जनहित याचिका में खांडू पर आरोप, न्यायालय ने अरुणाचल, केंद्र और कैग से जवाब मांगा
अमित रंजन
- 18 Mar 2025, 09:36 PM
- Updated: 09:36 PM
नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में उस जनहित याचिका की पड़ताल करने पर सहमति जतायी जिसमें आरोप लगाया गया है कि अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अपने परिवार के सदस्यों को ठेके दिये। न्यायालय ने राज्य सरकार से लाभार्थियों का ब्योरा मांगा और यह भी पूछा है कि क्या उचित प्रक्रिया का पालन किया गया।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से भी इस मुद्दे पर पांच सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
पीठ गैर सरकारी संगठनों ‘सेव मोन रीजन फेडरेशन’ और ‘वॉलंटरी अरुणाचल सेना’ द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य में सभी सरकारी ठेके मुख्यमंत्री के करीबी पारिवारिक सदस्यों को दिए जा रहे हैं।
पीठ ने राज्य सरकार से विशेष रूप से यह विवरण देने को कहा कि क्या मुख्यमंत्री पेमा खांडू को कोई सरकारी ठेका दिया गया था, जो जनहित याचिका में पक्षकार हैं।
पेमा के पिता दोरजी खांडू की दूसरी पत्नी रिनचिन ड्रेमा और उनके रिश्तेदार त्सेरिंग ताशी को मामले में पक्षकार बनाया गया है।
दोरजी 2007 से अप्रैल 2011 तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। दोरजी की अप्रैल 2011 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
पीठ ने राज्य सरकार से वर्तमान मुख्यमंत्री के अन्य पारिवारिक सदस्यों को सरकारी ठेके दिए जाने से संबंधित ब्योरा (यदि कोई हो) भी देने को कहा।
सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "हम वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय की रिपोर्ट चाहते हैं... हमें इस बारे में स्पष्ट जवाब मिलना चाहिए कि वे कौन से पक्ष हैं जिन्हें ठेके दिए गए और क्या प्रक्रिया (अपनायी गई) थी। निविदाएं आमंत्रित की गईं या नहीं? यह बताया जाना चाहिए। दोनों मंत्रालयों को स्पष्ट करना चाहिए।’’
अदालत ने कहा, ‘‘हमें अरुणाचल राज्य से एक विस्तृत हलफनामा चाहिए जिसमें उन पक्षों का विवरण हो जिन्हें ठेके दिए गए थे, याचिका में उल्लिखित अनुबंधों के संदर्भ में...।’’
मामले की सुनवाई 21 जुलाई के बाद वाले सप्ताह में होगी।
पीठ ने कहा कि वह जनप्रतिनिधियों के लिए आचार संहिता और सरकारी अनुबंध देने में उनकी भूमिका को ध्यान में रखते हुए कैग से एक विस्तृत अंतिम स्थिति रिपोर्ट भी चाहती है।
याचिकाकर्ता एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि स्थिति चौंकाने वाली है क्योंकि राज्य को एक निजी लिमिटेड कंपनी की तरह चलाया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सभी अनुबंध उनकी (मुख्यमंत्री की) पत्नी की कंपनी, उनके रिश्तेदारों की कंपनी आदि को दिए गए हैं।"
राज्य सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
सरकारी वकील ने कहा, ‘‘कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अरुणाचल प्रदेश थोड़ा अलग है और वह वह सब कुछ कर रहा है जो वह कर सकता है... यह एक राजनीति से प्रेरित याचिका है।’’
भूषण ने आरोप लगाया, "सैकड़ों करोड़ रुपये लूटे गए हैं।"
सीजेआई ने इस सवाल का "स्पष्ट" जवाब मांगा कि किन पक्षों को ठेके दिए गए और दूसरा यह कि क्या प्रक्रिया का पालन किया गया।
भूषण ने पहले कहा था कि शीर्ष अदालत ने पिछले साल केंद्र, राज्य सरकार, सीबीआई, खांडू और अन्य को जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया था और पिछली तीन तारीखों पर कोई ठोस सुनवाई नहीं हुई।
याचिका में दावा किया गया था कि रिनचिन ड्रेमा की कंपनी, ब्रांड ईगल्स को स्पष्ट हितों के टकराव के बावजूद बड़ी संख्या में सरकारी ठेके दिए गए।
भाषा अमित