य फ्लेक्स पर लिखा था, ‘‘हिंदू हिंदू भाई भाई, किंतु बंगाली पूर्णो मंत्री नाई’’ यानी ‘‘हिंदू भाई हो सकते हैं, फिर भी बंगाल से कोई कैबिनेट मंत्री नहीं है’’।
इसके अलावा, भाजपा शासन में आधार कार्ड लिंकेज के मुद्दे, उच्च ईंधन लागत और मुद्रास्फीति को लक्षित करने वाले कुछ बैनर भी देखे गए। सभी नारे बांग्ला में थे, जो प्रचार अभियान में स्थानीय प्रभाव को दर्शाते हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने पुष्टि की कि अभियान का उद्देश्य भाजपा के नारों का मुकाबला करना है। पार्टी की आईटी सेल के प्रभारी देबांग्शु भट्टाचार्य ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा का तथाकथित हिंदू भाईचारा केवल तभी सामने आता है जब चुनाव नजदीक आते हैं। अन्य समय में, वे केवल मेहुल भाई जैसे ‘भाई’ को ही पहचानते हैं।’’
भट्टाचार्य ने दावा किया, ‘‘यह भाजपा नेतृत्व के पाखंड को उजागर करने का हमारा अभियान था, जो हिंदुत्व का नारा लगाता है, लेकिन एनआरसी के नाम पर लाखों हिंदुओं को राज्यविहीन बना देता है। बंगाल जानता है कि स्वामी विवेकानंद के हिंदू धर्म और प्रधानमंत्री मोदी के हिंदू धर्म के बीच कैसे चयन करना है।’’
भाषा वैभव