एआईएमआईएम नेता ने कहा: द्वितीय विश्व युद्ध पर पश्चिमी देशों में बनी फिल्मों के कारण दंगे नहीं हुए
धीरज सुभाष
- 18 Mar 2025, 09:50 PM
- Updated: 09:50 PM
छत्रपति संभाजीनगर, 18 मार्च (भाषा) ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष इम्तियाज जलील ने मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद नागपुर में हिंसा भड़कने के एक दिन बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध पर पश्चिमी देशों में कई फिल्में बनीं, लेकिन उनसे कोई दंगा नहीं हुआ।
जलील का यह बयान मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा विधानसभा में दिए गए उस बयान के कुछ घंटों बाद आया है जिसमें कहा गया था कि नागपुर में हुई हिंसा पूर्व नियोजित प्रतीत होती है और ‘छावा’ फिल्म ने औरंगजेब के खिलाफ लोगों की भावनाओं को फिर से भड़का दिया है।
फडणवीस ने कहा कि छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित एवं विक्की कौशल अभिनीत फिल्म ‘छावा’ ने लोगों के सामने मराठा शासक का सच्चा इतिहास पेश किया।
मध्य नागपुर के महल क्षेत्र के चिटनिस पार्क में सोमवार शाम करीब साढ़े सात बजे हिंसा भड़क उठी और पुलिस पर पथराव किया गया। यह हिंसा कथित तौर पर यह अफवाह फैलने के बाद हुई कि छत्रपति संभाजीनगर जिले में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे एक दक्षिणपंथी संगठन ने एक समुदाय विशेष के धर्मग्रंथ को जला दिया है।
जलील ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा, ‘‘इतिहासकारों को यह तय करने दें कि औरंगजेब कैसा शासक था। लेकिन यह एक तथ्य है कि वह एक बादशाह था और उसने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए न केवल हिंदू बल्कि निजामशाही, आदिलशाही जैसे मुस्लिम राज्यों पर भी हमला किया।’’
पूर्व लोकसभा सदस्य ने कहा,‘‘औरंगजेब एकमात्र ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसने सत्ता पाने के लिए अपने ही लोगों की हत्या की। इतिहास यह भी कहता है कि सम्राट अशोक अपने भाइयों की हत्या करने के बाद गद्दी पर बैठे थे...जो महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि अशोक ने (बाद में) बौद्ध धर्म अपना लिया।’’
जलील ने कहा, ‘‘पश्चिमी देशों ने द्वितीय विश्व युद्ध से संबंधित स्मारकों को संरक्षित किया और उसके बाद आने वाली पीढ़ियों ने इससे सबक सीखा। द्वितीय विश्व युद्ध पर यूरोप में कई फिल्में बनाई गईं, लेकिन इससे कोई दंगा नहीं हुआ। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि फिल्में गहन शोध के बाद बनाई गईं, जिससे लोगों को अहिंसा के महत्व को समझने में मदद मिली।’’
उन्होंने कहा कि इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां दो समुदाय (हिंदू और मुस्लिम) एक साथ रहते थे और एक-दूसरे से भिड़ते भी थे।
जलील ने कहा, ‘‘मैं यही समाधान देख सकता हूं कि सभी ऐतिहासिक स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के नियंत्रण में होने चाहिए। पर्यटकों को उन्हें देखना चाहिए और गाइड उन्हें उन स्मारकों से जुड़ा इतिहास बताएं। यहां राजनीतिक हस्तक्षेप से ज्यादा महत्वपूर्ण इतिहास के शोधार्थियों की भूमिका है।’’
भाषा धीरज