माकपा सदस्य ने उठाया गिग वर्कर्स का मुद्दा, अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने की मांग की
ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र मनीषा
- 19 Mar 2025, 04:19 PM
- Updated: 04:19 PM
नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के ए ए रहीम ने बुधवार को राज्यसभा में गिग वर्कर्स का मुद्दा उठाते हुए कहा कि वे ‘अविश्वसनीय शोषण’ और अपर्याप्त आय की समस्या का सामना कर रहे हैं।
उच्च सदन में शून्यकाल के तहत इस मामले को उठाते हुए उन्होंने सरकार से उनके बुनियादी अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने का अनुरोध किया।
रहीम ने यह भी कहा कि ऐप-आधारित या प्लेटफॉर्म कंपनियां डिलीवरी करने वाले व्यक्तियों को श्रमिक नहीं मानतीं, इस प्रकार उन्हें मूल वेतन से भी वंचित कर दिया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार को उन्हें श्रमिकों के रूप में मान्यता देने और उनके बुनियादी अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कानून का मसौदा तैयार करना चाहिए। मनमाने तरीके और भुगतान संरचना में पारदर्शिता की कमी के कारण श्रमिकों को अक्सर परेशानियों के साथ ही अपर्याप्त आय का सामना करना पड़ता है।’’
उन्होंने इस बात पर भी खेद जताया कि इस मामले में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए भारत में कोई कानूनी तंत्र नहीं है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कई राज्यों में कंपनियों या उसके प्रतिनिधियों की भौतिक उपस्थिति की कमी प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए विवादों के हल की या उनकी शिकायतों के निवारण की मांग करना मुश्किल बना देती है।
‘गिग वर्कर्स’ उन श्रमिकों को कहा जाता है जिनका काम अस्थायी होता है। गिग वर्कर पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों के बाहर काम करता है या कार्य व्यवस्था में भाग लेता है और ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करता है।
माकपा सदस्य ने सरकार से जवाबदेही सुनिश्चित करने और श्रमिकों को उनकी शिकायतों के निवारण के लिए एक भौतिक केंद्र प्रदान करने का भी आग्रह किया।
शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक ने जीवन और स्वास्थ्य बीमा उत्पादों पर जीएसटी हटाने की मांग की ताकि उन्हें और किफायती बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि भारत में सिर्फ चार प्रतिशत लोग ही बीमा करवाते हैं जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 7 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस सरकार (केंद्र) की हमारे देश के मध्यम वर्ग को हर संभव तरीके से दंडित करने की आदत है। जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर 18 प्रतिशत जीएसटी आम आदमी पर बोझ डालने का एक और तरीका है।’’
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया था और यहां तक कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस संबंध में सरकार को पत्र लिखा था।
हक ने कहा कि प्रत्येक विपक्षी दल जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर 18 फीसदी जीएसटी को खत्म करने की मांग कर रहा है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि जीएसटी परिषद में केंद्र सरकार का एक तिहाई वोट है और 21 राज्यों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकारें हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘फिर आपको (केंद्र सरकार को) कौन रोक रहा है? आप जीएसटी क्यों नहीं हटाते?’’
तृणमूल कांग्रेस सदस्य ने कहा कि सरकार को मध्यम वर्ग को दंडित करना बंद करना चाहिए और स्वास्थ्य तथा जीवन बीमा पर जीएसटी खत्म करने का आश्वासन देना चाहिए।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र